जालंधर। आयुष्मान योजना में बड़े फर्जीवाड़े को लेकर विजिलेंस ने जांच तेज कर दी है। शुक्रवार को विजिलेंस ने जालंधर के 7 बड़े अस्पतालों में जांच की। यहां से विजिलेंस ने योजना के तहत इलाज करवाने वाले मरीजों का रिकॉर्ड चेक करते हुए कब्जे में लिया है। रिकॉर्ड इतना ज्यादा है कि विजिलेंस ने अस्पताल के रिकॉर्ड रूम को ही सील कर दिया है। यहां पर शनिवार को फिर से जांच शुरू की जाएगी।
इतना ही नहीं विजिलेंस की एक अन्य टीम ने सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) स्थित अमनप्रीत अस्पताल में जांच की। यहां पर रात तक जांच चलती रही है। बता दें कि जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला में इस योजना के तहत जांच के दायरे में कुल 77 अस्पताल और 33 सरकारी अस्पताल आए हैं। अभी यह शुरुआती जांच है, जांच में फर्जीवाड़ा निकलता है तो अस्पताल कानून के दायरे में आ जाएंगे।
उधर, एसएसपी (विजिलेंस) दिलजिंदर सिंह ढिल्लों ने कहा कि यह अभी प्राथमिक जांच है। इसलिए हम किसी भी अस्पताल के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रहे।
सुबह 10 बजे एक साथ टीम ने 7 जगह की जांच
विजिलेंस ब्यूरो के चीफ डायरेक्टर डीजीपी बीके उप्पल से मीटिंग के बाद विजिलेंस की 5 मेंबरी टीम ने सुबह 10 बजे एक साथ 7 जगह जांच की। इनमें कैपिटोल हॉस्पिटल, मन मेडिसिटी हॉस्पिटल, ऑक्सफोर्ड हॉस्पिटल, फुटबाल चौक के पास स्थित अरमान हॉस्पिटल, गंगा ऑर्थो केयर हॉस्पिटल, लिंक रोड स्थित न्यू रूबी हॉस्पिटल और बीएसएफ चौक के पास सर्वोदय हॉस्पिटल में जांच की। टीम सीधे रिकॉर्ड रूम में गई और जांच शुरू की। लंच टाइम तक विजिलेंस अंदर ही रही।
हर फाइल में छिपी कमी ढूंढ रही है विजिलेंस
विजिलेंस के पास एक लंबी लिस्ट है, जिसमें इस योजना के तहत ट्रीटमेंट करवाने वाले मरीज का ब्यौरा था। विजिलेंस टीम यह जांच कर रही है कि इनमें संदिग्ध कौन सा रिकॉर्ड है। देर शाम करीब साढ़े 7 बजे तक टीम की जांच पूरी नहीं हो सकी थी। इसलिए चंडीगढ़ हेडक्वार्टर के नोटिस में सारा मामला लाया गया।
डीजीपी बीके उप्पल के आदेश पर विजिलेंस ने रिकॉर्ड रूम को सील कर दिया है, ताकि शनिवार को भी से अपनी जांच शुरू की जा सके। यह जांच लंबी चलने वाली है, क्योंकि विजिलेंस हर फाइल के अंदर छुपी खामी ढूंढने मेंं जुटी है। विजिलेंस अपने डाॅक्टरों की टीम की भी मदद ले रही है।
तीन अस्पताल पहले ही हो चुके डी-इम्पैनल्ड… स्टेट विजिलेंस विभाग ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान योजना) में बड़े फर्जीवाड़े का खुद संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की थी। जांच में यह बात आई कि मरीज के परिजनाें से कहा जाता था कि बढ़िया ट्रीटमेंट चाहिए तो अलग से कुछ देना होगा। अगर फैमिली पैसे देने में सक्षम नहीं होती तो फिर ऑफर दिया जाता था कि योजना में आने वाले फैमिली मेंबर या फ्रेंड्स सर्कल के कार्ड लेकर आएं। फिर बिना ट्रीटमेंट उनका ऑपरेशन दिखा दिया जाता था। मगर रिकॉर्ड पूरी तरह तैयार करते थे, ताकि फर्जीवाड़ा पकड़ में न आए।
विजिलेंस ने जांच में ऐसे मरीज ढूंढ निकाले जिनका ऑपरेशन हुआ ही नहीं था, मगर योजना का लाभ लिया गया। वहीं फेक बिलिंग में कपूर अस्पताल, रत्न अस्पताल और बालाजी अस्पताल को स्कीम से पहले ही डी-इम्पैनल्ड कर दिया गया है।
विजिलेंस ने कोई जांच नहीं की : डॉ. परूथी
कैपिटोल अस्पताल के डॉ. हरनूर परूथी ने कहा कि अस्पताल पर विजिलेंस विभाग की आेर से कोई जांच नहीं की गई है। पिछले दिनों पंजाब आयुष्मान योजना के अधीन कई अस्पतालों के नाम सामने आए थे जिन्होंने गलत बिलिंग की थी। इसके बाद विजिलेंस ने आयुष्मान योजना के अधीन आने वाले अस्पतालों का ऑडिट शुरू किया है। इसी के चलते शुक्रवार को इसके बारे में अस्पताल में विजिलेंस के कुछ कर्मी आए थे।