देवरानी-जेठानी की लड़ाई में 72 लाख की दुकान के लिए लगा दी 510 करोड़ की बोली; अब दोनों 3 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड

5,101,015,400 … यह मोबाइल नंबर नहीं शराब दुकान के लिए लगी सबसे बड़ी बोली है, इसे लगाने वाली देवरानी-जेठानी अब ब्लैकलिस्टेड शराब दुकानों की ऑनलाइन नीलामी की व्यवस्था ठेकेदारों को रास नहीं आ रही, आज नीलामी का आखिरी दिन

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जयपुर। राजस्थान के हनुमानगढ़ का खुइयां गांव इन दिनों सुर्खियों में है। इसकी वजह है शराब और उसका कारोबार। जी हां, कहते हैं कि शराब का सुरूर जब चढ़ता है तो दिमाग सातवें आसमान पर होता है, पर यह नहीं पता था कि शराब की दुकान चलाने का सुरूर भी होश गुम कर सकता है।

कुछ ऐसा ही मामला राजस्थान के खुइयां गांव में सामने आया है। यहां शराब की एक छोटी सी दुकान की बोली में दो महिलाओं के बीच नाक की लड़ाई इस कदर छिड़ी कि 5 मार्च यानी शुक्रवार दोपहर 11 बजे से शुरू हुई बोली रात 2 बजे तक चलती रही।

इस बोली में दो महिलाएं आमने-सामने थीं। एक का नाम किरण कंवर और दूसरे का प्रियंका कंवर। दोनों रिश्ते में देवरानी-जेठानी हैं। नीलामी के लिए दुकान का बेस प्राइस 72 लाख रुपए तय था। देवरानी-जेठानी दोनों इसे लेना चाहती थीं।

बोली लगनी शुरू हुई तो कोई हार मानने को तैयार नहीं था। आखिरकार 510 करोड़, 10 लाख 15 हजार रुपए पर जाकर बोली रुकी। किरण कंवर ने इसे जीता। किरण मूल रूप से गांव सुरजनसर धानसिया की रहने वाली हैं। उन्होंने गांव खुइयां के अलावा जबरासर की दुकान के लिए भी 3 करोड़, 7 लाख, 59 हजार 680 रुपए की बोली लगा दी।

नियम के मुताबिक बोली लगाने वाले को 3 दिन के भीतर कुल रकम का 1% विभाग के पास जमा कराना होता है। किरण कंवर मंगलवार, यानी 9 मार्च तक दोनों में से किसी भी बोली के लिए पैसे जमा नहीं करा पाईं। आखिरकार आबकारी विभाग ने किरण की जमा अमानत राशि जब्त करते हुए उसे 3 साल के लिए ब्लैकलिस्टेड कर दिया। साथ ही डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की डिपॉजिट मनी जब्त कर ली। ऐसे में न तो दुकान मिली और न ही नाक ऊंची रह पाई।

यह तो एक मामला हुआ, इन दिनों पूरे राजस्थान में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। लोग शराब दुकान की ऊंची बोली तो लगा रहे हैं, लेकिन पैसे जमा नहीं कर पा रहे। इसके चलते राज्य में शराब ठेकों के आवंटन का मामला पटरी से उतरता दिख रहा है।

सुजानगढ़ में एक और जयपुर में 4 बड़ी बोली वाले बिडर भी ब्लैकलिस्टेड
पहले दिन राज्य में सबसे बड़ी बोली चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे की एक दुकान के लिए लगी थी। इस दुकान के लिए बिडर 11 करोड़, 60 लाख, 86 हजार, 680 रुपए की बोली लगाई थी। आबकारी विभाग ने इस की रिजर्व प्राइज 10.17 करोड़ रुपए रखी थी। यहां भी बिडर ने 1% राशि जमा नहीं कराई। इसी तरह, जयपुर के गजसिंहपुरा में 3 मार्च को लगी 5 बड़ी बोली में से 4 बिडर ने पैसे जमा नहीं किए।

जयपुर जिला आबकारी अधिकारी सुनील भाटी ने बताया कि 4 दुकानों के लिए 7.31 करोड़, 7.27 करोड़, 7.31 करोड़ और 8.91 करोड़ रुपए की बोली लगाने के बाद 1% राशि जमा नहीं करवाई। इन सभी बिडरों को भी ब्लैक लिस्टेड किया गया है।

दरअसल सरकार ने पहली बार शराब ठेकों की ऑनलाइन नीलामी व्यवस्था शुरू की है। लेकिन यह फ्लॉप होती दिख रही है। आबकारी विभाग ने राज्य में जिन दुकानों की रिजर्व प्राइस (बोली के लिए शुरुआती कीमत) करोड़ों में तय किया था, उसे कोई खरीद नहीं रहा। और जिन दुकानों के लिए बिडर करोड़ों रुपए की बोली लगा रहे हैं, उन्हें अब उठाने से पीछे हट रहे हैं। ऐसे में आबकारी विभाग ने जयपुर, हनुमानगढ़, चूरू के कई बड़े बिडरों को 3 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है।

ऑनलाइन बोली का ठेकेदार कर रहे हैं विरोध, सरकार को फायदा
वसुंधरा राजे सरकार के दौरान शराब दुकानों की नीलामी का सिस्टम खत्म कर दिया गया था। लॉटरी सिस्टम से काम हो रहा था। गहलोत सरकार ने दोबारा से नीलामी सिस्टम को शुरू कर दिया है। इस सिस्टम के कारण राज्य सरकार को फायदा होता दिख रहा है। हालांकि, काफी लोग लॉटरी सिस्टम को ही बेहतर विकल्प मानते हैं।

अकेले 5 मार्च को ही 1,140 दुकानों की नीलामी हुई, जिसमें 1,721 करोड़ रुपए की बोली लगी। ये बोलियां आज यानी 10 मार्च को रात तक चलेंगी। जिसके बाद ही पता चल सकेगा कि इससे राज्य सरकार के खजाने में कितने पैसे आने वाले हैं।

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