GST में 7% की बढ़ोतरी:फरवरी में 1.13 लाख करोड़ रु. रहा GST कलेक्शन, 5वें महीने भी एक लाख करोड़ रु. से ज्यादा की वसूली

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नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन इस साल फरवरी में 1,13,143 करोड़ रुपए रहा। यह लगातार पांचवीं बार हुआ है जब GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर रहा है। इसकी वजह कोरोना का जोर घटने से आर्थिक गतिविधियों में लगातार आ रही तेजी और सरकार की ओर से की जा रही कोशिशें हैं।

फरवरी में GST कलेक्शन सालाना आधार पर 7% बढ़ा
फाइनेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, ‘फरवरी में GST कलेक्शन 5 महीनों से बनी रिकवरी के ट्रेंड के हिसाब से रहा है। पिछले महीने कलेक्शन में सालाना आधार पर 7% की बढ़ोतरी हुई है।’ वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में सामान के आयात पर टैक्स से हासिल होने वाली रकम में सालाना आधार पर 15% की बढ़ोतरी हुई। घरेलू बाजार में हुए सामान के लेनदेन पर हासिल टैक्स कलेक्शन पिछले साल से 5% ज्यादा रहा।

21,092 करोड़ का CGST और 27,273 करोड़ का SGST
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, फरवरी में 21,092 करोड़ रुपये का CGST (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और 27,273 करोड़ रुपये का SGST (स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स) कलेक्शन हुआ। IGST (इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स) कलेक्शन 55,253 करोड़ रुपये का रहा। इसमें से 24,382 करोड़ रुपये इंपोर्टेड सामान पर वसूल किए गए। इसके अलावा सेस के तौर पर 9,525 करोड़ रुपये की वसूली हुई।

मार्च में भी बेहतर कलेक्शन की उम्मीद
सीएनआई रिसर्च के चेयरमैन किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि मार्च 2020 में 97 हजार करोड़ रुपए का कलेक्शन था। मार्च 2019 में 1.09 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन था। इस बार मार्च में इससे बेहतर कलेक्शन होगा। यह 1.30 लाख करोड़ रुपए रह सकता है, क्योंकि जीएसटी चोरी पर लगाम लगी है। साथ ही महीना 31 दिनों का है। फरवरी 28 दिनों का है। तीन दिन का मतलब 12-15 हजार करोड़ रुपए बढ़ना चाहिए।

पिछले 11 महीनों में 10.12 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन

जहां तक इस फाइनेंशियल ईयर की बात है तो अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 तक कुल जीएसटी कलेक्शन 10,12,853 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले इसी पीरियड को देखें तो अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के बीच 11,11,878 करोड़ रुपए के जीएसटी का कलेक्शन हुआ था। इस हिसाब से मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में पिछले वित्त वर्ष के इसी पीरियड के मुकाबले 99,025 करोड़ रुपये कम कलेक्शन हुआ है जो लगभग नौ पर्सेंट कम है।

कैलेंडर ईयर यानी जनवरी से दिसंबर की बात करें तो 2019 में 11.94 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन रहा है। जबकि 2020 में इसी समय में यह 10.92 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन रहा है।

GST कलेक्शन में इतनी तेजी क्यों है
जीएसटी कलेक्शन में लगातार हो रही बढ़त का सबसे बड़ा कारण इसके लीकेज को रोकना है। पिछले 5-6 महीनों से लगातार जीएसटी की टीम ने अपने आईटी सिस्टम को मजबूत किया है। इससे फर्जीवाड़ा रुका है। फर्जी जीएसटी सेटअप लेने वाले पकड़े गए हैं। साथ ही जीएसटी की टीम खुद इसकी बारीकी से निगरानी कर रही है। सोमवार को ही जीएसटी की टीम ने महाराष्ट्र में 656 करोड़ रुपए के फर्जी बिलों को पकड़ा है। इसमें कुल 48 लोग और कंपनियां शामिल थीं। इसमें से 4 को गिरफ्तार किया गया है।

GST बढ़ने का मतलब और इकोनॉमी के लिए इसके मायने
जीएसटी के बढ़ने का मतलब साफ है कि कारोबारी स्थितियां अच्छी हैं। आम तौर पर जीएसटी तभी दिया जाता है जब आपका कारोबार चलता है। जैसे कोरोना में जब पूरा कारोबार बंद था, उस समय अप्रैल में जीएसटी का कलेक्शन 32 हजार करोड़ रुपए तक चला गया था। मई से अनलॉक होना शुरू हुआ। उसके बाद से जीएसटी में तेजी है। इसे कह सकते हैं कि कारोबार पटरी पर है और बहुत अच्छा है। इकोनॉमी अच्छी चल रही है।

इकोनॉमी को ऐसे भी देख सकते हैं
2 तिमाही बाद सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी तीसरी तिमाही पॉजिटिव रही है। इसकी ग्रोथ 0.4 पर्सेंट बढ़ी है। पहली तिमाही में 23.9 पर्सेंट और दूसरी तिमाही में 7.5 पर्सेंट गिरी थी। यह लगातार सातवां महीना है जब ऑटो सेक्टर की ग्रोथ पॉजिटिव है। ऑटो सेक्टर अगर तेजी में है तो मतलब लोगों के पास पैसे हैं। क्योंकि गाड़ी तभी खरीदी जाती है जब पैसे ज्यादा हों।

तीसरी बात, शेयर बाजार लगातार ऊंचाई पर है। विदेशी निवेशकों ने लगातार पांचवें महीने में भी शुद्ध निवेश किया है। 5 महीने में शेयर बाजार में इनका निवेश 1.85 लाख करोड़ रुपए रहा है। यह सब इकोनॉमी के लिए पॉजिटिव है।

छोटे से छोटे कारोबार की जानकारी ली जा रही है
पिछले हफ्ते ही जीएसटी की टीम ने कुछ ऐसे लोगों को पर्सनल फोन किया जिनका कारोबार 1 करोड़ रुपए भी नहीं था। इन लोगों से यह पूछा गया कि उन्होंने जीएसटी क्यों कम भरा है। यानी जीएसटी टीम जानना चाहती है कि बिजनेस कैसा चल रहा है। खबर है कि जीएसटी टीम अब चार्टर्ड अकाउंटेंट और अस्पतालों की स्क्रुटनी कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि रेवेन्यू विभाग को उनके इनकम टैक्स और इंडायरेक्ट टैक्स की फाइलिंग में अंतर मिला है। टैक्स अथॉरिटी ने इस संबंध में कुछ अस्पतालों को नोटिस भी जारी किया है।

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