नई दिल्ली. भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) को भारत लाने का रास्ता अब साफ होता दिख रहा है. लंदन की एक कोर्ट ने नीरव मोदी की याचिका खारिज कर उसे भारत को प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दे दी है. विजय माल्या के बाद अब सीबीआई (CBI) के लिए ये दूसरी सफलता है. लेकिन आखिर भारतीय एजेंसियों की कार्यप्रणाली क्या बदलाव हुआ है? क्योंकि इससे पहले तक यूके से भगोड़े भारतीयों को वापस लाने में एजेंसियों को सिर्फ झटके ही मिलते रहे हैं.
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि नीरव मोदी के केस में दबाव लगातार बनाए रखा गया. सीबीआई के अडीशनल डायरेक्टर प्रवीण सिन्हा यूके भी गए थे और दो महत्वपूर्ण तारीख पर कोर्ट की सुनवाई में मौजूद रहे. वहीं एक अन्य अधिकारी सुधा रानी रेलंगी भी लगातार यूके की क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस के संपर्क में बनी रहीं.
कोरोना महामारी के दौरान भी यूके पहुंच कर दबाव बनाते रहे एजेंसी के अधिकारी
जेल और मानवाधिकार के सवाल पर एजेंसी ने कैसे किया काम
भारतीय जेलों की स्थिति और मानवाधिकार की स्थिति को भी प्रत्यर्पण न करने का ग्राउंड बनाया जा सकता था. इसी वजह से सेंट्रल एजेंसी ने महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय से बात कर अर्थर रोड जेल की 12 नंबर बैरक का वीडियो बनवाया. यहां की सुविधाओं को प्रदर्शित किया गया. कहा गया है कि नीरव मोदी को भारत लाने के बाद इसी जेल में रखा जाएगा. विजय माल्या के केस में भी इसी वीडियो को दिखाया गया.