एक महीने में तीसरी बार बंगाल पहुंचे PM:हुगली में रेलवे के प्रोग्राम से ममता का किनारा, मोदी बोले- बंगाल अब पोरिबर्तन का मन बना चुका

मोदी ने कहा कि बंगाल में यहां आसोल पोरिबर्तन (असली बदलाव) लाना है, कमल खिलाना है। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक सिंडिकेट का राज रहेगा। टोलाबाजों का राज रहेगा। कट कल्चर बंगाल में रहेगा।

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को महीने में तीसरी बार पश्चिम बंगाल पहुंचे। हुगली में उन्होंने कहा कि अब पश्चिम बंगाल पोरिबर्तन (बदलाव) का मन बना चुका है। TMC पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि मां, माटी, मानुष की बात करने वाले बंगाल के विकास के आगे दीवार बनकर खड़े हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कार्यक्रम से दूर ही रहीं।

मोदी ने कहा, ‘आप लोगों की यह उमंग, ऊर्जा कोलकाता से दिल्ली तक बहुत बड़ा संदेश दे रही है। अब पश्चिम बंगाल पोरिबर्तन (बदलाव) का मन बना चुका है। आज इस वीर धरा से पश्चिम बंगाल अपने विकास के संकल्प को सिद्ध करने के लिए बड़ा कदम उठा रहा है। पश्चिम बंगाल में रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के शिलान्यास और लोकार्पण के लिए, बंगाल के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत बधाई देता हूं।’

पिछली सरकारों ने बंगाल में विकास नहीं किया
दुनिया में जितने देश गरीबी से बाहर आए या गरीबी मिटाने में कामयाब रहे, या विकसित बने सभी में एक बात कॉमन है। इन देशों ने अपने यहां सही समय पर बड़ी संख्या में इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया। आधुनिक हाईवे, रेलवे, एयरवे ने इन देशों को इन्हें आगे बढ़ाने में मदद की। ये एक प्रकार से परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण बना। हमारे यहां भी यही काम दशकों पहले होना चाहिए था, लेकिन हुआ नहीं।

फ्रेट कॉरिडोर से बंगाल के लोगों को फायदा मिलेगा
मोदी बोले कि अब हमें देर नहीं करनी है। एक पल भी गंवाना नहीं है। अब इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व जोर दिया जा रहा है। विकास के हर पहलू के लिए मूलभूत आवश्यकता होती है। बीते साल में हाईवे रेलवे, एयरवे, वाटरवे हर तरह की कनेक्टिविटी पर फोकस किया गया। बंगाल में हजारों करोड़ रुपए निवेश किए गए। रेल लाइनों के चौड़ीकरण और बिजलीकरण का काम तेजी से किया जा रहा है। रेलवे को लेकर बंगाल में संभावनाओं के नए द्वार खुल रहे हैं। पूर्वी फ्रेट कॉरिडोर का बड़ा लाभ बंगाल को होने वाला है। इसका एक हिस्सा चालू भी हो चुका है। बहुत जल्द पूरा कॉरिडोर खुल जाएगा।

किसान रेल से बंगाल के किसानों को बाजार मिला
विशेष किसान रेल का लाभ बंगाल के किसानों को मिल रहा है। हाल में 100वीं किसान रेल महाराष्ट्र से बंगाल तक चलाई गई। इससे यहां के फल, दूध, मछली से जुड़े किसानों को मुंबई, पुणे सहित देश के बड़े बाजारों तक सीधी पहुंच मिली है। आज हावड़ा-हुगली के लाखों स्टूडेंट्स और श्रमिकों के लिए बहुत बड़ा दिन है। मेट्रो का दक्षिणेश्वर तक विस्तार होने से हजारों यात्रियों को सुविधा होने वाली है। अब कोलकाता आने-जाने के लिए तेज पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल गया है‍।

सरकारों ने बंगाल के गौरव के साथ अन्याय किया
हुगली में मोदी ने कहा कि चंद्रनगर समेत ये पूरा क्षेत्र भारत की आजादी, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान का द्वीप है। महर्षि अरबिंदो, रास बिहारी बोस समेत अनगिनत महान लोगों का नाता इस धरती से है। मुझे हैरानी है इतने वर्षों में जितनी भी सरकारें यहां रही हैं, उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षेत्र को अपने हाल पर ही छोड़ दिया। यहां की धरोहर को बेहाल होने दिया गया।

मोदी ने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि वंदे मातरम् भवन जहां बंकिमचंद्र 5 साल रहे, वह बहुत बुरी हालत में है। यहां उन्होंने वंदे मातरम् की रचना पर मंथन किया, जिसने आजादी की लड़ाई में नए प्राण फूके। क्रांतिवीरों को इसने नई ताकत दी। वंदे मातरम्, इन दो शब्दों ने गुलामी में जी रहे देश को नई ऊर्जा से भर दिया। इससे जुड़ी जगह को बुरे हाल में रखना बंगाल के गौरव के साथ बहुत बड़ा अन्याय है।’

तुष्टिकरण की राजनीति में देशभक्ति पीछे छूटी
बंगाल के गौरव की अनदेखी के पीछे बहुत बड़ी राजनीति है। यह राजनीति देशभक्ति की जगह वोट बैंक, सबके विकास की जगह तुष्टिकरण पर जोर देती है। यह राजनीति बंगाल में मां दुर्गा की पूजा से रोकती है। बंगाल के लोग वोट बैंक की राजनीति के लिए संस्कृति का अपमान करने वालों को माफ नहीं करेंगे। आज मैं बंगाल के लोगों को यह विश्वास दिलाता हूं जब बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी, तो हर बंगालवासी अपनी संस्कृति का गौरवगान पूरी ताकत से कर सकेगा।

सोनार बांग्ला बनाने के लिए काम करेगी भाजपा
मोदी बोले कि भाजपा सोनार बांग्ला के निर्माण के लिए काम करेगी। यहां की संस्कृति दिनों-दिन मजबूत होगी। ऐसा बंगाल जहां आस्था, अध्यात्म का सम्मान होगा, जहां सभी का विकास होगा। तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा। जो टोलाबाजी से मुक्त होगा, रोजगार और स्वरोजगार से युक्त होगा। आजादी से पहले बंगाल देश के दूसरे राज्यों से बहुत आगे था। जिन लोगों ने बंगाल पर राज किया उन्होंने इसे आज इस हालत में पहुंचा दिया। मां, माटी, मानुष की बात करने वाले लोग विकास के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए। केंद्र सरकार योजनाओं का पैसा सीधे अकाउंट में भेजती है। बंगाल में गरीब का पैसा TMC के नेताओं की टोलाबाजी के बिना गरीबों तक नहीं पहुंचता।

बंगाल की सरकार ने किसान परिवारों का हक छीना
मोदी ने कहा कि बंगाल के लाखों किसान परिवारों का हक यहां की सरकार में बैठे लोगों ने छीन लिया। आयुष्मान भारत के लाभ से भी लाखों परिवार वंचित हैं। बंगाल के लिए यह मिशन इसलिए ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यहां डेढ़-पौने दो करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों में से सिर्फ 9 लाख में नल से जल की सुविधा है। देश में अभियान चल पड़ने के बाद अब तक 3 करोड़ से ज्यादा घरों को पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। यहां की सरकार जिस रफ्तार से काम कर रही है उससे तो पश्चिम बंगाल में हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने में पता नहीं कितने साल बीत जाएंगे।

TMC सरकार गरीबों के घर तक पानी पहुंचाने के लिए कितनी गंभीर है इसका एक और उदाहरण देता हूं। भारत सरकार ने 1758 करोड़ से ज्यादा रकम TMC सरकार को दी। इसमें से सिर्फ 609 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। बाकी 1100 करोड़ सरकार दबाकर बैठ गई है। यह दिखाता है कि TMC सरकार को गरीब की, बंगाल की बहन-बेटियों की जरा भी परवाह नहीं है।

बंगाल का नौजवान परिवर्तन की उम्मीद में जी रहा
मोदी ने कहा कि बंगाल में कमल खिलाना इसलिए जरूरी है, ताकि पश्चिम बंगाल की स्थिति में परिवर्तन आ सके। इसकी उम्मीद में आज का नौजवान जी रहा है। हुगली इसका उदाहरण है। अव्यवस्था ने पश्चिम बंगाल को किस हालत में पहुंचा दिया है। हुगली तो उद्योग का हब था। दोनों किनारों पर जूट इंडस्ट्री थी। बड़े कारखाने थे। यहां से निर्यात होता था। आज इसकी क्या स्थिति है, यह आप जानते हैं।

पूर्वी भारत के लोकगीतों में माताएं-बहनें गाती थीं कि घर के लोग कमाने कलकत्ता गए हैं। इसमें उम्मीद लगाई जाती थी कि जब वह लौटेगा, तो कलकत्ता से क्या-क्या लाएगा। वहां की नई चीजें हमारे घर में आएंगी। ऐसे गीत बंगाल के बाहर उड़ीसा से असम तक गाए जाते थे। यह कीर्ति थी उस जमाने में। अब बहुत से लोगों को काम के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। इस स्थिति को बदलना आपने तय कर लिया है। नई सरकार बनते ही इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

बंगाल में जूट मिलों को उनके हाल पर छोड़ा
मोदी ने आरोप लगाया कि बंगाल की सरकार ने जूट मिलों को अपने हाल पर छोड़ दिया था। केंद्र में जब से भाजपा सरकार आई है, तब से जूट किसानों की चिंता की गई है। अब तो गेहूं-चीनी की पैकिंग में भी जूट का इस्तेमाल हो रहा है। हुगली के आलू किसानों की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। यहां के आलू और धान के किसानों को कौन लूट रहा है? आप लोग ज्यादा जानते हैं। यहां फूड प्रोसेसिंग के कारखाने नहीं बनेंगे, तब तक न तो किसानों का हित होगा, न मेरे मजदूर भाइयों का।

बंगाल में कट कल्चर ने निवेश का माहौल बिगाड़ा
मोदी ने कहा कि बंगाल में निवेश के लिए उत्साह की कमी नहीं है। मुसीबत है सरकार ने जो माहौल बनाया है, कट का कल्चर बनाया है, सिंडिकेट बनाया है, उससे निवेश का माहौल बिगड़ गया है। दुनिया में बंगाल का बेटा-बेटी कहीं भी है, वो बंगाल के लिए कुछ करना चाहता है। आज के बंगाल में किराये पर बिल्डिंग लेना हो, तो उसमें भी कट लगता है। बिना सिंडिकेट की इजाजत के किराये पर बिल्डिंग भी नहीं ले सकते। इस धारणा को बदलना है।

बंगाल में आसोल पोरिबर्तन लाना है
मोदी ने कहा कि बंगाल में यहां आसोल पोरिबर्तन (असली बदलाव) लाना है, कमल खिलाना है। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक सिंडिकेट का राज रहेगा। टोलाबाजों का राज रहेगा। कट कल्चर बंगाल में रहेगा। शासन-प्रशासन गुंडों को आश्रय देगा। कानून का राज स्थापित नहीं होगा। यह तब तक संभव नहीं है, जब तक आम लोगों की सुनवाई करने वाली सरकार यहां नहीं बनती।

हुगली में ही रैली क्यों?
हुगली में प्रधानमंत्री की रैली के पीछे कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह यह है कि हुगली में पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में हुगली से भाजपा की लॉकेट चटर्जी ने जीत दर्ज की थी। ऐसे में इस जीत को बरकरार रखने की कोशिश में मोदी की जनसभा यहां रखी गई है।

दो दिन बाद ममता की रैली
इस मैदान का अपना इतिहास है। यह इलाका एक समय में एशिया की सबसे बड़ी टायर फैक्ट्री रही डनलप का है, लेकिन डनलप फैक्ट्री को बंद हुए सालों हो चुके हैं। ऐसे में यहां के लोगों को मोदी से कुछ घोषणाओं की उम्मीद है। प्रधानमंत्री की रैली के 2 दिन बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जनसभा भी इसी मैदान में होने वाली है।

बंगाल में इन प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी

  • नोआपाड़ा और दक्षिणेश्वर के बीच मेट्रो सर्विस का उद्घाटन और हरी झंडी दिखाकर पहली ट्रेन की रवानगी। करीब 4.1 किमी लंबे ट्रैक के निर्माण पर 464 करोड़ रुपए की लागत आई है।
  • दक्षिण-पूर्व रेलवे के 132 किमी लंबे खड़गपुर-आदित्यपुर तीसरी लाइन प्रोजेक्ट के तहत कलाईकुंडा और झाड़ग्राम के बीच 30 किमी लंबे ट्रैक का उद्घाटन। कलाईकुंडा और झाड़ग्राम के बीच चार स्टेशनों को भी डेवलप किया गया है।
  • पूर्वी रेलवे के हावड़ा-बैंडेल-अजीमगंज खंड के तहत अजीमगंज और खारगराघाट रोड के बीच दोहरीकरण का लोकार्पण।
  • डानकुनी और बारुईपाड़ा के बीच चौथी लाइन और रसूलपुर और मागरा के बीच तीसरी रेललाइन सेवा का लोकार्पण।
  • बारानगर स्टेशन से नवापाड़ा तक मेट्रो रेल सर्विस।

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