सीधी बस हादसा के चश्मदीद का दावा- ड्राइवर मोबाइल पर बात कर रहा था, एक हाथ ही स्टेयरिंग पर था; स्पीड ब्रेकर पर बस उछली और नहर में जा गिरी
गुप्ता कहते हैं- हादसा पूरी तरह ड्राइवर की लापरवाही की वजह से हुआ। वो उस वक्त मोबाइल पर बात कर रहा था। उसके एक हाथ में मोबाइल तो दूसरे में स्टेयरिंग था। बस जैसे ही नहर किनारे से गुजरने लगी तो सामने स्पीड ब्रेकर आ गया।
मध्य प्रदेश के सीधी में 16 फरवरी को हुए बस हादसे में 54 लोगों की मौत हुई। हादसे की अब तक दो वजह बताई जा रहीं थीं। पहली- नहर किनारे की सड़क काफी संकरी थी। दूसरी- बस की रफ्तार तेज थी। अब इस घटना में बाल-बाल बचे चश्मदीद इनका नाम सुरेश गुप्ता है। वे रामपुर नैकिन के रहने वाले हैं। गुप्ता का दावा कहें या खुलासा, हैरान करने वाला है। वे कहते हैं- हादसे के वक्त ड्राइवर का एक ही हाथ स्टेयरिंग पर था। दूसरे हाथ में मोबाइल पकड़कर वह किसी से बात कर रहा था।
गुप्ता बिजली कर्मचारी हैं। 16 फरवरी को वे बहू पिंकी और पोते अथर्व के साथ इसी बस में सवार थे। बहू-पोते को तो खो दिया जबकि उन्हें गांव की युवती शिवारानी ने खींचकर बचा लिया था।
हादसे की कहानी सुरेश गुप्ता की जुबानी
गुप्ता कहते हैं- हादसा पूरी तरह ड्राइवर की लापरवाही की वजह से हुआ। वो उस वक्त मोबाइल पर बात कर रहा था। उसके एक हाथ में मोबाइल तो दूसरे में स्टेयरिंग था। बस जैसे ही नहर किनारे से गुजरने लगी तो सामने स्पीड ब्रेकर आ गया। बस सिर्फ तेज रफ्तार में ही नहीं थी, बल्कि ओवरलोड भी थी। ब्रेकर पर यह तेजी से उछली। ड्राइवर ने कंट्रोल खो दिया और इसे नहर की दूसरी तरफ टर्न करने की कोशिश की। इसी दौरान पिछला पहिया मुरम वाले हिस्से पर गया और फिर फिसलने लगा। ओवरलो़डिंग के चलते बस एक तरफ झुकने लगी और फिर नहर में जा गिरी।
ब्रेकर पर बस उछली और नहर में समा गई : पूर्व सरपंच
हादसे के दूसरे प्रत्यक्षदर्शी सारदा-पटना गांव के पूर्व सरपंच सुखीनंद विश्वकर्मा हैं। हादसे के वक्त वे थोड़ी ही दूरी पर मौजूद थे। सुखीनंद के मुताबिक बस तेज रफ्तार में थी। घटनास्थल से पहले नहर रोड पर हल्का सा ब्रेकर है। इस पर बस उछली और साइड में लगे पत्थर को तोड़ते हुए नहर में समा गई। छह लोगों को बचा लिया गया।
जाम के चलते पुलिस ने रूट डायवर्ट कर दिया था
घटना वाले दिन छुहिया घाटी पर चार दिन से लगे जाम के चलते पिपरांव चौकी की पुलिस ने ही नहर मार्ग से वाहनों को डायवर्ट किया था। यात्री बसों के अलावा दो पहिया और चार पहिया वाहनों को इसी रास्ते से पुलिस निकलवा रही थी। हादसे के बाद पुलिस वहां से हट गई और घटनास्थल पहुंची।
पांच दिन 65 घंटे चला रेस्क्यू
16 फरवरी को हादसे की सूचना पर सुबह 10 बजे जबलपुर एनडीआरएफ और सीधी एसडीआरएफ की टीम पहुंची थी। एनडीआरएफ में 24 जवान तो सीधी एसडीआरएफ के 12 जवानों ने पांच दिन तक चले इस रेस्क्यू में 65 घंटे का समय पानी में सर्चिंग में लगाया। इस दौरान टीम छुहिया घाटी के नीचे बने नहर के टनल में भी चार बार गई। शनिवार को आखिरी शव मिलने के बाद रेस्क्यू दोपहर एक बजे बंद हुआ।