दिशा रवि के समर्थन में ग्रेटा थनबर्ग:थनबर्ग ने कहा- बोलने की आजादी के हक से समझौता नहीं हो सकता, यह किसी भी लोकतंत्र का मूल अधिकार

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नई दिल्ली। इंटरनेशनल क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने शुक्रवार को टूलकिट केस में गिरफ्तार एक्टिविस्ट दिशा रवि का समर्थन किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि बोलने की आजादी और शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। किसी भी लोकतंत्र में यह मूल अधिकार होना चाहिए।

इससे पहले ग्रेटा ने 3 फरवरी को ट्विटर पर किसान आंदोलन से जुड़ी टूलकिट शेयर की थी। इसके अगले दिन उन्होंने एक द्वीट कर कहा था कि कोई भी ताकत उन्हें किसानों का समर्थन करने से रोक नहीं सकती।

दिशा ने निकिता और शांतनु पर ही आरोप लगाया
दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट ने शुक्रवार को दिशा को 3 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दिल्ली पुलिस शुक्रवार को दिशा को लेकर कोर्ट पहुंची। उसकी 5 दिन की रिमांड 19 फरवरी को खत्म हो रही थी। इसलिए पुलिस ने कोर्ट से 3 दिन की और रिमांड मांगी थी।

सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दिशा ने मामले में सह आरोपी शांतनु और निकिता जैकब पर सारे आरोप डाल दिए हैं। लिहाजा हम 22 फरवरी को दिशा, शांतनु और निकिता को आमने-सामने बैठाकर बातचीत कराना चाहते हैं।

जमानत याचिका पर सुनवाई कल
पुलिस ने यह भी कहा कि हमने शांतनु समेत कई लोगों को पूछताछ में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किए हैं। लिहाजा दिशा की न्यायिक हिरासत जरूरी है। इधर, दिशा ने जमानत अर्जी भी दायर की है, जिस पर शनिवार को सुनवाई होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई
इससे पहले दिशा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि लोगों के निजता के अधिकार, फ्रीडम ऑफ स्पीच और देश की संप्रभुता-अखंडता में बैलेंस होना चाहिए। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि रेगुलेशन ऑफ कंटेंट पूरी दुनिया के लिए विवादित मुद्दा रहा है। भारत इससे अछूता नहीं है।’

दिशा की ओर से याचिका दायर कर कोर्ट से मांग की गई थी कि दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वह FIR से जुड़ी कोई भी जानकारी थर्ड पार्टी को न दे, मीडिया को भी नहीं। हालांकि पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 मार्च के लिए टाल दी है।

जांच में बाधा नहीं आनी चाहिए : कोर्ट
याचिका में दिशा की ओर से कहा गया कि जांच की लीक हुई जानकारियों को लेकर दिल्ली पुलिस और मीडिया उन्हें जमकर निशाना बना रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह कानून के मुताबिक, प्रेस ब्रीफिंग कर सकती हैं। वहीं, मीडिया यह सुनिश्चित करे कि उसकी खबरें सत्यापित और प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त हों। संपादकीय टीमें यह सुनिश्चित करें कि प्रसारित होने वाली खबरें प्रमाणित हों। चैनल संपादक अपने कंटेंट पर नियंत्रण रखें ताकि जांच में बाधा न आए।

सनसनीखेज और पूर्वाग्रह से ग्रस्त रिपोर्टिंग हुई
कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया यह सुनिश्चित करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है कि कोई सनसनीखेज घटना न होने पाए, लेकिन हालिया कवरेज से पता चलता है कि उसने खुद सनसनीखेज और पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर रिपोर्टिंग की है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह तय करने के लिए कहा कि वह सुनिश्चित करें कि उनसे जुड़े लोग अनावश्यक या निंदा करने वाले बयान देने से बचें।

दिल्ली पुलिस पर जानकारी लीक करने का आरोप
दिशा रवि की ओर से उनके वकील सीनियर एडवोकेट अखिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि उन 3 न्यूज चैनलों (टीवी टुडे, टाइम्स नाउ और न्यूज-18) को निर्देश दिए जाए कि वह अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से उन रिपोर्ट्स को हटाएं, जिन्हें दिशा की वाट्सऐप चैट होने का दावा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जांच से जुड़ी ऐसी जानकारी (जो सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं हैं) को सार्वजनिक न करने का निर्देश भी दें। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने जांच की महत्वपूर्ण जानकारी मीडिया में लीक की।

पुलिस पर लगाए गए आरोप झूठे : एसवी राजू
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से कहा कि पुलिस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और मामले से जुड़ी ऐसी कोई जानकारी मीडिया के साथ साझा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि लीक हुआ संदेश 3 फरवरी का है, जबकि उसे 10 दिन बाद गिरफ्तार किया गया। उसने यह मैसेज पुलिस को बदनाम करने के इरादे से लोगों को भेजा। यह जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने का एक सिस्टमैटिक प्रयास है।

दिशा ने ही टूलकिट को ग्रेटा से शेयर किया था
दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी को दिशा को अरेस्ट किया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, फ्राइडे फॉर फ्यूचर कैम्पेन शुरू करने वालों में शामिल दिशा ने टूलकिट का गूगल डॉक बनाकर उसे सर्कुलेट किया। इसके लिए उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था। वे इस टूलकिट की ड्राफ्टिंग में भी शामिल थीं और उन्होंने ही अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से टूलकिट शेयर की थी।

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