दुनिया का सबसे तेज वैक्सीनेशन भारत में:अमेरिका-ब्रिटेन के बाद वैक्सीन आई, फिर भी एक महीने में 11वें से चौथे नंबर पर आया देश
नई दिल्ली। भारत में 16 जनवरी से दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ था। इस अभियान को एक महीना पूरा हो गया है। 16 फरवरी तक सरकार 88.57 लाख हेल्थवर्कर्स को कोरोना की वैक्सीन का पहला डोज लगा चुकी है। इनमें से सवा दो लाख को दूसरा डोज भी लग गया है।
इस एक महीने में ही हमने सबसे ज्यादा कोरोना की वैक्सीन लगाने की रेस में 11वें से चौथे नंबर तक का सफर तय किया है। 16 जनवरी को देश में 1.91 लाख हेल्थवर्कर्स को वैक्सीन लगी थी। उस दिन हम 11वें नंबर पर थे। ये हैरानी वाली बात इसलिए भी है, क्योंकि ब्रिटेन, जर्मनी और इटली जैसे देशों में हमसे पहले वैक्सीनेशन शुरू हो गया था, लेकिन आज हम उनसे ऊपर पहुंच गए हैं।
अमेरिका में 14 दिसंबर से वैक्सीनेशन शुरू हो गया था। उसे 90 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने में 35 दिन लग गए थे। ब्रिटेन में तो 8 दिसंबर से वैक्सीन लगनी शुरू हो गई और वहां 90 लाख लोगों को वैक्सीनेट करने में 50 दिन से ज्यादा का वक्त लग गया। इस हिसाब से देखा जाए तो सबसे तेज वैक्सीनेशन करने में भारत सबसे आगे है। यहां 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ और 30 दिन में ही करीब 90 लाख लोगों को वैक्सीन लग भी गई।
एक अच्छी बात यह भी है कि हमारी वैक्सीन अब तक सुरक्षित ही मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 16 फरवरी तक सिर्फ 36 लोग ही ऐसे थे, जिन्हें वैक्सीन लगाने के बाद अस्पताल में एडमिट कराने की जरूरत पड़ी। हालांकि वैक्सीन लगने के बाद 29 लोगों की जान भी गई है।
कोरोना की वैक्सीन पहले किसे लगेगी, इसकी प्रायोरिटी सरकार ने दिसंबर में ही तय कर ली थी। इस लिस्ट में 30 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है। इसमें 1 करोड़ हेल्थवर्कर्स और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ 27 करोड़ ऐसे लोग होंगे, जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा होगी या जो किसी तरह की गंभीर बीमारी से जूझ रहे होंगे।
देश में सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर हैं। यहां 9.34 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, जिसमें से 18 हजार से ज्यादा लोगों को तो दूसरा डोज भी लग गया है। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां 7.26 लाख लोगों को वैक्सीन लग गई है।
5 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने लोकसभा में बताया था कि अभी तक 1.74 करोड़ हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स ने ही कोविन-ऐप पर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इस हिसाब से सरकार ने जो 3 करोड़ हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाने का टारगेट रखा था, उसमें से 58% ने ही वैक्सीन लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है।
थोड़ी परेशानी यह भी है कि सरकार ने अगस्त 2021 तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट रखा है। अभी जिस रफ्तार से वैक्सीनेशन हो रहा है, अगर उसी रफ्तार से चला, तो अगस्त तक करीब 7 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लग पाएगी। यानी अगस्त तक सिर्फ 7 करोड़ लोग ही ऐसे होंगे, जिन्हें वैक्सीन के दोनों डोज लग सकेंगे।
वैक्सीनेशन पर कितना खर्च?
इस साल बजट में 35 हजार करोड़ रुपए कोरोना की वैक्सीन के लिए रखे गए हैं। 5 फरवरी को सरकार ने लोकसभा में बताया कि उसने अभी तक वैक्सीन के 1.65 करोड़ डोज खरीदे हैं। इनमें से 1.10 करोड़ डोज कोवीशील्ड और 55 लाख डोज कोवैक्सिन के हैं। इन्हें खरीदने के लिए सरकार ने 350 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
वहीं, 9 फरवरी को लोकसभा में दिए जवाब में सरकार ने बताया था कि 1 करोड़ हेल्थवर्कर्स और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना की वैक्सीन लगाने पर 480 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा 1,392 करोड़ रुपए वैक्सीन पर खर्च होंगे।
20 देशों को हमने 2 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज भेजे
दुनिया में वैक्सीन का सबसे बड़ा मार्केट भारत ही है। हमारे देश में हर साल 2.3 अरब वैक्सीन के डोज तैयार होते हैं। दुनियाभर में हर तीन में से दो बच्चों को जो वैक्सीन लगाई जाती है, वो भारत में ही बनती है।
यही वजह थी कि कोरोना की वैक्सीन को लेकर दुनिया के कई देश भारत की तरफ देख रहे थे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक अब तक 20 देशों को कोरोना के 2.29 करोड़ वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं। इसमें से करीब 65 लाख डोज मदद के रूप में, जबकि 1.65 करोड़ वैक्सीन डोज बेचे गए।
16 फरवरी तक भारत ने सबसे ज्यादा 70 लाख डोज बांग्लादेश को दिए हैं। उसके बाद 37 लाख डोज म्यांमार और 10 लाख डोज नेपाल को दिए हैं।