किसान आंदोलन का 84वां दिन:सिंघु बॉर्डर पर SHO पर हमला करने वाला अरेस्ट, 26 जनवरी को लाल किले में तलवार घुमाते दिखा आरोपी भी पकड़ा गया

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान 84 दिन से दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को बुधवार को 84 दिन हो गए हैं। किसान दिल्ली की सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने मंगलवार रात पुलिस अधिकारी पर तलवार से हमला कर दिया। इसके बाद वह पुलिस अधिकारी की गाड़ी लेकर भाग गया। घायल SHO को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस ने बुधवार को बताया कि आरोपी का नाम हरप्रीत सिंह है। उसने रात करीब 8 बजे सिंघु बॉर्डर पर यह वारदात की। पुलिस के जवानों ने PCR वैन से उसका पीछा किया। हरप्रीत ने मुकरबा चौक के पास फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ा दी। इसके बाद वह एक व्यक्ति से बाइक छीनकर फरार हो गया। पुलिस ने करीब 8.30 बजे उसे पकड़ लिया।

सूत्रों का कहना है कि आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि आरोपी पर कानूनी कार्रवाई चल रही है।

26 जनवरी हिंसा मामले में 1 और गिरफ्तारी
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान कथित तौर पर तलवार घुमाते दिखे मनिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि 30 साल का मनिंदर कार मैकेनिक है। उसे मंगलवार शाम करीब 7.45 बजे दिल्ली के पीथमपुरा से पकड़ा गया। उसके घर से 2 तलवारें भी बरामद हुई हैं।

DCP (स्पेशल सेल) प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि मनिंदर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह दोनों हाथों से तलवार घुमाकर भीड़ को उकसा रहा था। मनिंदर स्वरूप नगर में अपने घर के पास खाली प्लॉट में तलवार चलाने की ट्रेनिंग देता है। सोशल मीडिया की पोस्ट से उसके कट्टरपंथी होने का खुलासा हुआ है। वह अक्सर सिंघु बॉर्डर पर आता था और वहां के नेताओं के भाषणों से प्रेरित था।

किसान आंदोलन के राजनीतिक नुकसान से भाजपा चिंतित
किसान आंदोलन राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, इससे भाजपा की चिंता बढ़ रही है। उसका मानना है कि इसका जल्द हल नहीं निकला तो उसे चुनावो में जाट बहुल इलाकों में बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।

इन क्षेत्रों के सांसदों और विधायकों के फीडबैक के आधार पर पार्टी अब अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए इन नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र खासतौर पर जाट किसानों से लगातार संपर्क में रहने को कहा है।

जाट वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखने के लिए रणनीति बनाई
किसान आंदोलन से राजनीतिक नुकसान की आशंका को देखते हुए दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में मंगलवार को बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष शामिल हुए। इन नेताओं ने विधायकों और स्थानीय नेताओं से आग्रह किया कि वे इन क्षेत्रों में स्थानीय खापों, पंचायतों और सामुदायिक समूहों के साथ संपर्क करें ताकि पार्टी और सरकार की स्थिति को समझाया जा सके।

किसान आंदोलन के जारी रहने और पार्टी के जमीनी कैडर से मिले फीडबैक के बाद पार्टी नेतृत्व को यह बैठक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने 2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है। अब विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस जाटों को लुभाने का प्रयास कर रही है। प्रियंका गांधी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतों में शामिल हो रही हैं।

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