कृषि कानूनों पर राहुल ने मोदी को घेरा:कहा- प्रधानमंत्री कहते हैं कि उन्होंने ऑप्शन दिया है; पहला ऑप्शन भूख, दूसरा बेरोजगारी और तीसरा आत्महत्या है

बजट पर चर्चा की बजाय राहुल किसानों के मुद्दे पर बोलने लगे तो सत्ता पक्ष ने हंगामा कर दिया। स्पीकर ने भी राहुल को टोकते हुए कहा कि आप बजट पर बात कीजिए। राहुल बोले- आज देश को 4 लोग चलाते हैं, हम दो और हमारे दो, नाम सब जानते हैं नोटबंदी पर राहुल ने कहा- तब ये मंशा थी कि नोट निकालो और हम दो हमारे दो की जेब में डालो

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कृषि कानूनों का मुद्दा उठाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री कहते हैं कि उन्होंने ऑप्शन दिया है, लेकिन उनका पहला ऑप्शन भूख, दूसरा बेरोजगारी और तीसरा आत्महत्या है।’

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘पहले कानून का कंटेंट है कि कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी कितना भी अनाज, सब्जी, फल खरीद सकता है। अगर खरीदी देश में अनलिमिटेड होगी तो मंडी में कौन जाएगा? पहले कानून का कंटेंट मंडी को खत्म करने का है। दूसरे कानून का कंटेंट है कि बड़े से बड़े उद्योगपति अनाज, फल, सब्जी स्टॉक कर सकते हैं, कोई लिमिट नहीं है।’

राहुल बोले- चार लोग देश चला रहे हैं
राहुल ने कहा, ‘तीसरे कानून का कंटेंट है कि किसान जब उद्योगपतियों के सामने जाकर अपनी उपज का पैसा मांगें तो उसे अदालत में नहीं जाने दिया जाएगा। सालों पहले फैमिली प्लानिंग में नारा था- हम दो और हमारे दो। आज क्या हो रहा है, जैसे कोरोना दूसरे रूप में आता है, वैसे ही ये भी नए रूप पर आ रहा है। अब 4 लोग देश चला रहे हैं, उनका नारा है हम दो हमारे दो।’

‘पहली बार किसानों को भूख से मरना पड़ेगा’
राहुल ने कहा, ‘हम दो और हमारे दो इस देश को चलाएंगे। पहली बार हिंदुस्तान के किसानों को भूख से मरना पड़ेगा। ये देश रोजगार पैदा नहीं कर पाएगा। ये पहली कोशिश नहीं है। ये काम प्रधानमंत्री ने हम दो हमारे दो के लिए पहले नोटबंदी में शुरू किया था। पहली चोट नोटबंदी थी। तब ये मंशा थी कि नोट निकालो और हम दो हमारे दो की जेब में डालो।’

‘आपने किसानों, मजदूरों की रीढ़ तोड़ दी’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान जब गरीबों ने बस और ट्रेन का टिकट मांगा तो मना कर दिया। उन्होंने कहा कि तुम पैदल घर जाओगे। (बजट पर बोलने की मांग पर) मैं बजट पर भी बोलूंगा, मैं फाउंडेशन बना रहा हूं अभी। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और फिर कोरोना के समय उन्हीं 8-10 लोगों का कर्जा माफ कर दिया। हिंदुस्तान का रोजगार का भी सिस्टम है। स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्री खत्म हो गई। आज नहीं, कल भी ये देश रोजगार नहीं पैदा कर पाएगा, क्योंकि आपने किसान, मजदूर की और छोटे व्यापार की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी।’

राहुल ने कहा कि ये किसानों का आंदोलन नहीं है। ये देश का आंदोलन है। किसान सिर्फ रास्ता दिखा रहा है और वो अंधेरे में टॉर्च दिखा रहा है। एक आवाज में पूरा देश हम दो-हमारे दो के खिलाफ उठने जा रहा है।

‘कानून वापस लेना ही पड़ेगा’
राहुल बोले कि ये किसानों का आंदोलन नहीं है, ये देश का आंदोलन है। किसान सिर्फ रास्ता दिखा रहा है और वो अंधेरे में टॉर्च दिखा रहा है। एक आवाज में पूरा देश हम दो-हमारे दो के खिलाफ उठने जा रहा है। आप ये लिखकर ले लीजिए। आप सोचते हैं कि हिंदुस्तान के गरीब, मजदूर, किसान को हटा लोगे, पर वो एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। वो आपको हटा देगा। आपको कानून वापस लेना ही पड़ेगा।

राहुल के भाषण पर हंगामा, स्पीकर ने भी राहुल को टोका
राहुल के भाषण की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया था। उनके भाषण के दौरान कई बार नारेबाजी हुई। पीछे से आवाजें आईं कि यह कांग्रेस की मीटिंग नहीं है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी कई बार राहुल को टोकते हुए कहा कि आप बजट पर चर्चा कीजिए, लेकिन राहुल किसानों के मुद्दे पर बोलते रहे।

‘मैं बजट पर नहीं सिर्फ किसानों पर बोलूंगा’
भाषण के आखिर में राहुल बजट पर आए लेकिन बात किसानों की ही की। उन्होंने कहा, ‘अब बात करते हैं बजट की। सरकार ने तब कहा कि चर्चा किसानों के मुद्दे पर नहीं होगी। मैं बजट पर नहीं, सिर्फ किसानों के मुद्दे पर बोलूंगा और उसके बाद अपना मुंह चुप कर लूंगा। जो किसान शहीद हुए, उनको इन लोगों ने श्रद्धांजलि नहीं दी। मैं अपने भाषण के बाद उन शहीदों के लिए मौन रहूंगा।’

स्पीकर बोले- यह व्यवहार सदन के लिए गरिमामय नहीं
राहुल का भाषण खत्म होने के बाद स्पीकर बोले, ‘इस सदन को चलाने की जिम्मेदारी मुझे दी गई है। कोई कहेगा कि उत्तराखंड के लोगों पर श्रद्धांजलि दूंगा, कोई कहे कि बॉर्डर पर जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दूंगा। ये जिम्मेदारी मुझे दी है। इस तरह का व्यवहार सदन के लिए गरिमामय नहीं है। मैं आग्रह करूंगा कि हमें सदन के संचालन की जिम्मेदारी दी है और आपका कोई विषय हो तो मुझे भेज दें।’

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