यूपी में LGBT को नौकरी से निकाला:हाईकोर्ट ने बहाली का आदेश दिया, कहा- सेक्शुअल ओरिएंटेशन व्यक्ति का निजी मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक फैसले में कहा था कि किसी भी शख्स का सेक्शुअल ओरिएंटेशन उसकी निजी पसंद है।
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने LGBT कम्यूनिटी के एक होमगार्ड को फिर से नौकरी पर बहाल करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस सुनीता अग्रवाल की बेंच ने कहा कि संबंधित विभाग (UP होमगार्ड क्वार्टर्स) याचिकाकर्ता को तुरंत सर्विस पर वापस बुलाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि पिटीशनर सभी बकाये का हकदार होगा और उसे रेगुलर सभी मानदेय का भुगतान किया जाए।
11 जून 2019 को होमगार्ड्स के बुलंदशहर जिला कमांडेंट ने याचिकाकर्ता का अपॉइंटमेंट रद्द करने का आदेश दिया था। यह आदेश होमगार्ड का एक वीडियो वायरल के बाद जारी किया गया, जिसमें उसका सेक्शुअल ओरिएंटेशन यानी उसके LGBT समुदाय से होने का पता चला था। नौकरी से हटाए जाने के बाद होमगार्ड ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने कहा- अधिकारी ने अपनी धारणा के आधार पर आदेश जारी किया
पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मामले पर अधिकारियों को 10 दिन में जवाब देने के लिए कहा था। उनका जवाब पढ़ने के बाद कोर्ट ने कहा कि पैराग्राफ 8 से पता चलता है कि आदेश जारी करने वाले अधिकारी ने अपनी धारणा के आधार पर यह फैसला लिया। याचिकाकर्ता के सेक्शुअल ओरिएंटशन को गलत गतिविधियों में शामिल होना कहा गया।
हाईकोर्ट ने कहा, ‘यह सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक फैसले में कहा था कि किसी भी शख्स का सेक्शुअल ओरिएंटेशन उसकी निजी पसंद है। इसे अपराध मानना उसकी निजता के अधिकार में दखल होगा।’
हाईकोर्ट के मुताबिक- सुप्रीम कोर्ट साफतौर पर कह चुका है कि LGBT समुदाय के सदस्यों के पब्लिकली अपने पार्टनर से प्यार जाहिर किए जाने में एक बड़े वर्ग की राय (मेजॉरिटी परसेप्शन) अड़ंगा नहीं डाल सकती। यह किसी को परेशान करने के लिए नहीं है। लिहाजा हाईकोर्ट ने अधिकारी का आदेश रद्द कर दिया। उन्होंने होमगार्ड्स हेड क्वार्टर, लखनऊ के कमांडेंट जनरल को याचिकाकर्ता को तुरंत प्रभाव से नौकरी में वापस लेने का निर्देश दिया।