अब खुद घिर गईं रिहाना:रिहाना को खालिस्तानी PR फर्म से 18 करोड़ मिलने का दावा, अपने प्रोडक्ट के लिए उन्हें भारत के बाल मजदूरों की भी फिक्र नहीं

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) ने एक ग्लोबल कैंपेन शुरू करने में अहम भूमिका निभाई। इसे कनाडा स्थित एक्टिविस्ट और राजनीतिज्ञों ने सपोर्ट किया।

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नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर भारत पर सवाल उठाने वाली अमेरिकन सिंगर अब खुद कई विवादों में हैं। पहला विवाद उनके किसान आंदोलन के समर्थन में पोस्ट करने को लेकर है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस पोस्ट के लिए उन्हें कनाडा की पीआर फर्म ने 18 करोड़ रुपए दिए थे, जो खालिस्तान समर्थक से जुड़ी है। दूसरा विवाद उनकी कंपनी फैंटी ब्यूटी के प्रोडक्ट को लेकर है। इसके लिए जरूरी रॉ मटेरियल का ज्यादातर हिस्सा भारत से जाता है। दावा है कि भारत के गरीब किसानों के बच्चे खदानों में मजदूरी कर इस रॉ मटेरियल को निकालते हैं। किसान आंदोलन पर पोस्ट के बाद 3 विवादों में घिरीं रिहाना…

1. रिहाना ने पोस्ट के लिए पैसे लिए
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) ने एक ग्लोबल कैंपेन शुरू करने में अहम भूमिका निभाई। इसे कनाडा स्थित एक्टिविस्ट और राजनीतिज्ञों ने सपोर्ट किया। रिपोर्ट के मुताबिक, स्काई रॉकेट नाम की एक पीआर फर्म ने रिहाना को किसान आंदोलन के समर्थन में पोस्ट करने के लिए 2.5 मिलियन डॉलर यानी करीब 18 करोड़ रुपए दिए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिस टूल किट को स्वीडन की एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी पोस्ट में शेयर किया था, वह भी उन तक पहुंचाई गई थी ताकि भारत के खिलाफ नफरत पैदा करने की बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा सके।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिहाना को पैसे देने वाली पीआर फर्म का डायरेक्टर धालीवाल है। यह भी कहा जा रहा है कि धालीवाल ने ही उस टूल किट को बनाया था, जिसे थनबर्ग ने अपनी पोस्ट में शेयर किया। धालीवाल खालिस्तान समर्थक है। उसने पिछले साल सितंबर में एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात को स्वीकार किया था। उसने पोस्ट में लिखा था, ‘मैं एक खालिस्तानी हूं। आप ये नहीं जानते होंगे, क्योंकि खालिस्तान एक विचार है। खालिस्तान एक जिंदा और सांस लेता आंदोलन है।’

2. रिहाना की कंपनी चाइल्ड लेबर का ऑडिट नहीं करवाती
रिहाना की कॉस्मेटिक कंपनी फैंटी ब्यूटी कैलिफॉर्निया ने खुलासा किया है कि वो चाइल्ड लेबर और ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर अपने सप्लायर्स का ऑडिट नहीं करवाती है। कंपनी ने कहा कि वह सप्लायर्स से ही उम्मीद करती है कि वे नियमों का ध्यान रखें।

विवाद यहीं शुरू होता है। IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान आंदोलन का समर्थन कर रही रिहाना की कंपनी बहुत अच्छी तरह से यह जानती है कि ब्यूटी इंडस्ट्री में बाल मजदूरी करवाई जाती है। इसमें ज्यादातर गरीब किसानों के बच्चे ही होते हैं। रिहाना की कंपनी जानती है कि उनके ब्यूटी प्रोडक्ट के लिए सबसे जरूरी रॉ मटेरियल मीका4 भारत की उन खदानों से निकाला जाता है, जहां बच्चे मजदूरी करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर हालात से वाकिफ रिहाना की कंपनी मुनाफे के लिए नियमों से बचकर गरीब बच्चों का जीवन खतरे में डाल रही है।

जबकि, अमेरिका के कैलिफोर्निया में चाइल्ड लेबर को लेकर नियम स्पष्ट हैं। कैलिफोर्निया के ट्रांसपेरेंसी इन सप्लाई चेन एक्ट के मुताबिक, रिटेलर्स और मैन्युफैक्चरर्स को अपने ग्राहकों को बताना पड़ता है कि वो बाल मजदूरी (चाइल्ड लेबर), गुलामी (स्लेवरी) और मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) को रोकने के लिए क्या कोशिशें कर रहे हैं। जानकारी वेबसाइट पर देनी होती है और जिन कंपनियों की वेबसाइट नहीं हैं उन्हें लिखित में यह बताना होता है।

3. पाकिस्तान का कनेक्शन मिला
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने इंटेलीजेंस के सूत्रों के हवाले से बताया कि रिहाना ने कुछ ऐसे कंटेंट भी सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किए हैं, जिन्हें पाकिस्तान स्थित भारत विरोधी कट्टरपंथी संगठनों ने महीनों पहले प्लान कर रखा था।

इसके अलावा एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें रिहाना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के असिस्टेंट और कैबिनेट मिनिस्टर जुल्फी बुखारी के साथ दिख रही हैं। इस पर सोशल मीडिया यूजर कमेंट कर रहे हैं कि अब पता चला कि रिहाना किसान आंदोलन की इतनी चिंता क्यों कर रही हैं? कुछ लोग उन्हें पाकिस्तानी एजेंट भी कह रहे हैं।

हालांकि, वायरल पोस्ट की एक फोटो की पड़ताल  की है। जिसमें ये फोटो फेक निकली है। इसमें रिहाना पाकिस्तानी झंडे में दिखाई दे रही हैं। लेकिन, पड़ताल में पता चला है कि ये फोटो ICC ने 1 जुलाई 2019 को ट्वीट की थी। श्रीलंका और वेस्टइंडीज के मैच के दौरान रिहाना वेस्टइंडीज का झंडा लिए दिखाई पड़ी थीं।

किसान आंदोलन पर रिहाना की पोस्ट 2.20 लाख ने री-ट्वीट की
रिहाना ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर अमेरिकी न्यूज चैनल CNN की एक खबर मंगलवार रात सोशल मीडिया पर शेयर की। रिहाना ने लिखा था कि हम भारत के किसान आंदोलन पर बात क्यों नहीं कर रहे हैं? 11 करोड़ ट्विटर फालोअर्स वाली रिहाना की इस पोस्ट को 2.20 लाख लोगों ने री-ट्वीट किया।

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