पंजाब की पंचायतें अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कर रहीं किसान आंदोलन को लेकर जुर्माने के प्रस्ताव पास, माहिर बोले-कानूनन गलत

Punjab Panchayat पंजाब में पंचायतें अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कदम उठा रही हैं। राज्‍य में पंचायतों में प्रस्‍ताव पारित कर किसान आंदाेलन मेें भाग लेने को कहा जा रहा है। इसके साथ ही इसमें भाग न लेने पर जुर्माने भी लगाए जा रहे हैं।

चंडीगढ़। दिल्‍ली के लाल किले में किसानों के उपद्रव के बाद आंदोलन कमजोर होने लगा, तो पंजाब में ग्राम पंचायतों ने मनमानी करते हुए अनोखा तरीका अपना लिया। पंजाब के पांच जिलों में 20 से अधिक पंचायतों ने प्रस्ताव पारित कर हर घर से एक व्यक्ति के दिल्ली आंदोलनों में जाने का आदेश दिया है। जिस घर से कोई व्यक्ति आंदोलन में नहीं जाएगा, उसे जुर्माना देना होगा। जुर्माना न देने की सूरत में उस परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। पंचायतें भले ही ऐसे प्रस्ताव कर रहीं हों, लेकिन पंचायती राज एक्ट में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है।

कानूनविद बोले- पंचायती राज एक्ट में लोगों को जबरन धरने में भेजने या जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रदीप रापडिय़ा कहते हैं कि पंचायती राज एक्ट के अनुसार पंचायतें सिर्फ समाज कल्याण के कार्यों को लेकर प्रस्ताव पारित कर उन्हें न मानने वालों पर जुर्माना लगा सकती हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई पंचायत यह प्रस्ताव पारित करती है कि गांव में गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी, तो वह जुर्माना लगा सकती है, लेकिन किसी व्यक्ति को जबरन धरने में शामिल होने के आदेश देने का अधिकार पंचायत के पास नहीं है। पंचायत इस धरने में शामिल न होने पर जुर्माना नहीं लगा सकती है।

पटियाला, बठिंडा, मानसा, फिरोजपुर और फरीदकोट की 20 से ज्यादा पंचायतें पारित कर चुकी प्रस्ताव

पटियाला के सीनियर एडवोकेट मनोज कुमार सोइन ने भी कहा कि पंचायती राज एक्ट के तहत पंचायतों के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह पब्लिक को किसी धरने में शिरकत करने के आदेश जारी करें।  आदेश न मानने पर किसी प्रकार का जुर्माना लगाना एक्ट का उल्लंघन है। वहीं, पंचायती राज मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा इस बारे में कोई भी बात करने को राजी नहीं हैं।

प्रस्ताव पारित करने की शुरुआत बठिंडा की विर्क खुर्द पंचायत ने शुक्रवार को की और धरने में न जाने पर 1500 रुपये जुर्माने का प्रस्ताव पास किया। इसके बाद पटियाला जिले की छह ग्राम पंचायतों वजीदपुर, बलबेड़ा, डकाला, कक्केपुर, खेड़ी गुरना और खानपुर बंगर ने शनिवार को प्रस्ताव पारित किया। यह भी तय किया गया है कि दिल्ली जाने वाले किसान अपने साथ आवश्यक राशन सामग्री भी लेकर जाएंगे।

गांव खेड़ी गुरना की पंचायत ने तय किया है कि गांव से जाने वाले लोगों के प्रत्येक एक चक्कर में आठ लोग जाएंगे और चार दिन दिल्ली बार्डर पर रहेंगे। अगर किसी ने नहीं जाना तो उसे प्रतिदिन 500 रुपये का भुगतान करना होगा या फिर उसे अपने बदले किसी अन्य व्यक्ति को भेजना होगा। हर किसान से प्रति किले दो सौ रुपये भी वसूल किए जाएंगे। यह राशि किराये पर खर्च होगी। गांव खानपुर बंगर की पंचायत ने तय किया है कि आंदोलन में न जाने वाले किसान परिवार से 1100 रुपये जुर्माना लिए जाएंगे। किसी व्यक्ति को कुछ नुकसान होता है तो उसका मुआवजा पूरा गांव वहन करेगा।

पांच हजार रुपये तक जुर्माने का प्रस्ताव

फिरोजपुर जिले के गांव महिमा, गट्टी, शकूर, खलचियां, वाड़ा भाईका, कबरवच्छा शहजादी, मिर्जाके, घल्लखुर्द, जंडवाला, रत्तेवाला, बुकनवालां, बठिंडा के गांव कुटी किशनपुरा, गांव गोनियाना कला, मलकाना और मानसा के गांव सिरसीवाला, डेलुआना, रमदित्तेवाला और जोड़किया में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित किया गया।

फरीदकोट की गांव पक्खी कलां की पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर फैसला लिया है कि गांव के हर सप्ताह 18 लोग दिल्ली आंदोलन में जाएंगे। जो दिल्ली नहीं जाएगा उस पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माना न देने वाले का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। इसी तरह गांव डोड की पंचायत ने भी हर पांच दिन के भीतर 15 लोगों को दिल्ली धरने में भेजने का फैसला किया है। प्रस्ताव न मानने पर 1500 रुपये जुर्माने और जुर्माना न देने पर सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव पारित किया है।

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