इकोनॉमिक सर्वे 2020-21:फाइनेंशियल ईयर 2022 में 11% ग्रोथ की उम्मीद, हेल्थकेयर पर GDP का 3% खर्च करने का टारगेट

इकोनॉमिक सर्वे में FY-2022 में V शेप वाली तेज रिकवरी की उम्मीद जताई गई है वित्त वर्ष 2021 में वृद्धि दर नकारात्मक रहने के आसार, यह -7.7% रह सकती है

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के पहले दिन संसद में 2020-21 आर्थिक सर्वे पेश किया। सर्वे के मुताबिक कोरोना की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में GDP में 7.7% गिरावट का अंदेशा है। लेकिन, इसके बाद V-शेप यानी तेज रिकवरी होगी। इसलिए 2021-22 में GDP में 11% ग्रोथ रहेगी। फिर भी इकोनॉमी को महामारी से पहले के स्तर तक आने में दो साल लगेंगे।

कोरोनावायरस के चलते लॉकडाउन से अप्रैल से जून 2020 के दौरान GDP का आकार 23.9% घट गया था। अनलॉक शुरू होने के बाद स्थिति सुधरी तो सितंबर तिमाही में गिरावट सिर्फ 7.5% की रह गई। इस तरह, 2020-21 की पहली छमाही में जीडीपी का आकार 15.7% घटा है। सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि दूसरी छमाही में सिर्फ 0.1% गिरावट रहेगी। हालांकि इसकी बड़ी वजह सरकारी खर्च का बढ़ना है। 20 जनवरी तक सरकारी कंपनियों के शेयर बेचकर, यानी विनिवेश से सरकार को सिर्फ 15,220 करोड़ रुपए मिले हैं। बजट में इसके लिए 2.1 लाख करोड़ रुपए का टार्गेट रखा गया था।

कृषि विकास दर 3.4% रहेगी, इंडस्ट्री और सर्विसेज में निगेटिव ग्रोथ

इस साल इकोनॉमी के लिए सबसे बड़ा सहारा खेती ही है। इसकी विकास दर 3.4% रहने की उम्मीद है। GDP में इसकी हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। 2019-20 में यह 17.8% थी, इस साल 19.9% हो जाएगी। कृषि के अलावा इकोनॉमी के दो सेक्टर हैं इंडस्ट्री और सर्विसेज। इंडस्ट्री में मौजूदा वित्त वर्ष में 9.6% गिरावट रहने का अंदेशा है। सर्विस सेक्टर की ग्रोथ भी -8.8% रहेगी।

देश में 85% छोटे किसान, नए कृषि कानूनों से उन्हें फायदा

नए कृषि कानूनों के विरोध में भले ही किसान दो महीने से आंदोलन कर रहे हों, सर्वे में इन कानूनों की तारीफ की गई है। इसके मुताबिक नए कानूनों से छोटे किसानों को फायदा होगा। प्रोसेसर, होल सेलर और बड़े रिटेलर्स के साथ सौदा करते वक्त किसानों के पास ज्यादा अधिकार होंगे। देश के कुल किसानों में 85% छोटे किसान ही हैं।

खेती में अनिश्चितता को देखते हुए अभी रिस्क किसानों के लिए रहता है। नए कानूनों से रिस्क उनके लिए होगा जो किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट खेती की डील करेंगे। किसान अपनी फसल की कीमत तय कर सकेंगे। उन्हें इसकी पेमेंट भी तीन दिन में मिल जाएगी। कॉन्ट्रैक्ट खेती से खेती में नई टेक्नोलॉजी भी आएगी।

हेल्थकेयर पर सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत

सर्वे में हेल्थकेयर पर सरकारी खर्च जीडीपी का 2.5 से 3% तक ले जाने की बात कही गई है। 2017 की नेशनल हेल्थ पॉलिसी में भी यह लक्ष्य रखा गया था। इसके बावजूद अभी यह 1% के आसपास ही है। इंटरनेट कनेक्टिविटी और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर में खर्च बढ़ाना चाहिए। टेलीमेडिसिन को भी बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए इनोवेशन जरूरी

सर्वे में आर्थिक वृद्धि दर तेज करने के लिए अपनाए जा सकने वाले उपायों का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि अभी भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है। अगर इसे तीसरे स्थान पर पहुंचना है तो इनोवेशन पर ध्यान देना पड़ेगा।

कोरोना की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी में भी इस साल 4.4% गिरावट रहेगी। यह एक सदी में सबसे बड़ी गिरावट होगी। सर्वे के अनुसार विकसित देशों की इकोनॉमी को कोरोना के कारण ज्यादा नुकसान हुआ है।

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