दिल्ली हिंसा: आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज, राकेश टिकैत को मिला 3 दिन का वक्त

Delhi Farmers Violence: पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को भी नोटिस दे दिया है. पुलिस ने टिकैत से हिंसा में शामिल लोगों के नाम बताने के लिए कहा है. प्रतिक्रिया देने के लिए टिकैत को तीन दिनों का समय दिया गया है.

नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर किसानों की ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) के दौरान हिंसा मचाने वालों को राहत देने के मूड में नहीं है. खबर है कि हिंसा के चलते पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है. इसके अलावा कई किसान नेताओं के पासपोर्ट भी जब्त किए जाएंगे. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है और आईपीसी की धारा 124A (सेडिशन) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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खबरें आ रही हैं कि किसान नेताओं समेत हिंसा के आरोपियों से पुलिस पासपोर्ट सरेंडर करने की मांग कर सकती है. प्रशासन आरोपियों को विदेश भागने से रोकने के लिए यह कदम उठा सकता है. वहीं, कई लोगों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (Lookout Notice) जारी किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एफआईआर में नाम शामिल 37 नेताओं में से 20 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी हुआ है.

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वहीं, पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को भी नोटिस दे दिया है. पुलिस ने टिकैत से हिंसा में शामिल लोगों के नाम बताने के लिए कहा है. प्रतिक्रिया देने के लिए टिकैत को तीन दिनों का समय दिया गया है. खास बात है कि हिंसा के बाद से सरकार और प्रशासन अलर्ट मोड पर हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोप
कल संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संबोधन होना है. उनके इस संबोधन के खिलाफ विपक्षी दल एक हो गए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हम 16 राजनीतिक पार्टियों की तरफ से एक बयान जारी कर रहे हैं कि हम कल होने वाले राष्ट्रपति के संबोधन का बहिष्कार करेंगे.’ उन्होंने कहा है कि सदन में कृषि कानूनों को जबरदस्ती पास किया गया है.

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इसके अलावा 16 दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा में केंद्र की भूमिका की जांच की मांग की है. इस संयुक्त बयान को कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, शिवसेना, आरजेडी, सीपीएम, आईयूएमएल, पीडीपी, एमडीएमके समेत कई दलों ने साइन किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है, ‘हम किसानों के साथ हैं और इन कानूनों की वापसी चाहते हैं. ये कानून जबरदस्ती पास किए गए हैं.’ खास बात है कि हिंसा के बाद स्थानीय लोगों ने भी आंदोलन स्थल पर पहुंचकर किसानों के खिलाफ नारेबाजी की है.

 

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