पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी, आरोप कितने भी गंभीर हों, जांच का मौका दिए बगैर सेवा नहीं हो सकती खत्म

हरियाणा के कैथल में यौनशोषण मामले में एक टीचर की बर्खास्तगी मामले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कहा कि मामला कितना भी गंभीर हो बिना जांच का मौका दिए किसी को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ चाहे कितने भी गंभीर आरोप हों, उसे संवैधानिक तरीके को नजरअंदाज कर बिना किसी जांच के नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।

हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार ने यह आदेश हरियाणा के कैथल जिले के एक स्कूल में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (अंग्रेजी) को सरकार द्वारा नौकरी से बर्खास्त करने के आदेश को चुनाैती देने वाला याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। हाई कोर्ट ने सरकार के बर्खास्तगी आदेश को भी रद करने का आदेश दिया। टीचर पर छात्राओं का यौन शोषण करने के आरोप में मामला दर्ज था, जिसके बाद हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने 20 फरवरी 2020 को एक आदेश के तहत उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

सरकार द्वारा बिना जांच किए हरियाणा के राज्यपाल के आदेश के तहत तुंरत सेवा को समाप्त करने का फरमान जारी कर दिया गया। हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को रद करते हुए साफ कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (बी) के तहत किसी भी कर्मचारी की बिना जांच के सेवाओं से बर्खास्त नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि किसी भी कर्मचारी को उचित जांच और सुनवाई का अवसर देकर सभी तथ्यों व कारण को रिकार्ड पर लेकर ही कर्मचारी की सेवा पर निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन इस मामले में केवल राज्यपाल के आदेश के तहत सेवा को समाप्त करने का आदेश देकर संवैधानिक तरीके को नजरअंदाज किया गया है।

कोर्ट ने कहा प्रभावित पक्ष को बगैर सुने एक तरफा आदेश जारी कैसे किया जा सकता है। अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई में आरोपित को जवाब देने का कानूनी हक है। उसे इस तरह का हक दिए बगैर निर्णय ले लेना उचित नहीं ठहराया जा सकता।

Leave A Reply

Your email address will not be published.