किसानों के समर्थन में विदेशों में प्रदर्शन:अमेरिका और इटली में भारतीय दूतावास के सामने नारेबाजी, दीवारों पर लिखा- खालिस्तान जिंदाबाद

मंगलवार को वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के सामने प्रदर्शन करते खालिस्तान समर्थक। इस तरह के प्रदर्शन पिछले महीने भी हुए थे।

वॉशिंगटन. अमेरिका और इटली में कुछ खालिस्तान समर्थकों ने मंगलवार को किसानों के समर्थन में भारतीय दूतावास के सामने प्रदर्शन और नारेबाजी की। इन लोगों के हाथ में खालिस्तान के झंडे देखे गए। हालांकि, इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं थी। प्रदर्शनकारियों ने किसानों की मांगों का समर्थन किया और कहा कि भारत सरकार को नए कृषि कानून वापस लेने चाहिए।

इटली में भी इसी तरह का प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन करने वालों ने दूतावास के बाहर अपना झंडा लगा दिया। रात के अंधेरे में दीवारों पर खालिस्तान जिंदाबाद लिख दिया। इसका वीडियो वायरल कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इटली सरकार के सामने इन देश विरोधी हरकतों पर चिंता जाहिर की है।

अमेरिका में प्रदर्शन करने वाले बोले- 26 जनवरी काला दिन

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, वॉशिंगटन डीसी में इंडियन एम्बेसी के बाहर प्रदर्शन का आयोजन सिख डीएमवी यूथ एंड संगत नाम के संगठन ने किया। प्रदर्शन में शामिल एक नेता नरेंदर सिंह ने कहा, ‘हम हर साल 26 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन इस साल हम किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करने आए हैं। ये किसान सिर्फ सिख नहीं हैं। इनमें दूसरे मजहबों के लोग भी शामिल हैं।’ कुछ प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दिल्ली में हिंसा के लिए पुलिस जिम्मेदार है, उसने ही किसानों को भड़काया।

यह पहली बार नहीं है, जब अमेरिका में भारतीय दूतावास के सामने खालिस्तानियों ने प्रदर्शन किया हो। पिछले महीने भी इस तरह का प्रदर्शन किया गया था। तब महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पेंट भी डाला गया था।

कनाडा के पीएम ने भी किया था किसान आंदोलन का समर्थन

पिछले महीने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया था। गुरुनानक देव के 551वें प्रकाश पर्व पर एक ऑनलाइन इवेंट के दौरान ट्रूडो ने कहा कि भारत से किसानों के आंदोलन के बारे में खबर आ रही है। स्थिति चिंताजनक है और सच्चाई ये है कि आप भी अपने दोस्तों और परिवारों को लेकर फिक्रमंद हैं। मैं याद दिलाना चाहता हूं कि कनाडा ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से विरोध के अधिकार का समर्थन किया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के बयान को खारिज कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कनाडाई पीएम का बयान गलत जानकारी पर आधारित और गैरजरूरी है। सियासत के लिए कूटनीतिक बयानों का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए।

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