उन्होंने घटना की जांच नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से कराने की मांग की है। एक निजी चैनल से बातचीत में सांसद का यह बयान आया है। सिख फॉर जस्टिस अमेरिका में एक्टिव संगठन है और अलग देश खालिस्तान की मांग का समर्थक है।
खालिस्तान मूवमेंट में शामिल संगठनों के शामिल होने का आरोप
पहले भी इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि किसान आंदोलन में खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े कई संगठन एक्टिव हैं। ये आंदोलन के बहाने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ा रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर कुछ हफ्ते पहले मुफ्त पगड़ी पहनाने का कार्यक्रम किया गया था।
इसके साथ लगे बुक स्टॉल से ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाला और पंजाब में अलगाववाद का समर्थन करने वाले उनके साथियों का महिमामंडन करने वाली किताब शहीद-ए-खालिस्तान बांटी गई थी। हालांकि, किसान नेताओं ने इन आरोपों को भाजपा और केंद्र सरकार की साजिश बताया था।
इंडिया गेट पर खालिस्तानी झंडा फहराने पर रखा था इनाम
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ी एक पोस्ट वायरल हुई थी। इसमें अपील की गई थी कि 26 जनवरी को इंडिया गेट पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को ढाई लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 1.82 करोड़ रुपए) का इनाम दिया जाएगा। यह अपील सिख फॉर जस्टिस की ओर से ही की गई थी।
2007 में की गई थी स्थापना
SFJ की स्थापना 2007 में हुई थी। इसका मकसद खालिस्तान नाम के आजाद देश की स्थापना करना है। संगठन का सबसे बड़ा चेहरा गुरपतवंत सिंह पन्नून है। उसने पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है। वह अमरीका में रहते हैं और SFJ के लीगल एडवाइजर भी हैं।
SFJ 2018 में सुर्खियों में आया। तब उसने लंदन में खालिस्तान के समर्थन में रैली निकाली और ऐलान किया कि वह पंजाब को भारत से अलग करने के लिए एक जनमत संग्रह करने जा रहा है। इस जनमत संग्रह को SFJ ने ‘रेफरेंडम 2020’ का नाम दिया था। संगठन ने घोषणा की थी कि पंजाब के साथ ही इस जनमत संग्रह में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले सिख भी हिस्सा लेंगे।