COVID-19 Vaccination: चीन को हजम नहीं हो रही भारत की वैक्सीन डेप्लोमेसी, कोविशील्ड के बारे में फैला रहा झूठ

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत की वैक्सीन (Covid-19 Vaccination) मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर सवाल उठाए हैं. ग्लोबल टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि चीन में रहने वाले भारतीय चीनी वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं.

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बीजिंग. देश में कोरोना वायरस के खि‍लाफ युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन (COVID-19 Vaccination) चल रहा है. दूसरी तरफ भारत ने अपने पड़ोसी देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है. भारत अपने करीब 10 पड़ोसी देशों को वैक्सीन सप्लाई (Vaccine Maitri) करने जा रहा है. इनमें से भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को वैक्सीन भेजी जा रही है, जबकि श्रीलंका, अफगानिस्तान, और मॉरिशस से बातचीत चल रही है. कोरोना वैक्सीनेशन में भारत की इस कामयाबी चीन को हजम नहीं हो रही. लिहाजा चीन मेड इन इंडिया वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) का दुष्प्रचार करने में जुटा है.

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सीरम इंस्टीट्यूट में आग लगने की घटना के बाद भारत के वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता पर सवाल उठाए हैं. ग्लोबल टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि चीन में रहने वाले भारतीय चीनी वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि पेशेंट्स राइट्स ग्रुप ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क का कहना है कि सीरम ने कोविशील्ड को लेकर ब्रीजिंग स्टडी को पूरा नहीं किया है.

चीन ने गरीब देशों को दिया कम रेट पर वैक्सीन का ऑफर
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने बहुत कम रेट पर उन देशों को वैक्सीन देने का ऑफर दिया है, जहां वह राजनीतिक और आर्थिक रूप से अपने पैर पसारना और प्रभाव जमाना चाहता है. इसमें नेपाल और मालदीव शामिल है. हालांकि, नेपाल में ड्रग रेगुलेटर ने अभी तक चीनी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है. जबकि, मालदीव सरकार के सूत्रों का कहना है कि चीन की तरफ से कोविड-19 वैक्सीन की किसी भी तरह की सप्लाई को लेकर कोई संकेत नहीं मिले हैं.

चीन की साइनोवैक कंपनी ने बनाई है कोरोनैवैक वैक्सीन
बीजिंग की दवा निर्माता कंपनी साइनोवैक, कोरोनावैक नामक वैक्सीन का निर्माण कर रही है जो कि एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है. यह वायरस के कणों को मार देता है ताकि शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस के ख़िलाफ़ काम करना शुरू करे, इसमें गंभीर बीमारी के असर का ख़तरा नहीं होता है. पश्चिम में बनी मॉडर्ना और फ़ाइज़र वैक्सीन से अगर तुलना की जाए तो ये mRNA वैक्सीन हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि इनमें कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड के हिस्सों को शरीर में डाला जाता है जो कि शरीर में जाकर वायरल प्रोटीन को सक्रिय करते हैं. इसमें पूरा वायरस नहीं होता है सिर्फ़ उतना होता है जो कि प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्यून सिस्टम को हमले के लिए तैयार करता है.

वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा भारत

बता दें कि भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि कई देशों ने हमारी वैक्सीन में रुचि दिखाई है. हम वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग का हब हैं. सरकार ने यह भी कहा कि भारत साझेदार देशों को चरणबद्ध तरीके से टीके की आपूर्ति जारी रखेगा. चीन की तरफ से भारत की भारत की तरफ से सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, मोरक्को, बांग्लादेश और म्यांमार को वैक्सीन की सप्लाई कर रहा है. इतना ही नहीं, चीन के करीबी देश कंबोडिया ने भी भारत से वैक्सीन देने का आग्रह किया है.

अफगानिस्तान से वैक्सीन को लेकर चल रही बात
भारत और अफगानिस्तान के बीच वैक्सीन को लेकर बातचीत जारी है. भारत का कहना है कि अफगानिस्तान में स्थानीय रेगुलेटर की तरफ से वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाने के बाद उसे वैक्सीन की खेप की सप्लाई की जाएगी. भारत ने अफगानिस्तान को भरोसा दिलाया है कि वह उसकी प्राथमिकता सूची में ऊपर है. भारत की तरफ से 27 जनवरी को श्रीलंका को कोरोना वैक्सीन 5 लाख डोज दी जाएगी.

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