पाकिस्तानी आतंकियों का नया पैंतरा:कश्मीर में इंटरनेट स्लो इसलिए वॉट्सऐप-फेसबुक नहीं; तुर्की के ऐप का इस्तेमाल कर रहे, जो 2G पर भी चलता है

जम्मू-कश्मीर में सेना की सतर्कता की वजह से पाकिस्तान घुसपैठ की कोशिशों में कामयाब नहीं हो पा रहा है। इसलिए अब वह मैसेजिंग ऐप के जरिए घाटी में आतंक फैलाने की फिराक में है।

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नई दिल्ली। वॉट्सऐप-फेसबुक जैसे ऐप की प्राइवेसी पर जारी कंट्रोवर्सी के बीच आतंकियों ने नया पैंतरा अपनाया है। कश्मीर में आतंकियों की भर्ती और युवाओं को भड़काने के लिए पाकिस्तान के आतंकी संगठन और हैंडलर्स अब नए ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें तुर्की की कंपनी द्वारा बनाया गया ऐप भी शामिल है। इससे स्लो इंटरनेट में भी काम किया जा सकता है।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सैन्य अधिकारियों का कहना कि एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के पास से मिले सबूत और सरेंडर करने वाले आतंकियों के जरिए इसकी जानकारी मिली है। हमें पता चला है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन घाटी में आतंक फैलाने के लिए 3 नए ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से उन्होंने ऐप के नाम बताने से इनकार कर दिया।

अमेरिका और यूरोप के भी ऐप
अधिकारियों ने बताया कि जिन 3 ऐप के बारे में पकड़े गए आतंकियों ने खुलासा किया है, उनमें एक ऐप अमेरिकी कंपनी और एक यूरोप की कंपनी ने बनाया है। मौजूदा समय में जिस ऐप का इस्तेमाल आतंकी संगठन कर रहे हैं, उसे तुर्की की एक कंपनी ने तैयार किया है। पाकिस्तानी आतंकी सरगना इसका इस्तेमाल कश्मीर में युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें आतंकी संगठनों में भर्ती के लिए भी कर रहे हैं।

फ्री ऐप इस्तेमाल कर रहे आतंकी
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि आतंकी संगठनों ने वॉट्सऐप-फेसबुक का इस्तेमाल बंद कर दिया था। बाद में हमें पता चला कि अब वे इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध कुछ नए ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, ऐसे ऐप्स में इन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन सीधे डिवाइस पर होता है। ऐसे में थर्ड पार्टी के हस्तक्षेप करने की संभावना घट जाती है। ऐसे ऐप इन्क्रिप्शन एल्गोरिदम RSA-2048 का इस्तेमाल करते हैं, जो कि सबसे सुरक्षित इन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म माना जाता है। RSA एक अमेरिकन नेटवर्क सिक्योरिटी और ऑथेंटिकेशन कंपनी है। इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में क्रिप्टोसिस्टम में ‘फाउंडेशन की’ के रूप में किया जाता है।

नए ऐप में फोन नंबर या ईमेल की जरूरत नहीं
अधिकारियों ने बताया कि घाटी में युवाओं को आतंकवाद की ओर खींचने के लिए आतंकी जिस नए ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें किसी भी फोन नंबर या ईमेल की जरूरत नहीं होती। जम्मू-कश्मीर में अब ऐसे ऐप को ब्लॉक करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

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