लद्दाख में तनाव पर मीटिंग:भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल की बैठक शुरू, ढाई महीने बाद हो रही बात

इस इलाके में दोनों सेनाओं के बीच कई महीने से तनाव चल रहा है। इसे सुलझाने के लिए अब तक आठ बार बातचीत हो चुकी है। इसके बावजूद कोई खास नतीजा नहीं निकला। पिछली बार छह नवंबर को दोनों सेनाओं के अधिकारी बातचीत के लिए चुशूल में मिले थे। ढाई महीने बाद हो रही इस बैठक में कोई हल निकलने की उम्मीद जताई जा रही है

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नई दिल्ली। लद्दाख में चल रहे तनाव को दूर करने के लिए आज भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल की 9वीं बातचीत हो रही है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि यह मीटिंग ईस्टर्न लद्दाख में चुशूल सेक्टर के सामने मॉल्डो में होगी।

इस इलाके में दोनों सेनाओं के बीच कई महीने से तनाव चल रहा है। इसे सुलझाने के लिए अब तक आठ बार बातचीत हो चुकी है। इसके बावजूद कोई खास नतीजा नहीं निकला। पिछली बार छह नवंबर को दोनों सेनाओं के अधिकारी बातचीत के लिए चुशूल में मिले थे। ढाई महीने बाद हो रही इस बैठक में कोई हल निकलने की उम्मीद जताई जा रही है

कई महीनों से आमने-सामने हैं सैनिक

गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के रिश्ते खराब चल रहे हैं। दोनों की सेनाएं भारी हथियारों और हजारों सैनिकों के साथ आमने-सामने हैं। भारत ने आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों के खतरनाक कमांडो इस इलाके में तैनात कर रखे हैं। फाइटर जेट लगातार उड़ान भर रहे हैं। कई महीनों की तैनाती के हिसाब से रसद पहुंचा दी गई है। चीन की तरफ भी ऐसी ही तैयारी है।

चोटियों पर भारत का कब्जा

29-30 अगस्त को भारत ने पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इससे उसे रणनीतिक बढ़त हासिल हो गई। चीनी सेना भारत से साउथ बैंक से सैनिकों और टैंकों को पहले वापस लेने के लिए कह रही हैं। वहीं भारत तनाव वाले सभी इलाकों से डिसइंगेजमेंट के लिए कह रहा है।

अब तक आठ दौर की बातचीत, ज्यादातर नाकाम

  • 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की पहली बातचीत हुई थी। इसमें तनाव कम करने पर सहमति बनी थी, लेकिन मीटिंग के 10 दिन बाद ही 15-16 जून की रात गलवान में हिंसक झड़प हो गई थी।
  • 22 जून को गलवान घाटी की घटना के बाद हुई कॉर्प्स कमांडर लेवल की मीटिंग करीब 11 घंटे चली। इसमें भारतीय सेना ने चीन से सैनिकों की पोजिशन अप्रैल वाली स्थिति में लाने की मांग की थी।
  • 30 जून को भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों ने बैठक की। इसमें गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग, पैगॉन्ग और गोगरा में तनाव कम करने के लिए एक फॉर्मूले पर समझौता हुआ था।
  • 14 जुलाई को LAC से सेनाओं को पीछे हटाने के लिए बनी सहमति को अमल में लाने की समीक्षा की गई। इसमें यह तय किया गया कि तनाव वाले इलाकों से सैनिकों को किस तरह हटाया जाएगा।
  • 24 जुलाई को इस मीटिंग के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष समझौते और प्रोटोकॉल के मुताबिक LAC से सैनिकों को जल्द और पूरी तरह पीछे हटा लेंगे।
  • 21 सितंबर को पहली बार विदेश मंत्रालय के अधिकारी बातचीत में शामिल हुए। इसमें सेनाओं को पीछे हटाने को लेकर बनी सहमति पर गंभीरता दिखाने पर बात हुई।
  • 12 अक्टूबर को चुशुल में कोर कमांडर स्तर की मीटिंग करीब 11 घंटे चली, लेकिन पहले की बैठकों की तरह इसमें भी कोई पुख्ता रास्ता नहीं निकल पाया।
  • 6 नवंबर को चुशूल में हुई कमांडर लेवल की बातचीत में दोनों पक्षों के बीच डिस इंगेजमेंट पर चर्चा हुई। इसके तहत दोनों देशों की सेनाओं के अप्रैल-मई वाली स्थिति में लौटने की बात थी।

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