ब्रिटेन की संसद में उठा किसान आंदोलन:किसान नेताओं को NIA के नोटिस भेजने पर ब्रिटिश विदेश मंत्री बोले- हमें भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करने की जरूरत

जालंधर के रहने वाले परिवार में जन्मे पंजाबी मूल के लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा-किसानों को परेशान किया जा रहा ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोले: मैंने दिसंबर में भारत के विदेश मंत्री से बात की थी

जालंधर। केंद्र सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के दौरान किसान नेताओं को एनआईए के नोटिस का मामला ब्रिटेन की संसद में उठाया गया है। जालंधर के नकोदर स्थित गांव रायपुर में रहने वाले परिवार में जन्में पंजाबी मूल के ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि ब्रिटेन के 100 सांसदों ने प्रधानमंत्री को भारत में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति अपनी चिंता के बारे में लेटर लिखा था और हम उत्सुकता से उसके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।

अब भारत की अथॉरिटीज की तरफ से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों, यूनियन नेताओं और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स को नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है। इसके जवाब में ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक राव ने कहा कि वह सांसद ढेसी की चिंता को समझते हैं। जब वह दिसंबर में भारत की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने इस बारे में भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के साथ भी चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह की हमारी राजनीति है, उसी तरह की राजनीति वहां भी है, लेकिन हमें वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करने की जरूरत है।

इसलिए महत्वपूर्ण: पंजाब से ही शुरू हुआ आंदोलन

सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ब्रिटेन में ही जन्मे हैं, लेकिन पंजाबी मूल के होने की वजह से पंजाब का उनका नाता है। किसान आंदोलन की नींव पंजाब में ही पड़ी थी, क्योंकि यहां करीब एक महीने तक किसानों का आंदोलन चलता रहा। इसके बाद किसान यहां से दिल्ली कूच कर गए। हरियाणा में किसानों पर पानी की बौछारें भी चलाई गई। इसके बाद से दिल्ली के सिंघु व टिकरी बार्डर पर लगातार आंदोलन चल रहा है। पंजाब के किसानों से शुरू हुए आंदोलन में अब हरियाणा समेत दूसरे राज्यों के किसान भी शामिल हो चुके हैं।

भारत सरकार पर दबाव की कोशिश!

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाने से इसे भारत सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, ताकि केंद्र सरकार किसानों की मांग के अनुरूप तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस ले ले।

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