चीन और WHO सक्रियता दिखाते तो कोरोना महामारी नहीं बनताः IPPR

महामारी के खिलाफ वैश्विक प्रयासों की जांच कर रहे समूह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम तौर पर एक छुपे हुए संक्रामक रोग से निपटने में हुई लापरवाही ने इसे वैश्विक स्तर पर फैला दिया.

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नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के चीन (China) से निकलकर पूरी दुनिया में फैलने के मामले की जांच कर रहे एक स्वतंत्र समूह ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में कहा है कि अगर चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) शुरुआत में ही कोरोना को काबू करने में ज्यादा तेजी दिखाते तो वायरस को फैलने से रोका जा सकता था. महामारी के खिलाफ वैश्विक प्रयासों की जांच कर रहे समूह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आम तौर पर एक छुपे हुए संक्रामक रोग से निपटने में हुई लापरवाही ने इसे वैश्विक स्तर पर फैला दिया. आईपीपीआर (IPPR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन के वुहान में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए जो श्रृंखलाबद्ध कदम उठाए गए उनके मूल्याकंन से पता चलता है कि शुरुआत में ही और ज्यादा तेजी से कड़े कदम उठाए जाने की जरूरत थी.

दूसरी विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम भी कोरोना वायरस संक्रमण की जांच करने चीन के वुहान पहुंची है. इस बीच चीनी मीडिया का एक दो साल पुराना वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें नजर आ रहा है कि गुफाओं में वायरस पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों को एक चमगादड़ ने काटा था. वैज्ञानिकों की यह टीम दो साल पहले सार्स (SARS) वायरस का पता लगाने गुफाओं में पहुंची थी. खास बात ये है कि इन वैज्ञानिकों ने गुफा में ना तो सुरक्षा का ध्यान रखा है और ना ही लैब में सैंपल को लेकर कोई सावधानी बरती है.

ताइवान न्यूज वेबसाइट के मुताबिक 29 दिसंबर 2017 को चीन के सरकारी टीवी ने एक वीडियो रिलीज किया था, जिसमें बैट वुमन नाम से मशहूर शी झेंग्ली और उनकी टीम को लैब में SARS वायरस की उतपत्ति पर रिसर्च करते दिखाया गया था. बायोसेफ्टी स्तर 4 की लैब होने के बावजूद इन वैज्ञानिकों ने लैब और गुफा दोनों जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था को काफी नजरअंदाज किया था.

वेबसाइट के मुताबिक, वैज्ञानिक चुई जी ने चमगादड़ के काटे जाने का अपना अनुभव बताया था. उन्होंने कहा था कि चमगादड़ के दांत उनके दस्तानों में धंस गए थे. जी ने बताया कि उन्हें सुई चुभने जैसा अनुभव हो रहा था. वीडियो में सुनाई दे रहा है कि चमगादड़ कई वायरस के वाहक हो सकते हैं. ताइवान न्यूज ने चाइना साइंस एक्स्प्लोरेशन सेंटर में प्रकाशित लेख का हवाला देते हुए लिखा कि इसमें शी ने बताया कि यह काम उतना खतरनाक भी नहीं है, जितना लोग समझते हैं.

बता दें कि 2019 के नवंबर-दिसंबर में कोरोना वायरस चीन के वुहान में मिला था. कुछ ही महीनों में वायरस के संक्रमण ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लिया. वायरस संक्रमण के चलते अब 20 लाख से ज्यादा लोग मौत के शिकार हुए हैं. वैश्विक स्तर पर कोहराम मचा हुआ है.

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