चंडीगढ़। पंजाब की सियासत में रविवार की सुबह एक और बड़ी राजनीतिक उठापटक हुई। इस वजह से सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। शनिवार को सुखबीर बादल ने मोहाली के पूर्व मेयर कुलवंत सिंह को अकाली दल से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद रविवार को कुलवंत के समर्थन में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके 28 और अकाली नेताओ ने भी पार्टी को अपना इस्तीफा भेज दिया है।
सभी ने एक सामूहिक पत्र लिखकर पार्टी हाईकमान को भेज दिया है। वहीं, अकाली नेताओं का कहना है कि अभी तक पार्टी को कोई पत्र नहीं मिला है। जबकि वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह पटवारी ने त्यागपत्र भेजे जाने की पुष्टि की है। पार्टी छोड़ने वालों में अकाली दल के पूर्व पार्षद और जिला कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं। वहीं इतने नेताओं के पार्टी छोड़ने को मोहाली में अकाली दल के लिए बड़े नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है।
अब माना जा रहा है कि नगर निगम चुनाव में मुकाबला पांच कोणीय होगा। वहीं यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कुलवंत सिंह की अगुवाई में निर्दलीय ग्रुप बनेगा। सभी दिग्गज नेता एक नए मोर्चा का गठन करेंगे। हालांकि निगम चुनाव में फायदा किसका होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यह मोर्चा सभी दलों को प्रभावित करेगा।
सुखबीर बादल ने शनिवार को मोहाली के पूर्व मेयर को पार्टी से कर दिया था बर्खास्त
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को मोहाली के पूर्व मेयर कुलवंत सिंह को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। कुलवंत सिंह को इससे पहले पिछले चुनाव में भी पार्टी से निकाल दिया गया था, लेकिन बाद में वह फिर से पार्टी में शामिल हो गए थे। अब नाराज कुलवंत सिंह का कहना है कि वह अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। कुलवंत सिंह पर नगर निगम चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार की मुखालफत का आरोप है।
इस आरोप को लेकर मोहाली जिले के पर्यवेक्षक प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर शिरोमणि अकाली दल के प्रधान एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कुलवंत सिंह को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है। खास बात यह है कि पिछले पांच साल में यह दूसरा मौका है, जब कुलवंत सिंह को पार्टी से निकाला गया है। इससे पहले 2015 में भी ऐसा हुआ था, लेकिन इसके बाद वह फिर से पार्टी में शामिल ले लिए गए थे।
कुलवंत पर पार्टी ने दूसरी बार की कार्रवाई
असल में कुलवंत पर दूसरी बार पार्टी ने कार्रवाई की है। कुलवंत ने शिअद की टिकट पर फतेहगढ़ साहिब से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2015 में निगम चुनाव की कमान कुलवंत सिंह को देने के बजाय बलवंत सिंह रामूवालिया को दे दी गई थी। अकाली दल में दरार आ गई और कुलवंत पार्टी से अलग हो गए। उन्होंने आजाद ग्रुप बना चुनाव लड़ा और जीते और मेयर की कुर्सी हासिल कर ली। हालांकि इसके बाद वह फिर अकाली दल में शामिल हो गए थे।
हालिया कार्रवाई के बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि पार्टी की तरफ से जिला मोहाली के ऑब्जर्वर प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा की तरफ से दी गई रिपोर्ट के आधार पर पार्टी का अनुशासन भंग करने के आरोप में कुलवंत सिंह को निष्कासित किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी का अनुशासन किसी भी कीमत पर भंग नहीं होने दिया जाएगा।