10वीं बैठक भी बेनतीजा: किसान कानून वापसी पर अड़े रहे, कृषि मंत्री बोले- आप भी तो कुछ मानिए; 19 जनवरी को अगली मीटिंग
किसान आंदोलन का आज 51वां दिन है। विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच आज 10वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। मीटिंग करीब 4 घंटे चली। इसमें 3 मंत्री- कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए। अगली बैठक 19 जनवरी को दोपहर 12 बजे होगी।
आज की मीटिंग में किसान कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े रहे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हमने आपकी कुछ मांगें मानी हैं। क्या आपको भी कुछ नरमी नहीं दिखानी चाहिए? तोमर ने कहा कि कानून वापसी की एक ही मांग पर अड़े रहने की बजाय आपको भी हमारी कुछ बातें माननी चाहिए।
तोमर बोले- किसान चाहें तो अगली मीटिंग से पहले मसौदा दे सकते हैं
मीटिंग के बाद कृषि मंत्री ने बताया, “हमने कहा है कि अगली मीटिंग से पहले किसान चाहें तो एक अनौपचारिक समूह बना लें। सरकार से उनकी अपेक्षाएं क्या हैं, इस पर बात कर वो कोई मसौदा बना कर दें तो सरकार खुले मन से बात करने को तैयार है। उनकी बहुत सारी शंकाओं की हमने पहचान की है। उन्हें दूर करने के लिए लिखित प्रस्ताव भी दिया है। लेकिन वो प्रस्ताव उन्हें मंजूर नहीं था, इस वजह से बातचीत चल रही है।”
‘सुप्रीम कोर्ट की कमेटी बुलाएगी तो पक्ष रखेंगे’
तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रति हम सबकी प्रतिबद्धता है और रहेगी। कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसका स्वागत करते हैं। कोर्ट ने जो कमेटी मध्यस्थता के लिए बनाई, वह कमेटी जब हमें बुलाएगी तो हम अपना पक्ष रखेंगे। कोर्ट ने भी समाधान तलाशने के लिए कमेटी बनाई है। हो सकता है किसी चर्चा के माध्यम से कोई हल निकल सके। इसलिए हमने किसानों से पूछा, तो अगली मीटिंग के लिए तैयार हो गए।
‘सर्दी, कोविड की चिंता, इसलिए खुले मन से बात कर रहे’
कृषि मंत्री से मीडिया ने पूछा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि आंदोलन खत्म हो, क्या आपको ऐसी जानकारी है। मंत्री ने जवाब दिया- हमारी जानकारी के मुताबिक कृषि सुधार बिलों के बारे में 2-3 राज्यों के किसान धरने पर बैठे हैं। उनके प्रतिनिधि के रूप में कुछ यूनियन हमसे बात कर रही हैं। हमारी कोशिश है कि बातचीत से हल निकले और आंदोलन खत्म हो। सर्दी है और कोविड का भी संकट है, सरकार को इसकी चिंता है। इसलिए हम खुले मन और बड़प्पन से बात कर रहे हैं।
‘राहुल-सोनिया बताएं- पहले झूठ बोल रहे थे या अब बोल रहे हैं’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। इस बारे में कृषि मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राहुल के बयान और उनके कामों पर पूरी कांग्रेस हंसती है। मैं आपके माध्यम से राहुल को कहना चाहता हूं कि 2019 में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में कृषि सुधारों का लिखित वायदा किया गया था। याद नहीं तो मेनिफेस्टो पढ़ लें, उसमें इस बात का जिक्र है तो राहुल और सोनिया जी को भारत की प्रेस के सामने आकर स्वीकार करना चाहिए कि उस समय झूठ बोल रहे थे या आज झूठ बोल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी 19 जनवरी को पहली बैठक कर सकती है
कृषि कानूनों पर किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 जनवरी को 4 एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। 14 जनवरी यानी 2 दिन बाद ही कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया। अब कमेटी 19 जनवरी को पहली बैठक कर सकती है।
राहुल बोले- मोदी और उनके बिजनेसमैन दोस्त सब छीन लेंगे
कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने आज मार्च निकाला। इसमें राहुल और प्रियंका भी शामिल हुए। राहुल ने कहा, “किसानों को ये बात समझ आ गई है कि उनकी आजादी छिन गई है। हिंदुस्तान को ये बात समझनी है। नरेंद्र मोदी और 2-3 उद्योगपति मित्र, जो भी आपका है, उसे छीनने जा रहे हैं। मीडिया, IT, रिटेल और पावर सेक्टर में देखिए, 4-5 बिजनेसमैन और नरेंद्र मोदी ही हैं। ये 4-5 लोग ही देश को चला रहे हैं। किसान और आम लोग कहीं नहीं हैं।”
चंडीगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर वाटर कैनन चली
दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और गुरजीत सिंह को हिरासत में ले लिया। वे जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
उधर, चंडीगढ़ में राजभवन की तरफ बढ़ रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने वाटर कैनन चलाई।
#WATCH Chandigarh: Police used water cannon to stop the members and workers of Congress, who were marching to Punjab Raj Bhawan in protest against the three #FarmLaws by Central Government. They were later detained by Police. pic.twitter.com/HF4ADYwmUg
— ANI (@ANI) January 15, 2021
नए कानून एग्रीकल्चर रिफॉर्म्स का रास्ता बनाएंगे: IMF
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत के नए कृषि कानूनों को रिफॉर्म्स के लिए नया रास्ता बताया है। IMF के कम्युनिकेशन डायरेक्टर गैरी राइस के मुताबिक, भारत के ये नए कानून किसानों के लिए मददगार साबित होंगे। किसान बिना बिचौलियों के सीधे खरीदारों से कॉन्टैक्ट कर सकेंगे। इससे गांवों की ग्रोथ बढ़ेगी। हालांकि, राइस ने यह भी कहा कि नए कानूनों को और मजबूत किए जाने की जरूरत है।
पिछली 9 बैठकों में क्या हुआ?
पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।
दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।
चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।
5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।
6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।
7वां दौर: 30 दिसंबर
क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।
8वां दौर: 4 जनवरी
क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।
9वां दौर: 8 जनवरी
क्या हुआ: बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है।