US में महाभियोग आगे कैसे बढ़ेगा:ट्रम्प को हटाने के लिए 17 रिपब्लिकंस का पाला बदलना जरूरी, डेमोक्रेट्स के पास न संख्या, न समय

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में भले ही प्रस्ताव पास हो गया हो, लेकिन सीनेट में इसका पास होना आसान नहीं है। वहां ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। महाभियोग प्रस्ताव पास कराने के लिए सीनेट में दो तिहाई बहुमत चाहिए।

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग चलाना उतना आसान बिल्कुल नहीं हैं, जितना ये बाहर से नजर आ रहा है। यह बात अमेरिकी संसद भी जानती है। कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (HOR) में महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन तो किया, लेकिन वे जानते हैं कि सीनेट में इसे कामयाबी मिलना बहुत मुश्किल है।

इसकी दो वजह हैं। पहली– वक्त की कमी, क्योंकि ट्रम्प अब सिर्फ पांच दिन कुर्सी पर रहेंगे। दूसरी– प्रेसिडेंट इलेक्ट बाइडेन की नई कैबिनेट का गठन। आइए, इन दोनों बातों को समझते हैं।

डेमोक्रेट्स के पास वक्त और संख्या, दोनों नहीं
डोनाल्ड ट्रम्प तकनीकी रूप से 20 जनवरी को सुबह 11 बजे (भारतीय समय के मुताबिक रात करीब 9 बजे तक) तक ही राष्ट्रपति हैं। वे 19 जनवरी या इसके पहले ही व्हाइट हाउस छोड़कर फ्लोरिडा में अपने आलीशान मार ए लेगो रिजॉर्ट में शिफ्ट हो सकते हैं। महाभियोग की लिस्टिंग और बहस में वक्त लगता है। इससे भी बड़ी बात है कि सीनेट में वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस के हाथ में बहुत कुछ होगा। वे पहले ही ट्रम्प का साथ देने की बात कह चुके हैं।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में भले ही प्रस्ताव पास हो गया हो, लेकिन सीनेट में इसका पास होना आसान नहीं है। वहां ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। महाभियोग प्रस्ताव पास कराने के लिए सीनेट में दो तिहाई बहुमत चाहिए।

ज्यादा आसानी से समझें तो सीनेट के 100 में से 67 सांसद जब महाभियोग के पक्ष में वोटिंग करेंगे तो ही प्रस्ताव पास होगा। अभी सीनेट की संख्या 98 है। यानी महाभियोग को मंजूरी के लिए 65 वोट चाहिए। नंबर गेम चूंकि रिपब्लिकन के फेवर में है, लिहाजा ये बहुत मुश्किल काम होगा।

50 सीटें रिपब्लिकन और 48 डेमोक्रेट्स के पास हैं। यानी 17 रिपब्लिकंस अगर पाला बदलते हैं तो 65 वोट हासिल हो जाएंगे और महाभियोग मंजूर हो जाएगा। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के 10 रिपब्लिकन सांसद तो ट्रम्प के खिलाफ हो चुके हैं। देखना होगा कि सीनेट में कितने रिपब्लिकन सांसद महाभियोग का समर्थन करते हैं।

बाइडेन बदला लेंगे या कैबिनेट बनाएंगे
अमेरिका में राष्ट्रपति अपने कैबिनेट को नॉमिनेट करता है। इनके नामों पर संसद ही मुहर लगाती है और इसके लिए गहन जांच की जाती है। नॉमिनेट्स के बारे में इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स का भी बारीकी से अध्ययन किया जाता है। इसमें वक्त लगता है।

बाइडेन पहले ही कैबिनेट मेंबर्स के नाम सिलेक्ट करने में देरी कर चुके हैं। इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई। अब वे नहीं चाहेंगे कि सीनेट उनकी कैबिनेट को अप्रूवल देने में देर लगाए। लिहाजा, वे ट्रम्प पर ट्रायल की बजाय कैबिनेट के अप्रूवल को तवज्जो देंगे।

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