US Capitol Hill Violence: कैपिटल हिल हिंसा में 4 लोगों की मौत और 25 अरेस्ट, विस्फोटक बरामद, पढ़ें 10 अपडेट्स

US Capitol violence: वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल में एकत्र डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के समर्थकों ने संसद में तोड़फोड़ और हिंसा की. इस दौरान पुलिस के साथ झड़प में गोली लगने से कम से चार लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने यहां भारी मात्रा में विस्फोटक भी बरामद किया है.

0 999,137

US Capitol Hill Violence: अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव (US President Elections 2020) के बाद से हिंसा की आशंका थी और यही हुआ. 3 नवंबर को ही यह तय हो गया था कि जो बाइडन (Joe Biden) दुनिया के सबसे ताकतवर देश के अगले राष्ट्रपति होंगे, लेकिन जिद्दी डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को ये मंजूर नहीं है, वो हार मानने को तैयार नहीं दिख रहे. ट्रंप चुनावी धांधली के आरोप लगाकर जनमत को नकारते रहे. इस बीच वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल (Capitol Hill Violence) पर ट्रंप के समर्थक हिंसक हो गए. उन्होंने संसद में तोड़फोड़ और हिंसा की. इस दौरान पुलिस के साथ झड़प में गोली भी चली. गोली लगने से एक महिला समेत कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है. पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक भी बरामद किया है. मिलिट्री की स्पेशल यूनिट ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा. अब तक 25 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है. फिलहाल वॉशिंगटन डीसी में गुरुवार शाम 6 बजे तक कर्फ्यू है.

बता दें कि अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन को 306 और ट्रंप को 232 वोट मिले. नतीजे साफ होने के बावजूद ट्रंप ने हार नहीं कबूली. उनका आरोप है कि वोटिंग के दौरान और फिर काउंटिंग में बड़े पैमाने पर धांधली हुई. इसके कारण कई राज्यों में केस दर्ज कराए. ज्यादातर में ट्रंप समर्थकों की अपील खारिज हो गई. दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं.

10 पॉइंट्स में जानिए क्या है पूरा मामला? कैसे हुई हिंसा?…
  • बुधवार को इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती और बाइडन की जीत पर मुहर लगाने के लिए अमेरिकी संसद के दोनों सदन यानी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेंजेंटेटिव की बैठक शुरू हुई. इसी दौरान ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी के सैकड़ों समर्थक संसद के बाहर जुट गए.
  • नेशनल गार्ड्स और पुलिस इन्हें समझा पाती, इसके पहले ही कुछ लोग अंदर दाखिल हो गए. यूएस कैपिटल और कांग्रेस के बाहर बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की. हिंसा हुई. इस दौरान गोली भी चली. किसने चलाई, क्यों चलाई? यह साफ नहीं है.
  • घटना के बाद डीसी में मौजूद यूएस आर्मी की स्पेशल यूनिट को बुलाया गया. महज 20 मिनट में इसने मोर्चा संभाला. कुल मिलाकर 1100 स्पेशल गार्ड्स अब भी कैपिटल हिल के बाहर और अंदर तैनात हैं. राजधानी में कर्फ्यू है.
  • अमेरिकी संसद में हिंसा के बाद सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. न्यूयॉर्क के मेयर 1000 नेशनल गार्ड्स को सुरक्षा के लिए भेज रहे हैं. न्यूयॉर्क के मेयर से आदेश मिलने के बाद ये नेशनल गार्ड्स वॉशिंगटन डीसी जाने वाले हैं.
  • हिंसा पर जो बाइडन ने कहा, ‘यह कोई विरोध नहीं है. यह एक विद्रोह है. मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आह्वान करता हूं कि वह अपनी शपथ पूरी करें और इस घेराबंदी को खत्म करने की मांग करें.’ बाइडन ने आगे कहा, ‘मैं साफ कर दूं कि कैपिटल बिल्डिंग पर जो हंगामा हमने देखा हम वैसे नहीं हैं. ये वह लोग हैं, जो कानून को नहीं मानते हैं.’
  • अमेरिकी संसद में ट्रंप समर्थकों के हंगामे के बाद राष्ट्रपति ट्रंप के कई करीबियों के इस्तीफा देने की खबर है. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी और सोशल सेक्रेटरी ने इस्तीफा दे दिया है.
  • अमेरिका में ट्रंप समर्थकों ने व्हाइट हाउस और कैपिटोल हिल्स में जमकर हंगामा किया. इसके बाद ट्विटर, फेसबुक और इंस्ट्राग्राम ने ट्रंप के अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं. साथ ही कुछ ट्वीट और वीडियो को भी हटा दिया गया है. ट्विटर ने 12 घंटे और इंस्ट्राग्राम ने 24 घंटे के लिए डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड किया है.
  • अमेरिकी संसद में हुई हिंसा पर प्रधानंत्री मोदी ने अपना बयान दिया है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘वॉशिंगटन डीसी में दंगों और हिंसा की खबर से दुखी हूं. शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का हस्तांतरण होना चाहिए. लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी तरीके से प्रभावित नहीं होने दिया जा सकता है.’
  • अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यूएस कैपिटल में हिंसा को लेकर कहा, ‘इतिहास आज का दिन याद रखेगा. एक मौजूदा राष्ट्रपति कैसे अपनी जिद और झूठे दावों को लेकर पद पर बने रहने के लिए गैरकानूनी तरीके अपना रहा है. ये पल हमारे अमेरिका के लिए शर्म और अपमान का है.’
  • अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को 5वें संविधान संशोधन के जरिए आज ही हटाया जा सकता है. अमेरिका के अटॉर्नी जनरल ने उपराष्ट्पति माइक पेंस से कहा है कि 25वें संविधान संशोधन के जरिए ट्रंप को हटाने की प्रक्रिया आज ही शुरू की जाए.
  • Image

अमेरिका में बुधवार को जो कुछ हुआ उसे उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने ‘देश के लोकतांत्रिक इतिहास का काला दिन’ करार दिया। यह तो तय है कि राष्ट्रपति डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडेन ही बनेंगे। मोटे तौर पर देखें तो बाइडेन की जीत 3 नवंबर को चुनाव वाले दिन ही तय हो गई थी। 14 नवंबर को इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग के बाद इस पर एक और मुहर लगी। 6 नवंबर को बाइडेन की जीत की संवैधानिक पुष्टि होनी थी। ऐसे में सवाल यह कि जब सब तय था तो बवाल क्यों हुआ? आखिर दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कलंकित क्यों हुआ? इसका एक ही जवाब है- डोनाल्ड ट्रम्प की जिद। यहां हम आपको बिल्कुल आसान भाषा में इस विवाद को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।

चुनाव से पहले
राष्ट्रपति ट्रम्प रिपब्लिकन और बाइडेन डेमोक्रेट पार्टी के कैंडिडेट थे। कोरोनावायरस को संभालने में ट्रम्प की नाकामी मुख्य मुद्दा बनी। ट्रम्प महामारी को मामूली फ्लू तो कभी चीनी वायरस बताते रहे। 3 लाख से ज्यादा अमेरिकी मारे गए। लाखों बेरोजगार हो गए। अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। ट्रम्प श्वेतों को बरगलाकर चुनाव जीतना चाहते थे। क्योंकि, अश्वेत भेदभाव का आरोप लगाकर उनसे पहले ही दूर हो चुके थे।

काश, इशारा समझ लेते
3 नवंबर को चुनाव हुआ। अमेरिका में जनता इलेक्टर्स को चुनती है और इलेक्टर्स राष्ट्रपति को चुनते हैं। इनके कुल 538 वोट होते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की दरकार होती है। 3 नवंबर को ही साफ हो गया था कि बाइडेन को 306, जबकि ट्रम्प को 232 वोट मिले। यानी ट्रम्प हार चुके हैं। चुनाव के पहले ही ट्रम्प ने साफ कर दिया था कि वे हारे तो नतीजों को स्वीकार नहीं करेंगे। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां शायद उनका इशारा समझ नहीं पाईं। क्योंकि, अगर समझी होतीं तो बुधवार की घटना टाली जा सकती थी। संसद के बाहर लोग जुट ही नहीं सकते थे।

बुधवार को होना क्या था
अगर तकनीकी बातों में न उलझें तो सीधा सा जवाब है- बाइडेन की जीत पर संवैधानिक मुहर लगनी थी। संसद के दोनों सदनों के सामने इलेक्टर्स के वोट्स की गिनती होनी थी। यहां एक छोटी से बात और समझ लीजिए। अमेरिका में चुनाव के बाद नतीजों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन, वहां इनका निपटारा 6 जनवरी के पहले यानी संसद के संयुक्त सत्र के पहले होना चाहिए। यही हुआ भी। फिर, संसद बैठी। उसने चार मेंबर्स चुने। ये हर इलेक्टर का नाम लेकर यह बता रहे थे कि उसने वोट ट्रम्प को दिया या बाइडेन को।

Image

तो दिक्कत क्यों हुई
इसका भी आसान जवाब है। बवाल इसलिए हुआ क्योंकि ट्रम्प समर्थकों को भड़का रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि इलेक्टोरल कॉलेज, यानी इलेक्टर्स के वोटों की गिनती हो। दूसरे शब्दों में कहें तो ट्रम्प नहीं चाहते थे कि संसद बाइडेन के 20 जनवरी के शपथ ग्रहण समारोह को हरी झंडी दे। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान दिए। समर्थक भड़क गए। संसद में हंगामा हुआ और एक महिला की मौत हो गई। संसद में इलेक्टर्स के वोट्स की जगह रिवॉल्वर नजर आई।

अब आगे क्या होगा
फिलहाल, इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती जारी है। इसमें कई घंटे लग सकते हैं। ज्यादा वक्त लगने की वजह यह है कि कुछ वोटों को लेकर ट्रम्प की पार्टी के समर्थक आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इनको क्लियर करने की तय प्रक्रिया है और इसी वजह से संसद को समय लगता है। बहरहाल, प्रॉसेस खत्म होने के बाद बाइडेन को विनर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। 20 जनवरी को वे संसद की शपथ लेंगे। संसद उनके कैबिनेट मेंबर्स के नाम को जांच के बाद अप्रूवल देगी। इस दौरान ट्रम्प को व्हाइट हाउस छोड़ना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते तो सुरक्षा बल उन्हें वहां से निकाल सकते हैं।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.