बठिंडा: नए कृषि कानून किसानों के हक में है या नहीं इस के ऊपर पहले ही बहुत बहस हो चुकी है। लिहाजा ज्यादा जरूरी है कि पैदा हुए इन हालातों को कैसे सुलझाया जाए और सरकार व किसानों के बीच में टस से मस न होने वाले हालातों से आगे बढ़ कर सहमति कैसे बनाई जाए। यह विचार देश के जाने माने कृषि अर्थशास्त्री, लेखक व माहिर पदम भूषण डा. सरदारा सिंह जोहल ने मीडिया के साथ बातचीत करते हुए प्रकट किए, जो बठिंडा के घुद्दा स्थित पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूपीबी) की छटी कन्वोकेशन में बतौर कुलाधिपति शामिल होने के बाद पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। इस मौके उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में उस समय की कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने एग्रीकल्चर मार्किट प्रोड्यूस (अमेंडमेंट) एक्ट 2006 पास कर प्राइवेट व्यापारियों को मौका दे दिया था जबकि साल 2013 में अकाली भाजपा सरकार द्वारा कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट पास किया गया था, जिसको केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अब ये नए तीन कानून लाकर आगे बढ़ाया गया है।
अर्थशास्त्री डा जोहल ने चिंता जाहिर की कि जिस ढंग से यह कानून पारित किए गए है वो बहुत ही निराशाजनक था, क्यूंकि कोई भी कानून पास करने से पहले उस पर पूर्ण चर्चा होनी बहुत जरूरी है। इस मौके उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो कानून पार्लियामेंट के द्वारा पास किया गया है। उसे खारिज करने के लिए भी संसद का सेशन फिर से बुलाना होगा व बहुमत के आधार पर ही कोई कार्यवाही संभव है। मसले के हल के बारे अपने सुझाव देते हुए डा जोहल ने कहा कि सरकार चाहे तो रास्ता निकालने तक इन कानूनों को रोक सकती है। इसके इलावा कानुनों को मॉडल स्टेट के रूप में लागू करते हुए तजुर्बे में कुछ राज्यों पर लागू करके देखा जा सकता है। हालाकिं उन्होंने यह भी कहा कि जब किसान इन कानूनों को मानने से मना ही कर रहे हैं तों सरकार को इन्हे वापिस ले लेना चाहिए।
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा के बारे बात करते हुए उन्होंने कहा कि 28 राज्यों से छात्र व 16 प्रांतों से शिक्षकों के साथ सीयूपीबी एक मिनी इंडिया है जो बेहद तेजी के साथ आगे बढ़ रही है और देश की सर्वोत्तम 100 यूनिवर्सिटियों में अपनी जगह बना चुकी है, जिसको और बेहतर बनाने के लिए ग्रामीन इलाके में स्थित इस युनिवरसिटी की कनेक्टिविटी बेहतर करने की बेहद जरूरत है जिसके लिए एक्सप्रेस रेलवे की सहूलत को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आॅनलाइन शिक्षा कभी भी फिजिकल क्लासेज की जगह नहीं ले सकती है व उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही हालत सामान्य हो जाएंगे और वर्सिटी छात्र क्लासरूम में बैठ कर शिक्षा हासिल कर सकेंगे।