भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, फिर भी दोनों ने एक-दूसरे को परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट क्यों दी? क्या यह पहली बार हुआ है?

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जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में शुक्रवार को पाकिस्तान ने फिर सीजफायर तोड़ा। इसमें नायब सूबेदार रविंद्र कुमार शहीद हो गए। पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का ये उल्लंघन दोपहर 3:30 बजे हुआ था, लेकिन इससे ठीक चार घंटे पहले भारत ने पाकिस्तान को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट सौंपी। उससे आधे घंटे पहले पाकिस्तान ने भी भारत को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट दी थी। लेकिन जब दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है, तो फिर दोनों देशों ने अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट एक-दूसरे को क्यों दी? क्या यह पहली बार हुआ है? आइए जानते हैं…

सबसे पहले बात मामला क्या है?

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक 1 जनवरी की सुबह 11 बजे भारतीय हाई कमीशन को परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट सौंप दी गई। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि सुबह 11:30 बजे पाकिस्तान हाई कमीशन के प्रतिनिधि को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट दे दी गई है। परमाणु प्रतिष्ठान यानी वह जगह जहां परमाणु हथियार रखे जाते हैं।

लेकिन ऐसा क्यों किया दोनों देशों ने?

दरअसल, 31 दिसंबर 1988 को दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था। समझौते में तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान हर साल एक जनवरी को एक-दूसरे से अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट साझा करेंगे। इसमें यह भी तय हुआ था कि दोनों देश एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं करेंगे।

क्या ऐसा पहली बार हुआ है?

नहीं। दिसंबर 1988 को हुआ यह समझौता 27 जनवरी 1991 को लागू हुआ। पहली बार 1 जनवरी 1992 को दोनों देशों ने यह जानकारी साझा की थी। तब से हर साल 1 जनवरी को यह जानकारी साझा की जाती है। यह 30वीं बार था जब जानकारी साझा की गई।

भारत-पाकिस्तान के बीच कितने परमाणु हथियार हैं?

इस बात का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़े बताते हैं कि भारत के पास अगस्त 2020 तक 150 परमाणु हथियार थे। पाकिस्तान इस मामले में भारत से आगे है। उसके पास 160 परमाणु हथियार हैं। सबसे ज्यादा 6 हजार 375 हथियार रूस के पास हैं। दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसके पास 5 हजार 800 हथियार हैं।

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर क्या है भारत-पाक की नीति?

भारत ने साल 1999 में अपनी ‘नो फर्स्ट यूज’ की परमाणु नीति घोषित की थी। इसके मुताबिक भारत कभी भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। भारत केवल परमाणु हमला होने की स्थिति में ही अपने परमाणु बमों का सहारा लेगा।

पाकिस्तान की ऐसी कोई नीति नहीं है। यह केवल पाकिस्तान के हाई कमान पर निर्भर करता है कि उन्हें कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करना है। 1999 में पाक विदेश मंत्री ने ‘नो फर्स्ट यूज’ वाली परमाणु पॉलिसी को नकारते हुए कहा था, हम अपने देश की सुरक्षा की दिशा में हर जरूरी हथियार का इस्तेमाल कभी भी कर सकते हैं।

क्या कभी भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध के हालात बने हैं?

1999 में करगिल युद्ध करीब दो महीने तक चला था। इस दौरान भारत ने अपने इलाके से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था। युद्ध खत्म होने के तीन साल बाद 2002 में यह खुलासा हुआ था कि पाक ने इस दौरान परमाणु हथियार तैनात कर दिए थे।

CIA एनालिस्ट ब्रूस रिडल ने बताया कि 1999 में अमेरिकी सैटेलाइट की तस्वीरों से पता चला था कि पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए परमाणु हथियारों को तैनात कर दिया था। उन्होंने बताया था कि अमेरिका ने यह भयावह स्थिति देखते हुए तुरंत अपने कूटनीतिक प्रयासों के जरिए पाकिस्तान को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से रोका था।

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