असम का नया एजुकेशन सिस्टम:संस्कृत स्कूल और मदरसों को बंद किया जाएगा, यहां राष्ट्रवाद पर शोध होगा; विधानसभा में विधेयक पेश
असम सरकार ने 2018 में ही राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद करने के लिए कहा था। राज्य में 610 सरकारी मदरसे हैं। सरकार इन संस्थानों पर हर साल 260 करोड़ रुपए खर्च करती है।
बिल में क्या है ?
- राज्य में संचालित होने वाले सभी मौजूदा मदरसों को बंद करके सामान्य स्कूल में उन्हें परिवर्तित कर दिया जाए।
- भविष्य में सरकार द्वारा कभी मदरसा या संस्कृत स्कूल न खोले जाएं।
- संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाएगा।
- संस्कृत स्कूलों के ढांचे का इस्तेमाल बच्चों को भारतीय संस्कृति, सभ्यता और राष्ट्रवाद के शिक्षण एवं शोध केंद्रों की तरह किया जाएगा।
सरकार का क्या कहना है ?
असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा, ‘हमने एक विधेयक पेश किया है जिसके तहत सभी मदरसों को सामान्य शिक्षा के संस्थानों में बदल दिया जाएगा और भविष्य में सरकार द्वारा कोई मदरसा स्थापित नहीं किया जाएगा। हम शिक्षा प्रणाली में वास्तव में धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम लाने के लिए इस विधेयक को पेश करके खुश हैं।’
सरमा ने आगे कहा कि कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने इस विधेयक का विरोध किया है। लेकिन, हमें भरोसा है कि इसे पास करवा लिया जाएग। कुछ ही दिन पहले ही असम कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी है।
विपक्ष ने क्या कहा?
कांग्रेस विधायक नुरूल हुडा ने कहा कि अरबी भाषा सामान्य विषयों से अलग है। किसी भाषा को सीखना कहीं से भी सांप्रदायिकता नहीं हो सकता। अरबी भाषा सीखने के चलते ही बड़ी संख्या में युवाओं को अरब देशों में नौकरी मिली है और वह बाहर से पैसे भेजकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। अरबी सीखने के चलते दुनिया के 52 देशों में भारतीय नौकरी कर रहे हैं।
हर साल सरकार मदरसों पर 260 करोड़ रुपए खर्च करती है सरकार
हेमंत बिस्व सरमा ने अक्टूबर में कहा था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं। सरकार इन संस्थानों पर हर साल 260 करोड़ रुपए खर्च करती है। उन्होंने कहा था कि राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा। सभी सरकारी मदरसे को सामान्य स्कूलों में बदल दिया जाएगा और मौजूदा छात्रों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सामान्य स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों जैसे होंगे।