आंदोलन चला रहे नेताओं ने कहा- हमें दान नहीं, फसलों के दाम चाहिए; सरकार मजबूत प्रपाेजल भेजे

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नई दिल्ली। 28 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठन आज किसान दिवस पर भी खाली हाथ रहे। दिन में सरकार की तरफ से सुलह की उम्मीदें तब जागीं, जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘किसान हमारे प्रस्ताव में जो भी बदलाव चाहते हैं, वो बता दें। हम उनकी सुविधा और समय के मुताबिक बातचीत के लिए तैयार हैं।’ सरकार ने यह पेशकश दोपहर 3:50 बजे रखी। हालांकि, इसमें कोई मांग मंजूर करने का जिक्र नहीं किया। 2 घंटे बाद यानी शाम 5:50 बजे किसानों ने कह दिया कि सरकार का मजबूत प्रपोजल क्या हो, यह हम कैसे बताएंगे। अगर वे पुरानी बातों को ही बार-बार दोहराएं तो बात नहीं बनेगी।

सरकार ने किसानों को 10 पॉइंट का प्रस्ताव भेजा था, जिसे किसान ठुकरा चुके हैं। बुधवार को कृषि मंत्री ने नए सिरे से पेशकश रखी तो दो घंटे बाद किसान संगठनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें किसान संगठनों ने कहा, ‘यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि हम बातचीत नहीं कर रहे हैं। किसान हमेशा बातचीत को राजी हैं, जब भी बुलाया गया हम गए और आगे भी जाएंगे। सरकार ठोस प्रस्ताव लिखकर दे तो हम बातचीत करेंगे। बातचीत से नतीजा हासिल करने के लिए सरकार को अनुकूल माहौल बनाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि इन कानूनों को लागू करने की तारीख टाल दी जाए। ऐसे में बातचीत के लिए बेहतर माहौल बनेगा। सरकार को अड़ियल रुख छोड़कर किसानों की मांगें मान लेनी चाहिए। हम अमित शाह जी को पहले ही बता चुके हैं कि आंदोलन कर रहे किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे।’

किसी मीटिंग में संशोधन की बात नहीं कही- योगेंद्र यादव
योगेंद्र यादव ने कहा- आज तक किसी भी मीटिंग हमने नहीं कहा कि कानून में संशोधन पर विचार करना चाहिए। एक ही राय है कि कानून रद्द हो। गेंद सरकार के पाले में है, जो कुछ नहीं करना चाहती। वह हमारे पाले में गेंद फेंक रही है, जबकि गेंद तो शुरू से केंद्र सरकार से ही पाले में है। हमसे कहा गया कि ऊपर बात करके ठोस प्रस्ताव बनाएंगे। लेकिन, प्रस्ताव में वही पुरानी बातें थीं। गिफ्ट नहीं चाहिए। हमें क्या चाहिए, ये हम साफ कर रहे हैं। हमें दान नहीं चाहिए, दाम चाहिए। हमें फसलों की कीमत पर लीगल गारंटी चाहिए। सरकार का मजबूत प्रपोजल क्या हो, यह हम कैसे बताएंगे? अगर वे पुरानी बातों को ही बार-बार दोहराएं तो बात नहीं बनेगी।

अपडेट्स

  • टिकरी बॉर्डर पर खालसा एड ने किसान मॉल खोल दिया है। यहां सभी किसानों को एक फॉर्म दिया गया है, इसमें अलग-अलग प्रोड्क्टस के नाम लिखे हैं। किसान को जिस भी चीज की जरूरत है, वह उसके आगे टिक लगाकर मॉल से ले सकता है।
किसान मॉल में सुई-धागे से लेकर जूते और थर्मस तक मिल जाएंगे।
किसान मॉल में सुई-धागे से लेकर जूते और थर्मस तक मिल जाएंगे।
  • टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान ने कहा- किसान दिवस पर मैं मोदी सरकार को एक ही बात बोलना चाहता हूं कि कृषि कानूनों को वापस लेकर हमें आज ये गिफ्ट में दें, क्योंकि आज का किसान पढ़ा-लिखा है। उन्हें इन कानूनों के बारे में पता है।
  • किसान दिवस पर गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने हवन कर आंदोलन की सफलता की कामना की।
  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल की प्रमुख ममता बनर्जी के निर्देश पर उनकी पार्टी के 5 सांसदों ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों से मुलाकात की। इनमें डेरेक ओ’ब्रायन, शताब्दी रॉय, प्रसून बनर्जी, प्रतिमा मंडल और मोहम्मद नदीमुल हक शामिल थे।
  • कांग्रेस ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति से दखल की मांग की है। 24 दिसंबर को राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के नेता 2 करोड़ किसानों के साइन वाला ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपेंगे।

मोदी 25 दिसंबर को 6 राज्यों से किसानों से बात करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 6 राज्यों के किसानों से बात करेंगे। ये चर्चा PM किसान सम्मान निधि की अगली किश्त जारी करने के इवेंट के दौरान होगी।

किसानों की भूख हड़ताल जारी
दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां प्रदर्शन चल रहा है, वहां रोज 11 किसान 24 घंटे के उपवास पर बैठ रहे हैं। यह सिलसिला सोमवार से चल रहा है।

राजनाथ बोले- किसानों के लिए सरकार संवेदनशील
आज किसान दिवस है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों को शुभकामनाएं दी हैं। राजनाथ ने कहा कि किसान देश को खाद्य सुरक्षा देते हैं। कुछ किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता से बात कर रही है। उम्मीद है कि वे जल्द आंदोलन खत्म करेंगे।

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