कोवैक्सिन के फेज-2 ट्रायल्स के नतीजे जारी; एक साल तक कोरोना से सेफ रखेगी
बच्चों के साथ ही महिला-पुरुषों पर बराबरी से इफेक्टिव है कोवैक्सिन कोवैक्सिन को इमरजेंसी अप्रूवल पर नए साल में हो सकता है फैसला 380 वॉलंटियर्स पर की गई स्टडी के आधार पर कंपनी ने किया दावा
भारत बायोटेक ने स्वदेशी वैक्सीन-कोवैक्सिन के फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल्स के नतीजे घोषित किए हैं। इसके अनुसार यह वैक्सीन कम से कम 12 महीने तक कोरोना से सुरक्षित रखने में सक्षम है। सबसे खास बात यह है कि यह वैक्सीन सभी आयु वर्गों और महिला-पुरुषों पर बराबरी से इफेक्टिव साबित हुई है। इस समय वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। कंपनी ने अपनी वैक्सीन के लिए ड्रग रेगुलेटर से इमरजेंसी अप्रूवल भी मांगा है।
खबरें आ रही हैं कि एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन-कोवीशील्ड को दिसंबर के अंत तक इमरजेंसी अप्रूवल मिल सकता है। इसके लिए ड्रग रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने जो डेटा मांगा था, इस पर भारत में वैक्सीन के ट्रायल्स कर रही सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने जमा कर दिया है। सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने भारत बायोटेक से भी उसकी वैक्सीन के लिए देशभर में चल रहे वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स के शुरुआती नतीजों का डेटा मांगा है।
इस बीच, भारत बायोटेक ने बुधवार को कोवैक्सिन यानी BBV152 के फेज-2 नतीजे घोषित किए हैं। इससे लंबी अवधि में शरीर में बेहतर एंटीबॉडी और T-सेल मेमोरी रिस्पॉन्स दिखाया है। फेज-1 वॉलंटियर्स में वैक्सीनेशन के दूसरे डोज देने के तीन महीने बाद भी वैक्सीन इफेक्टिव दिखी है। वहीं, फेज-2 ट्रायल्स में वैक्सीन ने बढ़ा हुआ ह्युमरल और सेल-मीडियेटेड इम्यून रिस्पॉन्स दिखाया है।
ऐसे समझिए कोवैक्सिन के फेज-2 रिजल्ट्स को…
- भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के ट्रायल्स 380 स्वस्थ बच्चों और वयस्कों पर रैंडमाइज्ड आधार पर किया गया। 3 माइक्रोग्राम और 6 माइक्रोग्राम के दो फार्मूले तय किए थे। दो ग्रुप्स बनाए गए और उन्हें दो इंट्रामस्कुलर डोज चार हफ्तों के अंतर से लगाए गए थे।
- फेज-1 ट्रायल के फॉलो-अप में कोवैक्सिन ने हाई लेवल के न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी प्रोड्यूस किए। दूसरे वैक्सीनेशन के तीन महीने बाद भी सभी वॉलंटियर्स में एंटीबॉडी की संख्या बढ़ी हुई दिखी है। इन नतीजों के आधार पर कंपनी का दावा है कि कोवैक्सिन की वजह से शरीर में बनी एंटीबॉडी 6-12 महीने तक कायम रहती है।
- फेज-1 स्टडी के मुकाबले फेज-2 स्टडी में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी की संख्या ज्यादा पाई गई है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस वैक्सीन को लगाने के बाद जो लोकल और सिस्टमेटिक साइड-इफेक्ट दिखे, वह भी 24 घंटे के अंदर ठीक हो गए। कोई भी गंभीर किस्म का साइड-इफेक्ट नहीं दिखा है।
इमरजेंसी अप्रूवल में क्यों लग रही है देर?
भारत बायोटेक ने दिसंबर के पहले हफ्ते में ही कोवैक्सिन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मांग लिया था। इस पर ड्रग रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की एक बैठक भी हो चुकी है। इसमें कमेटी ने भारत बायोटेक से कहा है कि सेफ्टी और एफिकेसी से जुड़ा अतिरिक्त डेटा जमा किया जाए। तभी इमरजेंसी यूज अप्रूवल (EUA) दिया जा सकेगा। इसके लिए कंपनी को देश में चल रहे फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल्स से सेफ्टी और एफिकेसी डेटा जमा करना होगा।