Bathinda-जब तक वेक्सीन की शुरूआत नहीं लोगों के लिए कोरोना वायरस का खतरा बरकरार

-लोग लापरवाही के चलते नहीं पहन रहे मास्क वही नहीं रखा जा रहा सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल -जिले में कोरोना मरीजों के आने का सिलसिला जारी वही मृतकों की तादाद 200 के पार गई

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बठिंडा. जिले में कोरोना के नए मामले आने व मरीजों की मौत का सिलसिला जारी हैं। गत दिवस जहां 36 कोरोना पॉजिटिव स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज हुए वही कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद 200 पहुंच गई है। वर्तमान में सेहत विभाग के लिए सबसे बड़ी दिक्कत सरकारी व प्राइवेट कंपनियों के दफ्तरों में तैनात कर्मियों को लेकर आ रही है। सरकार व प्रशासन की सख्त हिदायतों के बावजूद लोग मास्क लगाने से गुरेज कर रहे हैं जबकि दफ्तरों में काम करते समय डिलिंग के लिए तय सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। अब तक जिले में कुल पाजिटिव केस 8904 तक पहुंच चुके हैं। सेहत विभाग के डाक्टरों का कहना है कि लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे, जिस कारण कोरोना थम नहीं रहा। उन्होंने अपील की है कि कोरोना के लक्षण आते ही अस्पताल में अपना चेकअप जरूर करवाएं। फिलहाल जिले में 201 एक्टिव केस हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से अब तक 118171 लोगों के सैंपल लिए गए हैं। इसके अलावा इलाज के बाद 7574 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
फिलहाल सेहत विभाग ने पब्लिक डीलिंग वाले दफ्तरों में बढ़ते केस के मद्देनजर सैंपलिंग का सिलसिला एक बार फिर से तेज करने का फैसला लिया हैं। इसी बीच कोरोना फैलने व मरीजों की मौत के पीछे एक बड़ा कारण नौ माह तक लोगों को जागरुक करने के बावजूद कोरोना को लेकर फैले भ्रम को दूर नहीं किया जा सका है। कोरोना से मरने वाले अधिकतर मरीज पहले से ही बुखार, खांसी और जुकाम से पीड़ित थे, जो इसे मौसमी वायरल समझ कर देशी उपचार करते रहे या फिर खासी व बुखार की दवा लेकर समय निकालते रहे। इलाज के लिए उस समय अस्पताल पहुंचे जब हालत गंभीर बन चुके थे। देरी से अस्पताल पहुंचे, जिस कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। माहिर डाक्टरों के अनुसार इन दिनों मौसम ठंडा होने और लापरवाही बरतने से इन्फेक्शन फैलने की संभावना भी ज्यादा होती है। नॉर्मल फ्लू में भी शरीर की इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे में ध्यान न देने पर कोविड-19 का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है, वो भी स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर अस्पताल पहुंच रहे हैं। माहिरों के मुताबिक एक तो मरीजों में देरी से रिपोर्ट करने की आदत और सर्दी के मौसम के कारण गंभीर मरीज ही अस्पताल में पहुंच रहे हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। वहीं, कुछ केसों में 36 से 48 घंटों के अंदर ही मरीज की मौत भी हो गई।
दूसरी तरफ कोविड-19 की वैक्सीन का हर कोई इंतजार कर रहा है। लेकिन अभी वैक्सीन के संबंध में ये फाइनल नहीं है कि कौन सी वैक्सीन लगाई जाएगी। वैक्सीन के संबंध में कई तरह के सवाल आम लोगों और हेल्थ केयर वर्कर्स (जिन्हें फ़र्स्ट फेज में वैक्सीन लगाई जाएगी) में उठ रहे हैं। इन्हीं सवालों के संबंध में सेहत मंत्रालय द्वारा सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर लोगों को जागरुक करने के लिए कहा है ताकि वैक्सीन लगवाने वालों के मन में किसी तरह का डर न हों। वहीं, सेहत विभाग द्वारा वैक्सीन लगाने के दौरान और बाद में ध्यान रखने वाली बातों के बारे में जानकारी के लिए वीडियो मैसेज भी जारी किया गया है।
सिविल सर्जन डा. अमरिक सिंह सिद्धू का कहना है कि कोविड-19 पॉजिटिव या शकी मरीज हैं तो वैक्सीनेशन वाली जगह पर न जाने की सलाह सेहत मंत्रालय द्वारा दी गई है। ताकि अन्य लोगों को इनफेक्शन न हो। इसके लिए इन मरीजों को ठीक होने के 14 दिनों बाद ही वैक्सीनेशन करवाने की सलाह दी गई है। वही कोविड-19 की वैक्सीन लगवाते ही शरीर में एंटी-बॉडी नहीं बनेंगी। बल्कि एंटीबॉडी बनने में दूसरी डोज लेने के 2 हफ्ते या 14 दिन का समय लग सकता है। ऐसे में ये सोचना कि वैक्सीन लगाते ही असर दिखना शुरू हो जाएगा ऐसा संभव नहीं है। वैक्सीनेशन शैड्यूल के तहत 28 दिन के अंतर में कोविड-19 की वैक्सीन लगाई जाएगी। वहीं, वैक्सीन लगने के दौरान और बाद में भी मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और बार-बार हाथ धोने के नियमों का पूरा पालन करना होगा।
भारत में विश्व का सबसे बड़ा इम्युनाइजेशन प्रोग्राम चलाया जाता है। जिसके तहत देश की लाखों गर्भवती महिलाओं और नवजन्मे बच्चों को वैक्सीन लगाई जाती है। देश में लगातार इस कोल्ड चेन को मजबूत किया जा रहा है। देश में आने वाली वैक्सीन भी अन्य देशों की तरह ही प्रभावशाली होगी। इसके लिए कई ट्रायल्स किए जा रहे हैं। सभी ट्रायल पूरे होने और सफलता की जांच के बाद ही वैक्सीनेशन लगाई जाएगी। वैक्सीन की डोज पूरी लगने के बाद व्यक्ति को क्यूआर कोड भी जारी होगा। जहां से वो अपना सर्टिफिकेट हासिल कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से लोगों की तरफ से पूछे जाने वाले सवालों के जबाव में कहा है कि वैक्सीनेशन के बाद व्यक्ति को वहीं पर ही आधे घंटे के लिए आराम करना होगा। अगर उन्हें अपनी तबीयत में किसी तरह की खराबी महसूस होती है तो इसके बारे में उन्हें अपने मौजूद हेल्थ स्टाफ को जानकारी देनी होगी। वैक्सीन लगने के बाद लोगों को हल्का बुखार, दर्द इत्यादि हो सकता है लेकिन इस तरह के लक्षण हर वैक्सीन के बाद ही सामने आ सकते हैं। उन्होंने बतायाकि पहले फेज में हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स लगाई जाएगी। इसके बाद 50 साल से ज्यादा और 50 साल से कम के उन लोगों को जो को-मॉर्बिड कंडीशन के पीड़ित हैं उन्हें लगाई जाएगी। 50 साल से ज्यादा उम्र वालों में भी पहले 60 और इससे ज्यादा और दूसरे फेज में 50-60 उम्र वाले लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।

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