बठिंडा. नगर निगम चुनाव को लेकर अभी तिथि घोषित नहीं हुई है लेकिन इलाके में चुनाव लड़के के इच्छुक सभी दलों के नेता जी की सरगर्मियां पहले से बढ़ गई है। चुनाव से पहले क्षेत्र के लोगों के शादी व धार्मिक समारोह या फिर किसी थाने में काम करवाने के लिए नेता जी की मिन्नत करनी पड़ती थी इसमें जाना तो दूर नेताजी के पास कार्यकर्ता के घर जाने तक की फुर्सत नहीं होती थी, लेकिन अब चुनावी बेला में शहर में आयोजित शादी समारोहों में अलग नजारा देखने को मिल रहा है। थानों में गली मुहल्ले के झगड़े निपटाने की पंचायतों में संभावित उम्मीदवारों के साथ-साथ क्षेत्र के नेताजी भी सफेद कुर्ते-पायजामे में नजर आ रहे हैं। शाम को सारे काम छोडकर नेताजी पत्नी से पूछकर निकलते हैं, देखना जी किन-किन लोगों के यहां से शादी व धार्मिक समारोह के कार्ड आए हैं। फिर नेताजी तय करते हैं, किसके यहां लिफाफ देना है और किसके यहां सिर्फ बधाई से काम चलाना है। शादी में जाने के बहाने समाज के लोगों के बीच पहुंचकर नेजाती अब वोट मांग रहे हैं। इसमें गली मुहल्लों में लंगर लगाने वालों, सामाजिक कार्य करने वालों के साथ किसी भी त्योहार से पहले समाज के लोगों को बधाईयां देने की होड़ भी पूरे जोरशोर से लगी है। शहर की सड़कों से लेकर गली मुहल्लों में बधाई संदेश देते बोर्ड आसानी से नजर आ रहे हैं। वही क्रि समस को बेशक अभी छह दिन का समय बचा है लेकिन इसमें ईसाई भाईचारे को लुभाने के लिए सोशल मीडिया से लेकर विभिन्न इलाकों में बधाई संदेशों के बोर्ड लगे दिखाई देने लगे हैं।
अब नेताजी नजर आने लगे शादी समारोह में
चुनाव से पूर्व नेताजी अपने चेहते लोगों की शादी में नजर आते थे। जनप्रतिनिधि व्यस्तता का बहाना बनाकर कार्यकर्ता व क्षेत्र के लोगों से शादी के कार्ड आने पर पीए या फिर समर्थक को भेजकर काम चलाते थे, लेकिन अब नगर निगम चुनाव की बेला में आयोजित शादी समारोह में हंसी-ठिठोली करते खूब नजर आ रहे हैं। कार्यकर्ता व क्षेत्र के लोग भी समझ रहे हैं कि नेताजी पहले मिन्नातें करने पर भी नहीं आते थे। अब केवल कार्ड देखकर दौडे चले आ रहे हैं। क्योंकि वोट जो चाहिए। कई स्थानों में तो नेता जी बिना बुलाए ही पहुंच रहे हैं। पिछले एक माह से जनसंपर्क बढ़ाने के लिए जुटे कई संभावित उम्मीदवार तो इलाके में धार्मिक व सामाजिक कार्य नहीं होने की स्थिति में अपने घर में ही जागरण करवाने से लेकर परजिनों के जन्मिदन व वर्षगांठ मना रहे हैं व इलाके के लोगों में निमंत्रण देकर उन्हें भोज करवा रहे हैं। घरेलु समागम में वोट बैंक पर प्रभाव रखने वाले व उन्हें उम्मीदनार बनाने वाले तमाम प्रतिष्ठित लोगों व पार्टी के आला लीडरों को निमंत्रण दिया जा रहा है।
एक जगह ही मिल जाते हैं समाज के लोग
विभिन्न दलों से संबावित उम्मीदवारों ने शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक का समय शादी समारोह, भगवती जागरण के लिए तय कर दिया है। शादी समारोह में पहुंचकर नेताजी हाथ जोडकर अपने लिए वोट भी मांग रहे हैं। नेताजी ने शादी समारोह के फायदे भी गिनाए। एक तो असली वोटर व समाज से सीधे रू-ब-रू हो जाते हैं। क्योंकि अब वोटर सभाओं में आता नहीं है। कार्यकर्ता ही सभा में रहते हैं और फिर एक ही स्थान पर पूरा समाज मिल जाता है। दो-तीन सौ लोगों से सीधे हाथ मिलाकर उनसे जुडने का मौका मिलता है। इसलिए उम्मीदवार के साथ पार्टी के प्रमुख नेता भी शादी समारोह में जाने का कोई मौका नहीं छोड रहे हैं।
कई लोगों के लिए तो बन रहे आफत
शादी के मौसम में चुनावी पर्व इन दिनों लड़की पक्ष के लिए भारी पड़ रहा है। शादी वाले घरों में चुनावी मेहमान आफत बनकर आ रहे हैं। प्रचार में निकले नेताजी क्षेत्र में बारात और शादी वाले घर देख अधिक से अधिक लोगों से जनसंपर्क के लिए बिना बुलाए ही पहुंच रहे हैं। घर पहुंचने पर लड़की वाले आवभगत में जुट जाते हैं। नेताजी और उनके साथ आया पूरा दल बड़े आराम से बिना उपहार और ‘व्यवहार’ दिए साथियों के साथ मिठाई और खाना खाकर चुपचाप निकल रहे हैं। बिन बुलाए ये चुनावी मेहमान कई लोगों पर अब भारी पड़ने लगे हैं। इसी प्रकार की स्थिति पूरे जिले में देखने को मिल रही है। इसी बीच कुछ लोगों ने कहा कि आज यह लोग जितने सिक्र य हैं हमेशा रहे तो इतनी भागदौड की जरूरत न पडे। आसानी से चुनाव जीत जाये परंतु जीतने के बाद तो आने की बात कौन कहे पहचानने वाले ही नहीं हैं।
जिले के हर थानों में दिखाई दे रहे है नेता
चुनाव से पहले लोग यह शिकायत न करे कि नेता जी ने उनका कोई काम नहीं करवाया इसलिए गली मुहल्ले में घरेलु व सामाजिक विवाद होने की स्थिति में नेता जी मामले को निपटवाने व दोनों पक्षों में समझौता करवाने के लिए सीधा थाना पहुंच रहे हैं। इसमें अच्छी बात यह हो रही है कि जहां पहले नेता जी थाने में जाने से कतराते थे आज कर सीधा बिना कुछ सोचे ही थाना प्रभारी के पास पहुंचकर मसले का हल निकालने की बात करते हैं वही पहले जान पहचान वाले का समर्थन कर दूसरे पक्ष पर केस दर्ज करने पर जोर रहता था वही अब दोनों नाराज न हो इसलिए बीच का रास्तका निकालकर मसले में समझौता करवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।