कृषि सुधारों को लेकर PM मोदी के किसानों से संवाद को समर्थन, लोग बोले-फुल सपोर्ट

पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने भाषण में नए कानून (New Farm Laws) को लेकर फैली हर अफवाह का जवाब दिया है. इसके बाद उनके इस भाषण को लोगों का जमकर समर्थन हासिल हो रहा है. पीएम का भाषण ट्विटर के टॉप ट्रेंड में बना हुआ है.

नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन (Farmer’s Agitation) के बीच पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने खुलकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है. उन्होंने साफ किया है कि नए कानून (New Farm Laws) किसी जल्दीबाजी में नहीं लाए गए हैं, इनके लिए बीते दो दशक से विचार-विमर्श चल रहा था. पीएम ने कहा कि तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती. पहले ही बहुत देर हो चुकी है. जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं. पीएम मोदी ने अपने भाषण में नए कानून को लेकर फैली हर अफवाह का जवाब दिया है. इसके बाद उनके इस भाषण को लोगों का जमकर समर्थन हासिल हो रहा है. पीएम का भाषण ट्विटर के टॉप ट्रेंड में बना हुआ है.

प्रिया भट्टाचार्य नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा बीजेपी की हर स्कीम का विरोध सिर्फ विरोध के लिए किया जाता है. नरेंद्र मोदी ने हमेशा किसानों के फायदे के लिए काम किया है और भविष्य में भी वो ऐसा करते रहेंगे.

प्रलय जना नाम के ट्विटर हैंडल ने एक इंफोग्राफिक शेयर करते हुए लिखा है- एक बार तीनों विधेयकों के सभी प्रावधानों को देखिए और समझिए कि आखिर क्यों इतना हो-हल्ला मचा हुआ है. वास्तविकता में इससे सबसे बड़ा नुकसान बिचौलियों को होने वाला है. दरअसल यही बिचौलिए मंडियों के जरिए सबसे ज्यादा मुनाफा कमाते हैं.

सनत कुमार रॉय नाम के एक अकाउंट ने ट्वीट किया-पीएम मोदी ने किसानों के सभी हितों के रक्षा का वादा किया है. इसलिए किसी भी किसानों को असामाजिक तत्वों के बहकावे में नहीं आना चाहिए.

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में कई ऐसी बातें रखीं जिनसे अफवाहों का खंडन होता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि सुधारों से जुड़ा एक और झूठ फैलाया जा रहा है APMC यानी हमारी मंडियों को लेकर. हमने कानून में क्या किया है? हमने कानून में किसानों को आजादी दी है, नया विकल्प दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है. कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है. देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं.

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