Punjab में LPG-CNG किटों व इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए देनी होगी 5,000 रुपये फीस

पंजाब कैबिनेट ने पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर मोटर वाहनों के नए मॉडलों, LPG या CNG किटों की मंजूरी और इलेक्ट्रिक वाहनों की रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोसेसिंग फीस लगाने का फैसला किया है.

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में एक अहम फैसला लिया गया. पंजाब सरकार ने पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर मोटर वाहनों के नए मॉडलों, LPG या CNG किटों की मंजूरी और इलेक्ट्रिक वाहनों की रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोसेसिंग फीस (Processing Fee) लगाने का फैसला किया है. मतलब साफ है सीएनजी, एलपीजी किटों और इलेक्ट्रिक वाहनों की रजिस्ट्रेशन के लिए अब आपको भुगतान करना पड़ेगा. बता दें की ये प्रोसेसिंग फीस 5000 रुपये तय की गई है.
Punjab To Charge Processing Fee For Registration Of New Vehicle Model -  कैबिनेट का फैसला: पंजाब में सीएनजी, एलपीजी किटों व इलेक्ट्रिक वाहनों के  रजिस्ट्रेशन पर लगेगी ...

अधिकृत डीलरों को देने होगी प्रोसेसिंग फीस
कैबिनेट ने हरियाणा की तर्ज पर पंजाब मोटर वाहन नियम 1989 की धारा 130 के साथ धारा 130 ए जोड़ने की मंजूरी दी है. इसके साथ अब मोटर वाहन बनाने वाली कंपनियां या उनके द्वारा अधिकृत डीलरों से पंजाब में मोटर वाहनों के नए मॉडलों या इनके अलग अलग रूपों या LPG CNG किटों या इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए मंजूरी देने के लिए प्रोसेसिंग फीस के तौर पर 5 हजार रुपये फीस ली जाएगी. इस फैसले से जहां राजस्व बढ़ेगा वहीं, यह भी पता रहेगा कि किस कंपनी ने कितने सीएनजी या एलपीजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण किया है.

इस मंजूरी के लिए वाहन निर्माताओं या उनके द्वारा अधिकृत डीलरों को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 की धारा 126 के अधीन रजिस्टर्ड अधिकृत टेस्टिंग एजेंसियों द्वारा जारी मंजूरी सर्टिफिकेट पेश करना होगा. मोटर वाहनों के नए मॉडलों या इनके अन्य रूपों की रजिस्ट्रेशन की मंजूरी का अधिकार ट्रांसपोर्ट विभाग के गैर कॉमर्शियल विंग को दिया गया है. कैबिनेट ने मोटर वाहनों के नए माडलों या इनके अन्य रूपों के रजिस्ट्रेशन की मंजूरी का अधिकार ट्रांसपोर्ट विभाग के गैर कमर्शियल विंग को देने का फैसला किया है.

बता दें, मौजूदा समय में पंजाब सरकार की तरफ से राज्य में रजिस्ट्रेशन की मंजूरी के लिए मोटर वाहन निर्माताओं या उनके द्वारा अधिकृत डीलरों से कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं ली जाती है, जबकि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में कंपनियों और उनके डीलरों को यह फीस देनी पड़ती है.

 

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