कौन हैं निहंग सिख, जो किसानों के समर्थन में आए हैं, राम मंदिर आंदोलन से रहा गहरा नाता
किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के दौरान सिंधू बॉर्डर (Sindhu Border Delhi) पर जिन किसानों ने डेरा डाला हुआ है. उनके साथ निहंग सिखों (Nihang Sikhs) का आना चर्चा का विषय बना हुआ है. वो हमेशा अपने साथ बाज और घोड़े लेकर चलते हैं. राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) से भी उनका खास रिश्ता रहा है.
नई दिल्ली। किसान आंदोलन में पंजाब से आये निहंगों की बहुत चर्चा है. अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित निहंग सरदार किसानों के समर्थन में सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. लड़ाकू निहंगों के ख़ुफ़िया बाज और घोड़ों की हिनहिनाहट से बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों में ख़ौफ़ है. निहंग हमेशा बाज और घोड़े के साथ ही चलते हैं. इन्हें आज भी देश की खतरनाक सैन्य शक्तियों में गिना जाता है. उनका किसान आंदोलन में आना वाकई खास बात है.
ऐसे में निहंग सरदारों के बारे में ये जानना दिलचस्प है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद में निहंग सिखों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. अयोध्या विवाद में राम मंदिर के लिए पहली एफआईआर हिंदुओं के खिलाफ नहीं, सिखों के खिलाफ दर्ज हुई थी. विवादित ढांचे के अंदर सबसे पहले घुसने वाला व्यक्ति एक निहंग सरदार था.
राम मंदिर आंदोलन से क्या खास रिश्ता
वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर कुमार मिश्र की पुस्तक ‘एक रुका हुआ फैसला’ में निहंगों के बारे में खास जानकारी दी गई. ये भी बताया गया है कि राम मंदिर से उनका गहरा रिश्ता रहा है.
161 साल पहले विवादित ढांचे के अंदर सबसे पहले घुसने वाला शख्स एक निहंग सिख था कोर्ट के फैसले में थानेदार शीतल सिंह की ओर से 28 नवंबर 1958 को दर्ज एक शिकायत का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया है कि ‘इस दिन एक निहंग सिख फकीर सिंह खालसा ने विवादित ढांचे के अंदर घुसकर पूजा का आयोजन किया और अंदर श्री भगवान का प्रतीक चिन्ह भी स्थापित किया.
30 नवंबर 1858 को स्थानीय निवासी मोहम्मद सलीम ने एक एफआईआर में लिखाया, जिसमें कहा गया था कि “निहंग सिख, बाबरी ढांचे में घुस गए हैं, राम नाम के साथ हवन कर रहे हैं।” यानी राम मंदिर के लिए पहली FIR हिंदुओं के खिलाफ नहीं सिखों के खिलाफ हुई थी. वो निहंग सरदारों के खिलाफ.
किसानों के साथ आए हुए निहंग सिख उन्हीं के साथ रोज आंदोलन में नजर आ जाते हैं. उनकी वेशभूषा खास पहचान होती है
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में भी जिक्र
इस घटना का ज़िक्र सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में किया है. अवध के थानेदार रहे शीतल दुबे की एक रिपोर्ट के हवाले से ऐसा दावा किया जाता रहा है कि पंजाब के निहंग सिंह ने 28 नवंबर, 1858 को बाबरी मस्जिद में प्रवेश किया था. उसके बीचो-बीच श्रीराम की पूजा की थी.
‘एक रूका हुआ फैसला’ में ये भी लिखा है कि निहंग सिंह ने वहां ना केवल हवन और पूजा की बल्कि उस परिसर के भीतर श्रीराम का प्रतीक भी बनाया. उस वक्त उनके साथ 25 और सिख थे, जिन्होंने मस्जिद में धार्मिक झंडे उठाए और मस्जिद की दीवारों पर चारकोल से ‘राम-राम’ लिखा था.
कौन हैं निहंग सिख
सिखों समुदाय के बीच स्वभाव से आक्रामक और हथियार रखने वाले इस विशेष तबके के सिखों को निहंग सिख कहा जाता है. निहंग का फारसी भाषा में अर्थ होता है मगरमच्छ. सिखों का यह विशेष समूह योद्धाओं के रूप में माना जाता है. इनकी बहादुरी इस रूप में विख्यात होती है कि कोई भी फर्ज इन्हें लड़ाई करने से नहीं रोक सकता. अपने आक्रामक रुख के कारण ये दुनिया भर में जाने जाते हैं.
सिख धर्म पर आंच नहीं आने देते
निहंग सिखों के दस गुरुओं के आदेशों का पूर्ण रूप से पालन करते हैं और लड़ने के प्रेरणा से ओत-प्रोत रहते हैं. माना जाता है कि दस गुरुओं के काल में ये सिख गुरु साहिबानों के प्रबल प्रहरी हुआ करते थे. तभी से धर्म की रक्षा की भावना इनके अंदर कूट-कूट कर भरी हुई है.
पुस्तक ‘एक रुका हुआ फैसला’ में निहंगों के बारे में खास जानकारी दी गई. ये भी बताया गया है कि राम मंदिर से उनका गहरा रिश्ता रहा है.
किस तरह के धर्म चिन्ह धारण करते हैं
निहंगों को उनके आक्रामक व्यक्तित्व के लिए भी जाना जाता है. निहंग सिखों के धर्म-चिन्ह आम सिखों की अपेक्षा मज़बूत और बड़े होते हैं. जन्म से लेकर जीवन के अंत तक जितने भी जीवन संस्कार होते हैं, सिख धर्म के अनुसार ही उनका प्रेम से निर्वहन करते हैं.
दूसरे सिखों से कैसे अलग हैं
निहंग खुद को हमेशा कुछ नियमों से बांधकर रखते हैं. उनके खास नियम इस तरह हैं-
1. गुरबानी का पाठ करना और ‘बाणे’ में रहना. रोज़ ये गुरबानी का पाठ तो करते ही हैं, साथ ही साथ औरों को भी उसके बारे में बताते चलते हैं. बाणे में रहने का मतलब हमेशा अपना चोला और उसके साथ आने वाले सभी शस्त्र धारण करना. किसी मजबूर, गरीब, या कमज़ोर पर हाथ न उठाना, उसकी रक्षा करना.
निहंग सिखों के धर्म-चिन्ह आम सिखों की अपेक्षा मज़बूत और बड़े होते हैं.
3. निहंग सिख आदि ग्रंथ साहिब (गुरु ग्रन्थ साहिब) के साथ-साथ श्री दशम ग्रन्थ साहिब और सरबलोह ग्रन्थ को भी मानते हैं.सरबलोह ग्रन्थ में युद्ध और शस्त्र विद्या से जुड़ी सीखें हैं. इसे वीर रस से जोड़कर देखा जाता है. इनके गुरुद्वारों में गुरु ग्रन्थ साहिब के साथ श्री दशम ग्रन्थ साहिब भी सुशोभित होते हैं. साथ ही जो मुख्य पांच तख़्त हैं सिख धर्म के, वहां भी श्री दशम ग्रन्थ साहिब का पाठ होता है.
4. इनकी अपनी एक बोली है, जिसमें कुछ ख़ास शब्द और रेफरेंस इस्तेमाल होते हैं. जैसे दूध पीते हैं तो कहते हैं, हमने समंदर पी लिया. कोई सुनने में कमज़ोर होता है तो उसे कहते हैं, ये तो चौमाले पर बैठा है.
5. निहंगों में भी दो समूह होते हैं. एक जो ब्रह्मचर्य का पालन करता है, दूसरा जो गृहस्थ होता है. जो गृहस्थ निहंग होते हैं, इनकी पत्नियां भी वही वेश धारण करती हैं, बच्चे भी. और सभी समूह के साथ ही चलते हैं. एक जगह टिककर नहीं रहते.
कुछ ख़ास बातें हैं निहंग सिखों की
- ये छोटे-छोटे समूहों में घूमते रहते हैं. सिख गुरुओं के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं जहां-जहां घटी थीं, वहां का चक्कर लगाते हैं.
- इनके तीन दल हैं- तरना दल, बिधि चंद दल, और बुड्ढा दल. इनके सबके अलग-अलग मुखिया होते हैं, जिन्हें जत्थेदार कहा जाता है.
- निहंगों के कुछ समूह ‘सुक्खा’ या ‘शहीदी देग’ का सेवन करते हैं. भांग को ये नाम दिया गया है. सिख समुदाय के ही कुछ दूसरे धड़े इसके खिलाफ हैं. अक्सर इस बात को लेकर उनमें मतभेद भी होता है.
सबसे खतरनाक सैन्य शक्तियों में
निहंग सिखों के समूह एक समय देश के सबसे खतरनाक सैन्य शक्तियों में से एक माने जाते थे. आज भी इनका ‘बाणा’ इन्हें बाकियों से अलग खड़ा करता है. लेकिन आज अधिकतर ये घूम-घूम कर गुरबानी का पाठ करते हुए ही मिलते हैं.