वही इसमें 17 दिसंबर तक आरोपियों का पता लगाकर उन पर पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करवाने की हिदायत दी थी लेकिन सेहत विभाग ने पूर्व की तरह लापरवाही को जारी रखते जांच में लगातार देरी की व रिपोर्ट सैंपने के अंतिम दिनों में टीम गठित करने का फरमान सुनाया।
इस मामले में एक बड़ी लापरवाही यह भी सामने आई है कि मई से लेकर नवंबर तक जिन चार बच्चों और एक महिला को एचआईवी पॉजिटिव डोनर कर खून चढ़ने का मामला सामने आया था, उसमें भी दो मामलों को छोड़कर बाकी दो मामलों में से अक्तूबर वाले केस में कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर अब तक पूर्व एमएलटी बलदेव रोमाणा, एलटी रिचा गोयल पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जबकि पूर्व बीटीओ डा. करिश्मा पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई। जबकि नवंबर के मामले में चंडीगढ़ से दो सदस्यीय की एक अलग टीम जांच के लिए ब्लड बैंक पहुंची थी। इसमें पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. मनप्रीत छतवाल व पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की बीटीओ डा.सुनिता शामिल थी।