Bathinda-नगर निगम चुनावों के एतराज को लेकर होगी 15 दिसंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई, मिल सकते हैं नए निर्देश

बठिंडा व मोगा के अकाली नेताओं ने हाईकोर्ट में नई हदबंदी को लेकर जताया है एतराज, सरकार कर चुकी है चुनाव को लेकर अधिसूचना

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बठिडा. नगर निगम चुनाव के लिए स्थानीय निकाय विभाग की ओर से जारी की गई नई हदबंदी के खिलाफ शिअद के पूर्व पार्षद की ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर जस्टिस जसवंत सिंह तथा जस्टिस कर्मजीत सिंह के बेंच की ओर से अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी। इससे पहले सरकार ने चुनावों को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस स्थिति में अब कोर्ट में दायर याचिका में जताए एतराज पर निगम ने अपना जबाव भी दायर कर दिया है जिसमें अब कोर्ट इसमें सरकार को चुनाव प्रक्रिया संबंधी कुछ नए निर्देश जारी कर सकती है लेकिन इसका चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह का असर नहीं होने की उम्मीद जताई जा रही है।

यह याचिका बीते दिनों शिअद के शहरी प्रधान एवं पूर्व पार्षद एडवोकेट राजबिदर सिंह सिद्धू की ओर से दायर की गई थी। राजबिदर सिद्धू ने अपनी याचिका में कहा है कि नई वार्डबंदी भारत सरकार की ओर से 6 सितंबर 2019 को जारी की गई उस नोटिफिकेशन का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि पंजाब के शहरों, जिलों, तहसीलों तथा गांवों के वार्डों की सीमाएं एक जनवरी 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक सुरक्षित रहेंगी। इस अवधि के दौरान सीमाओं के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। लेकिन भारत सरकार की इस नोटिफिकेशन के बावजूद स्थानीय निकाय विभाग की ओर से बठिडा नगर निगम चुनाव को लेकर जो वार्डों की नई हदबंदी की गई है, उसमें पहले निर्धारित सीमाओं को बुरी तरह से तोड़ा गया है। एक-एक मोहल्ले को तीन वार्डों में बांट दिया गया है। इसी तरह किसी वार्ड के छह टुकड़े कर दिए गए हैं।

बता दें कि उधर, स्थानीय निकाय विभाग की ओर से भी बीती 11 सितंबर की केविएट फाइल की हुई थी। राजबिदर सिद्धू सहित बठिडा के दस अकाली-भाजपा नेताओं की ओर से नई वार्डबंदी के खिलाफ याचिका दायर करने की आशंका व्यक्त की गई थी। जिसमें कहा गया है कि अदालत कोई फैसला लेने से पहले स्थानीय निकाय विभाग का पक्ष सुना जाए। याचिकाकर्ता एडवोकेट राजबिदर सिंह सिद्धू ने बताया कि इससे पहले स्थानीय निकाय विभाग का पक्ष भी सुना गया। जिसके बाद अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 दिसंबर को निर्धारित कर दी है।

हालांकि याचिकाकर्ता को नई हदबंदी पर स्टे की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही स्थिति मोगा में निकाय विभाग के चुनाव से पहले विरोधी पार्टियों द्वारा सत्ता पर सत्ता के दुरुपयोग करने के आरोप लगाए जा रहे थे। वहीं कांग्रेस विधायक की ओर से 50 वार्डों में शफलिंग करने व आरक्षित वार्डों में बदलाव करने के प्रयासों का जमकर विरोध हुआ परंतु निकाय विभाग ने बदलाव की प्रक्रिया को रोका नहीं। हालांकि अकाली दल इसको लेकर हाईकोर्ट में भी गया परंतु पंजाब सरकार टस से मस नहीं हुई और बदलाव को 10 दिसंबर को मंजूरी दी गई है।
बदलाव के विरोध में सुनवाई 15 दिसंबर को, सरकार ने 10 को ही बदलाव की दे दी मंजूरी
इस संबंधी अकाली दल के वरिष्ठ नेता बरजिंदर सिंह बराड़ ने विरोध करते हाईकोर्ट में रिट पटीशन लगाई थी। उनका तर्क था कि म्युनिसिपल एक्ट के अनुसार वार्डों में एक बार शफलिंग होने के बाद 15 साल तक छेड़छाड़ नहीं हो सकती। क्योंकि मोगा नगर कौंसिल के 50 वार्ड 2015 को बने थे और अभी पांच साल ही हुए हैं व कोई नई जनसंख्या का गणना भी नहीं हुआ। इसलिए वार्डों की शफलिंग गैरकानूनी है। हाईकोर्ट ने रिट मंजूर कर ली थी और पंजाब सरकार का जवाब भी मांगा परंतु स्टे न देने के चलते पंजाब सरकार ने अपना जवाब दे दिया परंतु शफलिंग की प्रक्रिया जारी रखी। अब इसकी 15 दिसंबर की तारीख है परंतु पंजाब सरकार ने 10 दिसंबर की शाम को नई वार्डबंदी को मंजूरी दे दी है। अब हाईकोर्ट इसे कैसे लेती है, यह आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन यह तय है कि पंजाब सरकार ने नई वार्डबंदी पर चुनाव कराने का मन बना लिया है और जो नई वोट बनने की प्रक्रिया चल रही है। उसी संशोधित वोटर लिस्ट के आधार पर ही निकाय चुनाव की पंजाब सरकार की मंशा है। अलग से निकाय विभाग वोटर लिस्टें नहीं बनाएगी।

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