कोरोना वैक्सीन रेस: जानिए कहां खड़े हैं भारत के अलावा बाकी दुनिया के देश

रूस (Russia) ने कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) की घोषणा अगस्त महीने में ही कर दी थी लेकिन एक्सपर्ट्स ने इसे संदेह की निगाहों से देखा है. अब Pfizer की वैक्सीन का टीकाकरण ब्रिटेन (Britain) में शुरू किया जा चुका है. Pfizer के अलावा भी इस वक्त दुनिया में कई वैक्सीन प्रोजेक्ट हैं जो बिल्कुल आखिरी स्टेज में हैं.

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नई दिल्ली. ब्रिटेन विश्व का पहला देश बन चुका है जहां पर Pfizer की कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण (Vaccination) शुरू हो गया है. 8 दिसंबर को देश की एक 90 वर्षीय महिला का टीकाकरण किया गया. Pfizer ने बीते 18 नवंबर को वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे जारी किए थे और ब्रिटेन ने 3 दिसंबर को इसके इमरजेंसी यूज (Emergency Use) की अनुमति दे दी थी. इसके बाद 9 दिसंबर को कनाडा तो 10 दिसंबर को अमेरिका ने भी इमरजेंसी यूज की अनुमति दे डाली. Pfizer के अलावा भी दुनिया में कई अन्य वैक्सीन हैं जो अपने आखिरी चरण में हैं और जल्दी ही उनके बाजार में आने की उम्मीद है.

मॉडर्ना की वैक्सीन

अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना भी अपनी वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे सार्वजनिक कर चुकी है. आगामी 17 दिसंबर को देश के ड्रग डिपार्टमेंट द्वारा इसका रिव्यू किया जाना है. माना जा रहा है कि जल्द ही ये वैक्सीन भी बाजार में आ सकती है. इस वैक्सीन को लेकर दुनिया के ज्यादातर देश उत्साहित हैं. इसका कारण ये है कि जहां Pfizer की वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर रखना है तो वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन को -20 से -25 डिग्री तापमान पर ही रखना है. ऐसे में भारत के लिए भी इसे ज्यादा मुफीद माना जा रहा है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन
इसके अलावा एस्ट्रेजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के भी आखिरी चरण के ट्रायल डेटा रिलीज किए जा चुके हैं. यह वैक्सीन अलग-अलग समूहों में 70 से 90 प्रतिशत तक कारगर साबित हुई है. इस वैक्सीन प्रोजेक्ट में भारत का सीरम इंस्टिट्यूट भी पार्टनर है. सीरम इंस्टिट्यूट ने इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की इजाजत भी मांगी थी जो उसे नहीं दी गई है. इसके लिए ‘डेटा की कमी’ को कारण बताया गया है.

जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन
अमेरिकी दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन भी अपनी वैक्सीन के ट्रायल के डेटा इस महीने या अगले महीने तक जारी कर सकती है. इस वैक्सीन के लिए क्लीनिकल ट्रायल को लेकर वॉलंटियर्स की संख्या भी 60 हजार से घटाकर 40 हजार की जा चुकी है. माना जा रहा है कि ऐसा जल्दी नतीजों के लिए किया गया है.

इन दवा कंपनियों ने हाथ खड़े किए

फ्रांस की दवा कंपनी Sanofi और ब्रिटिश दवा कंपनी GlaxoSmithKline अपने वैक्सीन प्रोजेक्ट को लेकर निराशाजनकर खबर दे चुकी हैं. 11 दिसंबर को दोनों कंपनियों ने बताया कि उनका वैक्सीन बनाने का प्रयास असफल रहा है. उम्रदराज लोगों में ये कम प्रभावी रही हैं.

रूस की वैक्सीन को लेकर संदेह
सबसे पहले वैक्सीन की घोषणा करने वाले रूस ने भी अपनी वैक्सीन स्पूतनिक को लेकर कहा था कि यह 91 प्रतिशत कारगर रही है. रूस ने भी अपने यहां वैक्सिनेशन की शुरुआत कर दी है. लेकिन स्पूतनिक के ट्रायल डेटा को लेकर एक्सपर्ट्स द्वारा संदेह जाहिर किया गया है.

अगले साल की पहली तिमाही में आ सकती है भारत की स्वदेशी वैक्सीन
वहीं भारत की स्वदेशी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत तक तैयार हो सकती है. दवा कंपनी भारत बायोटेक ने बीते बुधवार को जानकारी दी थी कि उनकी कोरोना वैक्सीन अगले साल की पहली तिमाही तक उपलब्ध हो जाएगी. भारत बायोटेक की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा ऐला ने कहा था, ‘सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों के साथ, को-वैक्सीन अगले वर्ष की पहली तिमाही में उपलब्ध हो जाएगी.’

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