आईएमए की देश व्यापारी हड़ताल का बठिंडा में नहीं दिखा असर, अधिकतर अस्पतालों में चलती रही ओपीडी, एमरजेंसी के नाम पर 200 की स्लिप के वसूले 500 रुपए

जबकि आईएमए से जुड़े पदाधिकारियों ने बेशक हड़ताल के अनुरुप ओपीडी नहीं चलाई। फिलहाल इन अस्पतालों में मरीजों को परेशानी हुई जिससे सिविल अस्पताल में ओपीडी में दूसरे दिनों के मुकाबले बढ़ोतरी जरूर देखी गई। हड़ताल के तहत शुक्रवार सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे तक इमर्जेंसी सेवाओं को छोड किसी तरह का इलाज नहीं किया गया। इस दौरान सभी गैर-आपातकालीन और गैर-कोविड मेडिकल सेवाएं भी बंद रही। आईएमए के अध्‍यक्ष डा. विकास छाबड़ा ने कहा, 'आधुनिक चिकित्सा नियंत्रित और रिसर्च आधारित है, हमें आयुर्वेद की विरासत और समृद्धि पर गर्व है, लेकिन दोनों को एक साथ मिक्‍स नहीं किया जाना चाहिए।'

बठिंडा. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (भारतीय चिकित्‍सा संघ) की तरफ से देशभर में शुक्रवार को हड़ताल रखकर सुबह से लेकर सांय 6 बजे तक ओपीडी सेवाएं बंद रखी गई। इस अहवान का जिले के अस्पतालों में मिलाजुला असर देखने को मिला। इसमें कई अस्पतालों ने बेशक हड़ताल में हिस्सा लेने की घोषणा की थी लेकिन यहां ओपीडी अन्य दिनों की तरह जारी रही। इसमें बठिंडा के भट्टी रोड, माल रोड, पावर हाउस रोड़ स्थित अधिकतर अस्पतालों में दूसरे दिनों के मुकाबले आज सैकड़ों की तादाद में लोग ओपीडी के लिए पहुंचे वही डाक्टरों ने उनकी जांच कर उपचार भी किया। यही नही भट्टी रोड पर तो अस्पताल प्रबंधकों ने मरीजों से 200 रुपए प्रति मरीज की ओपीडी वाली स्लीप को एमरजेंसी कहकर 500 रुपए तक की वसूली की।

इसमें कुछ अस्पतालों में ओपीडी नहीं हुई तो लोग दूसरे अस्पतालों की तरफ रुख करने लगे जिसके चलते वहां भीड़ इकट्ठी हो गई व इस दौरान कोरोना को लेकर जारी हिदायतों की भी सख्ती से पालना नहीं हो रही थी। जबकि आईएमए से जुड़े पदाधिकारियों ने बेशक हड़ताल के अनुरुप ओपीडी नहीं चलाई। फिलहाल इन अस्पतालों में मरीजों को परेशानी हुई जिससे सिविल अस्पताल में ओपीडी में दूसरे दिनों के मुकाबले बढ़ोतरी जरूर देखी गई। हड़ताल के तहत शुक्रवार सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे तक इमर्जेंसी सेवाओं को छोड किसी तरह का इलाज नहीं किया गया। इस दौरान सभी गैर-आपातकालीन और गैर-कोविड मेडिकल सेवाएं भी बंद रही। आईएमए के अध्‍यक्ष डा. विकास छाबड़ा ने कहा, ‘आधुनिक चिकित्सा नियंत्रित और रिसर्च आधारित है, हमें आयुर्वेद की विरासत और समृद्धि पर गर्व है, लेकिन दोनों को एक साथ मिक्‍स नहीं किया जाना चाहिए।’


बठिंडा के साथ जिले में विभिन्न मंडियों के डॉक्‍टर भी केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। यहां के एक डॉक्‍टर ने कहा, ‘हम इस अध्‍यादेश की वापसी की मांग करते हैं। हम कोविड मरीजों व इमरजेंसी मामलों को ही आज देख रहे हैं।’ यह हड़ताल सरकार के एक फैसले के विरोध में किया जा रहा है। दरअसल सरकार की ओर से आयुर्वेद के छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दे दी गई। सरकार के अध्‍यादेश में आयुर्वेद के छात्रों को नाक, कान, गला जैसी 58 तरह की सामान्‍य उपचार में सर्जरी की इजाजत दी गई है। काउंसिल ऑफ मेडिसीन की ओर से कुछ दिन पहले ही यह आदेश दिया गया। केंद्र सरकार की ओर से आयुर्वेद के विद्यार्थियों को सर्जरी की अनुमति देने वाले कदम को ‘मिक्‍सोपैथी’ करार दिया है। साथ ही आयुर्वेद डॉक्‍टर्स के सर्जरी करने की काबिलियत पर सवाल उठाया है। IMA की ओर से किए गए इस हड़ताल के तहत देश भर में सभी क्लिनिक, नॉन-इमर्जेंसी हेल्‍थ सेंटर, ओपीडी, सर्जरी बंद रखने की अपील की गई थी। वहीं आम लोगों की परेशानी और मुश्‍किलों को समझते हुए इमरजेंसी चिकित्‍सा सेवाओं, आइसीयू, कोविड केयर, सीसीयू, इमरजेंसी सर्जरी और लेबर रूम में काम अनवरत जारी रखने की अनुमति दी थी।

 

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