केंद्र ने किसानों के पाले में डाली गेंद:कृषि मंत्री बोले- हमने प्रस्ताव में सभी सवालों का जवाब दिया, वो फैसला नहीं कर पा रहे, ये चिंता की बात

तोमर ने कहा कि इन कानूनों से एमएसपी प्रभावित नहीं होती। किसानों को ऐसा लगता है कि नए ट्रेड एक्ट में उनकी एपीएमसी प्रभावित होगी। मंडियां दिक्कत में फंस जाएंगी। हमने कहा कि टैक्स लगता है तो व्यापारी टैक्स की वसूली किसान से ही करता है। हमने फिर भी इस आशंका पर विचार करने की बात कही। हमने कहा कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सकेगी। हमारे एक्ट में ये प्रावधान है कि पैन कार्ड से ही खरीद हो सकेगी। सरकार की सोच थी कि व्यापारी और किसान लाइसेंसी राज से बच सकेंगे।

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नई दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को नए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले सत्रों में 3 कानून लेकर आई थी। कृषि क्षेत्र के ये कानून, जिनमें कृषि उपज का व्यापार और वाणिज्य, मूल्य और आश्वासन से संबंधित हैं। इन कानूनों पर लोकसभा और राज्यसभा में सभी दलों के सांसदों ने 4-4 घंटे विचार रखे। लोकसभा में यह बिल पारित हुआ। राज्यसभा में 4 घंटे चर्चा हुई। इस दिन एक अभद्र घटना भी विपक्ष के सदस्यों ने की। आज तीनों कानून लागू हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश गांव और खेत तक पहुंचे, इसकी संभावनाएं न के बराबर थीं। सरकार ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लगातार खेती और किसान को आगे बढ़ाने, 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने, कृषक अनुदान बढ़ाने के लिए काम किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले यूरिया की कमी होती थी। राज्य को यूरिया की जरूरत होती थी, उस वक्त मुख्यमंत्री दिल्ली में डेरा डालकर बैठते थे। कालाबाजारी होती थी। पुलिस लगाकर यूरिया बांटना पड़ता था। यूरिया की लूट की घटनाएं भी होती थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने यूरिया को नीम कोटिंग का काम करवाया और पिछले 6 साल में देश में किसान को यूरिया की कोई कमी नहीं हुई।

सरकार की कोशिश थी कि किसान मंडी की जंजीरों से मुक्त हो

देश को अपेक्षा थी कि कानूनों के माध्यम से भी हमें कृषि को आगे बढ़ाने की जरूरत है। कानून आए तो सरकार की ये कोशिश थी कि किसान मंडी की जंजीरों से मुक्त हो और मंडी की परिधि से बाहर किसान अपना माल किसी को भी, कहीं भी बेचने के लिए आजाद हो।

मंडी परिधि के बाहर जो ट्रेड होगा, उस पर टैक्स नहीं लगेगा। किसान को बेचने की स्वतंत्रता मिल जाए, बिना टैक्स के खरीद-फरोख्त हो, इसमें क्या समस्या है। अभी कोई कानून नहीं है कि कृषि उपज बेचने के 3 दिन के भीतर भुगतान हो जाए। अब कानून में ये प्रावधान किया गया है।

किसान की जमीन को पूरी सुरक्षा

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किसान और किसान की भूमि को कानून में पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया। किसानों के बीच विवाद हो तो एसडीएम 30 दिन में इसे सुलझाएगा। यह भी प्रावधान किया गया कि निर्णय किसान के खिलाफ भी जाता है तो वसूली दी गई कीमत की हो सकती है। वसूली का निर्देश एसडीएम के द्वारा किसान के विरुद्ध नहीं होगा। भूमि सुरक्षित रहे, इस दिशा में सरकार ने विमर्श किया।

‘सरकार लगातार बातचीत करती रही’

तोमर ने कहा कि इस कानून का देशभर में स्वागत हुआ। बीच में कई ऐसे भी उदाहरण भी मिले कि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में तत्काल भुगतान करवाया गया। ये सिलसिला चल रहा था कि कुछ किसान और कुछ यूनियन आंदोलन की राह पर आ गईं। पंजाब की किसान यूनियन को लोगों से 14 अक्टूबर, 13 नवंबर को बातचीत हुई।

हम लोग लगातार चर्चा के लिए तैयार थे। बातचीत चल ही रही थी कि इसी बीच 26-27 नवंबर के आंदोलन की घोषणा हुई। हमने 3 दिसंबर को बातचीत का न्योता भेजा। ठंड थी, कोविड था इसलिए सोचा गया कि बातचीत जल्दी करनी चाहिए। फिर 1, 3 और 5 दिसंबर को बातचीत की गई। 7 तारीख को फिर से बैठने की बात हुई। बीच में 8 तारीख की रात को बातचीत हुई।

ऐसी परिस्थिति बनी कि उनकी तरफ से सुझाव नहीं आ रहा था। हमें लगा कि किसानों के मुद्दे हैं और शंका हैं। वो आखिरकार कानून वापसी की बात पर ही आ जाते हैं। हमने लगातार यही पूछा कि एक्ट के कौन से प्रावधान है, जिससे किसानों को तकलीफ है, उस पर चर्चा कर लें।

यूनियनों ने मुद्दे नहीं बताए तो हमने प्रस्ताव भेजा

तोमर ने कहा कि किसानों के मुद्दे यूनियन की तरफ से नहीं आए तो हमने उन्हें मुद्दे चिह्नित करके बताए। उन मुद्दों पर सिलसिलेवार प्रस्ताव बनाकर हमने भेजा। कानूनों को निरस्त करने की मांग थी। हमारा पक्ष है कि कानून के वो प्रावधान जिन पर आपत्ति है, उस पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है।

कानून वैध नहीं है, ये बात आई। कुछ लोगों ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र कानून नहीं बना सकता। हमने कहा कि ट्रेड के लिए केंद्र को कानून बनाने का अधिकार है और हमने ट्रेड तक ही सीमित रखा है।

फिर दोहराया- MSP प्रभावित नहीं होगी

तोमर ने कहा कि इन कानूनों से एमएसपी प्रभावित नहीं होती। किसानों को ऐसा लगता है कि नए ट्रेड एक्ट में उनकी एपीएमसी प्रभावित होगी। मंडियां दिक्कत में फंस जाएंगी। हमने कहा कि टैक्स लगता है तो व्यापारी टैक्स की वसूली किसान से ही करता है। हमने फिर भी इस आशंका पर विचार करने की बात कही।

हमने कहा कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सकेगी। हमारे एक्ट में ये प्रावधान है कि पैन कार्ड से ही खरीद हो सकेगी। सरकार की सोच थी कि व्यापारी और किसान लाइसेंसी राज से बच सकेंगे।

SDM सबसे नजदीकी अधिकारी, इसलिए उसे अधिकार दिया

उन्हें लगता था कि पैन कार्ड किसी के पास भी होगा और कोई भी खरीदकर भाग जाएगा। हमने इस पर भी विचार करने की बात कही। हमने कहा कि राज्य सरकारें इस प्रकार के पंजीयन के लिए अधिकृत होंगी और नियम बना सकेंगी। उनका मुद्दा था कि विवाद निपटाने के लिए एसडीएम को अधिकृत किया है और अपील कलेक्टर के पास होगी।

हमें लगता था कि गांव में किसान के सबसे नजदीक अधिकारी एसडीएम है। ज्युडिशियरी के क्षेत्र में हमें लगता था कि वहां समय लगेगा। हमें लगता था कि एसडीएम को अधिकृत किया था। उन्हें लगता था कि न्यायालय में जाने की सुविधा होनी चाहिए। हमने यह विकल्प देने की बात भी कही। इस पर हम लिखित आश्वासन सरकार, किसान औऱ यूनियनों को दे सकते हैं।

हमें किसानों की चिंता

तोमर ने कहा कि बिजली के मामले पर उन्हें चिंता थी। हमने कहा था कि वर्तमान समय में जो व्यवस्था थी। वही चलेगी कोई बदलाव नहीं होगा।हमने एक प्रपोजल दिया, उन्होंने विचार-विमर्श किया। उन लोगों के सारे प्रश्नों का उत्तर देने के बाद भी वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

किसानों का विषय है, वो ठंड में इतनी तादाद में बैठे हैं और कोविड का समय है ऐसे में हमारे मन में चिंता रहती है। मैं आग्रह करना चाहता हूं किसानों से कि आपके प्रश्नों का समाधान करने के लिए लिखित प्रस्ताव सरकार ने भेजा है। आप उस पर विचार करें और जब भी चर्चा के लिए कहा जाएगा, भारत सरकार हमेशा तैयार रहेगी।

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