14 दिनों तक रक्तदान का काम बंद रखने के लिए संस्थाओं ने एमरजेंसी में काम किया शुरू
-लोगों को हो रही थी भारी परेशानी, थेलेसीमिया पीड़ित 40 बच्चों के साथ एमरजेंसी में आए केसों में रक्तदान करेंगी संस्थाएं
बठिंडा. सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में थेलेसीमियां पीड़ित चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के बाद विरोध में आई सामाजिक संस्थाओं ने रक्तदान का काम बंद करने की घोषणा 14 दिन पहले की थी। वही अब लोगों की परेशानी को देखते संस्थाओं ने फिर से रक्तदान की मुहिम शुरू कर दी है। इसमें एमरजेंसी में रक्त देने के साथ कैंपों का आयोजन फिर से करने का फैसला लिया गया है। इसके बाद संस्थाओं की तरफ से अस्पताल में उपचार करवा रहे थेलेसीमिया पीड़ित 40 बच्चों के साथ एमरजेंसी में रक्त देने की मुहिम पूर्व की तरह चल रही है। इस बाबत ब्लड बैंक के अधिकारी अपने स्तर पर संस्था के प्रबंधकों व रक्तदानियों से संपर्क कर सहयोग करने की मांग कर रहे हैं जिसमें कई संस्थाओं व रक्तदानियों ने सहयोग करना भी शुरू कर दिया है। ब्लड डोनर वीरु बांसल का कहना है कि ब्लड बैंक के अधिकारियों की तरफ से आपातकाल में सेवा के लिए उनके साथ संपर्क किया जा रहा है जिसमें वह मांग के अनुरुप रक्त उपलब्ध करवा रहें है। फिलहाल रक्तदान कैंपों की मुहिम अभी शुरू नहीं की गई है।
गौरतलब है कि 26 नवंबर को बठिडा सिविल अस्पताल बठिडा में स्थित ब्लड बैंक में चार बच्चों के साथ एक महिला को एचआइवी रक्त चढ़ाने के मामले में शहर की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं ने बठिडा थैलेसीमिया एसोसिएशन के प्रधान पर सिविल अस्पताल प्रबंधन की तरफ से दर्ज करवाए गए केस का विरोध शुरू कर सामाजिक काम बंद करने की घोषणा की थी। पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए इस केस को रद करने और मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग को लेकर शहर की तमाम समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने डीसी रिहायश के बाहर धरना देकर प्रदर्शन किया था। वहीं डीसी रिहायश को जाने वाली मेन सड़क को जाम कर दिया था। बैठक करने के उपरांत थैलेसीमिया पीड़ित एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर पुलिस केस दर्ज करवाने के विरोध में शहर की सभी सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के साथ विपक्षी राजनीतिक दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसके बाद सामाजिक संस्थाओं की सिविल अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक हुई थी जिसमें आश्वासन दिया गया था कि थेलेसीमिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर दर्ज केस को वापिस लेने के लिए काम करेंगे। इसके बाद संस्थाओं ने कई सामाजिक काम शुरू कर दिए थे लेकिन रक्त लेने व देने का काम बंद कर रखा था।