कृषि कानूनों पर अंतिम फैसले की तैयारी: शाह की किसान नेताओं से पहली बैठक जारी, कल छठवें राउंड की बातचीत से पहले कैबिनेट मीटिंग

कृषि सुधार कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों से छठे दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गतिरोध समाप्त करने के प्रयासों के तहत किसान नेताओं के एक समूह से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक, 13 किसान नेताओं को शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया गया था. बैठक रात आठ बजे आरंभ हुई. किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे जबकि पांच देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शामिल नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत भी हैं. कुछ किसान नेताओं ने बताया कि उन्हें पहले इस बैठक के शाह के आवास पर होने की उम्मीद थी, लेकिन यह राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, पूसा में हो रही है.

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर फैसले के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि 12 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से पहली बार गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुलाकात की। ICAR भवन में चल रही इस मीटिंग में 13 किसान नेता पहुंचे हैं। कल यानी बुधवार को किसानों और सरकार के बीच छठवें राउंड की बातचीत होनी है और इससे पहले ही कैबिनेट की मीटिंग भी बुलाई गई है। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन को लेकर कोई फैसला भी हो सकता है।

हालांकि, किसानों का कहना है कि कोई बीच का रास्ता नहीं है। हमें गृह मंत्री से हां या ना में जवाब चाहिए। टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने कहा था कि कानून वापसी से कम कुछ मंजूर ही नहीं है।

ये 13 नेता शाह के साथ मीटिंग कर रहे
किसान नेता हनन मुला, शिवकुमार कक्का, बलवीर सिंह राजेवाल, राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह, मंजीत सिंह राय, बोध सिंह मानसा, रुलदू सिंह, बूटा सिंह, शिव कुमार, दर्शन पाल और हरिंदर सिंह गृह मंत्री के साथ बैठक में शामिल हुए हैं।

शाह से बातचीत के रास्ते इस तरह खुले, पर तय कुछ नहीं

  • भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने कल सिंघू बॉर्डर पर पंजाब की किसान यूनियनों के नेताओं से मुलाकात की थी।
  • केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज शाम 13 किसान नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिनमें टिकैत भी शामिल हैं।
  • सूत्रों के मुताबिक राकेश टिकैत बैक चैनल से सरकार से वार्ता कर रहे थे। हालांकि, सार्वजनिक बयानों में वो यही कहते रहे थे कि किसान संगठन जो फैसला लेंगे, उसमें वो साथ हैं और जब तक कानून वापस नहीं होंगे तब तक वो गाजीपुर बॉर्डर पर टिके रहेंगे।
  • हालांकि, पर्दे के पीछे से कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिशें जारी थीं। इस मुलाकात को इन्हीं कोशिशों के नतीजे में देखा जा रहा है।
  • पंजाब की किसान यूनियनों से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, कल यानी बुधवार को होने वाली वार्ता से पहले केंद्रीय गृह मंत्री के साथ बैठक के प्रस्ताव का पांच किसान यूनियनों ने विरोध किया था, लेकिन फिर सभी यूनियन इस बात पर सहमत हो गईं कि किसानों को सरकार का प्रस्ताव कम से कम सुनना तो चाहिए ही।
  • गृहमंत्री से मुलाकात करने गए किसान नेता मुलाकात के बाद आज रात दस बजे फिर सिंघू बॉर्डर पहुंचेंगे और किसान नेताओं की अहम बैठक होगी। इसमें गृहमंत्री का प्रस्ताव सुनाया जाएगा और चर्चा की जाएगी।
  • टीकरी बॉर्डर पर मौजूद कई लोगों से हमने बात की। उनका कहना था कि वो तीनों कानूनों को रद्द करने से कम किसी भी बात पर मानने वाले नहीं हैं।
  • हरियाणा के एक किसान संगठन से जुड़े एक कार्यकर्ता का कहना था, “जो यूनियन नेता सरकार से समझौता करेगा जनता उसे बख्शेगी नहीं।’
  • एक नेता ने कहा, “यूनियन के नेता जनता के गुस्से को समझ रहे हैं और जानते हैं कि जो नेता सरकार से समझौता करेगा उसे हटा दिया जाएगा।’
  • केंद्र सरकार की ओर से किसानों की मांगों को मानने का कोई संकेत नहीं दिया गया है।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि ‘भारत बंद’ के जरिए किसानों द्वारा दिखायी गयी एकजुटता ने जता दिया है कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए. उन्होंने दोहराया कि तीनों नए कानून ‘किसान विरोधी’ हैं और हितधारकों के साथ बिना चर्चा के लिए इन्हें लाया गया. तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के आह्वान पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में मंगलवार को ‘भारत बंद’ का आयोजन किया गया. सिंह ने खुशी जतायी कि राज्य में बंद शांतिपूर्ण रहा. उन्होंने किसानों को ऐसे तत्वों के खिलाफ आगाह किया जो उनके आंदोलन का फायदा उठा सकते हैं और राज्य में शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं. मुख्यमंत्री ने किसानों को ऐसे लोगों से सावधान रहने को कहा है जो अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए प्रदर्शन के दौरान शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं.

इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के घर जाकर मुलाकात की है। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, यह अभी पता नहीं चल पाया है।

किसान अड़े- तीनों कानून रद्द हों
टिकरी बॉर्डर पर किसानों के मंच के पास भारी भीड़ है। दिल्ली को रोहतक से जोड़ने वाले इस हाईवे पर कई किलोमीटर तक ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़े हैं। सड़क के दोनों ओर किसान अपनी यूनियन के झंडे लिए नारेबाजी करते हुए चल रहे हैं। सभी किसानों का यही कहना है कि तीनों कानून रद्द करने से कम वो किसी बात पर नहीं मानेंगे।

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न जिला अदालत परिसरों में वकीलों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. कड़कड़डूमा जिला अदालत परिसर में वकीलों ने कानूनों को वापस लेने को लेकर नारेबाजी करते हुए विरोध मार्च किया. तीस हजारी अदालत परिसर में भी वकीलों ने किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए एक बैठक की और अपनी ओर से कुछ मांगे रखीं. तीस हजारी अदालत में हुए प्रदर्शन में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) की एक्शन कमेटी के मुख्य संयोजक अधिवक्ता राजीव खोसला ने कहा कि सरकार को कृषि कानूनों में एक शर्त रखनी चाहिए कि कृषि उत्पादों के लिए निजी कंपनियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से पांच प्रतिशत अधिक भुगतान करे और उल्लंघन करने पर तीन से पांच साल तक सजा का प्रावधान किया जा सकता है.

झारखंड में किसानों के ‘भारत बंद’ का मिला-जुला असर रहा तथा यह लगभग शांतिपूर्ण भी रहा. इस दौरान राज्य में जहां सभी सरकारी कार्यालय खुले रहे, वहीं निजी संस्थान तथा प्रतिष्ठान आंशिक तौर पर बंद रहे. स्थानीय यातायात मुख्यत: सामान्य रहा, लेकिन अंतरराज्यीय यातायात ठप रहा. इस दौरान शांति भंग होने की आशंका में गुमला, जमशेदपुर, धनबाद और गढ़वा में कुल 581 लोगों को हिरासत में लिया गया. राजधानी रांची, धनबाद, हजारीबाग, जमशेदपुर, पलामू, दुमका, बोकारो, साहिबगंज, पाकुड़ समेत सभी 24 जिलों में किसानों के ‘भारत बंद’ का मिला-जुला असर देखने को मिला और यह शांतिपूर्ण रहा. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता पुलिस महानिरीक्षक साकेत कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में सभी जिलों में बंद शांतिपूर्ण रहा और कहीं से भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.

नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान पर मंगलवार को देश के कई हिस्सों में दुकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बंद रहने, यातायात बाधित होने से जनजीवन प्रभावित हुआ. प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क एवं रेल मार्गों को बाधित किया. हालांकि, बंद लगभग शांतिपूर्ण रहा और किसानों ने अपनी शक्ति प्रदर्शित की. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली छठे दौर की वार्ता से पहले किसानों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया. हालांकि, किसान नेता आर.एस. मानसा ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘बीच का कोई रास्ता नहीं है. हम आज की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से केवल ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब देने को कहेंगे.’ सिंघू बार्डर पर हजारों की संख्या में किसान पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. 13 किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल शाह से मुलाकात करेगा.

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