संगरुर। पैसे दी फिकर न करो, लोड़ पई तां गहने बेच दियांगे, जद तक मोर्चो फतेह नी हुंदा उथे ही डटे रहयो, यह कहना है जिले की महिला किसानों का। कृषि बिलों के विरोध में किसानों के दिल्ली मोर्चे के बाद पंजाब भर में महिला किसानों ने बड़े स्तर पर जमीनों और घरों की देखभाल कर रही हैं बल्कि लोकल स्तर पर प्रदर्शनों में अपनी भूमिका निभा रही हैं।
महिला किसान किसी स्तर पर भी दिल्ली मोर्चे को अब फेल नहीं होने देना चाहती हैं लेकिन दिल्ली मोर्चे में भाकियू के लगातार खर्च के बाद भारतीय किसान यूूनियन एकता उगराहां की ओर से देश-विदेश में समर्थकों से अपील की गई थी कि वह मदद के लिए यूनियन को फंड मुहैया करवाएं। इसके लिए उन्होंने खाते नंबर तक जारी किए हैं। ऐसे में भाकियू के पास मदद पहुंचनी भी शुरू हो चुकी है, लेकिन जिले की महिलाएं पैसों की कमी को पूरा करने के लिए अपने गहने तक बेचने को तैयार हैं।
गांव चक्का निवासी महिला किसान मनदीप कौर, सुखजीत कौर, हरदीप कौर का कहना है कि गहने बेचकर गहने तो दोबारा से बनाए जा सकते है, परंतु यदि उनकी जमीनों को बड़े घरानों ने हड़प लिया तो किसान किसी काम का नहीं रहेगा। किसान परिवार भूखे मरने को मजबूर हो जाएंगे। अमनदीप कौर का कहना है कि उन्हें गहनों से अधिक अपनी जमीनों से प्यार है। जो सोना उगलती हैं।
वह किसी भी हालत में अपनी जमीनों को हाथों से नहीं जाने देगीं। यही कारण है कि महिलाओं ने अपने गहने तक बेचने का फैसला किया है। जब यूनियन ने संदेशा दिया तो वह पहल के आधार पर अपने गहनों को बेच देगीं। लेकिन मोर्चे में फंड की कमी नहीं आने देगीं।
आढ़ती एसोसिएशन ने कृषि बिलों के विरोध में सोमवार से तीन दिन बुधवार तक पंजाब भर में अपनी दुकानें बंद रखने का ऐलान किया है। पंजाब भर से रोजाना तीन जिलों से आढ़ती सदस्य किसानों के समर्थन में दिल्ली कूच करेंगे। इस संबंधी संगरूर में आढ़तियों के इजलास में जिले के आढ़तियों ने भी अपनी सहमति दे दी है।
फैडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन के जिलाप्रधान जगतार सिंह समरा का कहना है कि वीरवार को संगरूर, बरनाला और पटियाला के आढ़ती किसानों के समर्थन में दिल्ली कूच करेंगे।
मोर्चे पर किसानों को कोई कमी नहीं, देश- विदेश से पहुंच रही मदद : भाकियू
भाकियू एकता उगराहां के प्रदेश प्रधान जोगिन्द्र सिंह उगराहां का कहना है कि यह संघर्ष लंबा जा सकता है। सरकार ने बैठकों का सिलसिला तो शुरू कर दिया, परंतु किसी बात पर सहमति नहीं बन रही है। सरकार भी चाहती है कि किसानों के संघर्ष को लंबा करके उनके हौंसले तोड़ दिए जाएं ऐसे में सरकार अलग-अलग तौर पर यूनियनों को फोन कर आपस में दरार डालने का प्रयास कर रही है परंतु किसान किसी भी सरकारी चाल में नहीं फंसेगे। किसानों को यहां कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। इस संबंधी देश विदेश से मदद पहुंच रही है। मामले का हल करवाकर ही किसान वापिस लौटेगा।
सौजन्य-भास्कर डाट काम