नई दिल्ली. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं. सरकार से उनकी बातचीत शनिवार को एक बार फिर बेनतीजा रही. इस बातचीत में कोई समाधान नहीं निकल सका. ऐसे में किसान अपने साथ लाए हफ्तों के राशन के साथ बॉर्डर (Farmers Agitation) पर डटे हुए हैं. इस दौरान किसान लोगों के लिए भगवान साबित हो रहे हैं. वे इलाके के बेघर और गरीब लोगों को भी भरपेट खाना खिला रहे हैं. उनके इस लंगर की वजह से तो कई बच्चे पिछले कुछ दिनों से स्कूल तक नहीं जा रहे हैं.
ऐसे ही दो बच्चे हैं 10 साल का रुबियाल और उसकी 8 साल की बहन मासूम. दोनों अपने मां-बाप के साथ दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर के पास झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं. दोनों के मां-बाप कबाड़ बीनकर उसे बेचते हैं और जीवनयापन करते हैं. दोनों ही बच्चे बुधवार से स्कूल नहीं गए हैं. उनका कहना है कि अगर वे स्कूल चले जाएंगे तो किसानों की लंगर सेवा का भोजन नहीं खा पाएंगे.
कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की ओर आए किसान सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. वे साथ में राशन लाए हैं. इससे वह खुद का पेट तो भर ही रहे हैं, मगर साथ में गरीब और बेसहारा लोगों का पेट भी भर रहे हैं. उनके लंगर में वे लोग भरपेट भोजन पा रहे हैं, जिन्हें दिनभर में एक बार का खाना खाने के लिए भी परेशानी उठानी पड़ती थी. अब इन लोगों को किसानों के लंगर में दिन में तीन बार भरपेट खाना और कई बार चाय मिल रही है.
गरीबों और बेसहारा लोगों को लंगर में फल, खीर, मीठा चावल और स्नैक्स भी मिलते हैं. इसके अलावा ये किसान कबाड़ और कचरा बीनने वाले लोगों के लिए भी काम आ रहे हैं. लंगर में इस्तेमाल होने वाली प्लेट, प्लास्टिक की चम्मच और गिलास को ये लोग एकत्र करके बेच देते हैं, इससे खाने के साथ ही इनकी आमदनी भी हो रही है. पहले ऐसे कचरे और कबाड़ के लिए इन लोगों को काफी दूर जाना पड़ता था.
रुबियाल का कहना है कि वह सुबह 9 बजे अपनी बहन और छोटे भाई के साथ सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसानों के लंगर में आया. वहां उसे चाय, मठरी, बिस्कुट और संतरे नाश्ते में मिले. इसके बाद दोपहर के खाने में उन्हें रोटी और चावल समेत पूरा खाना मिला. शाम को किसानों ने उन्हें गन्ना और केला दिए. रुबियाल पास के ही एक सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा का छात्र है. लेकिन वह किसानों के लंगर के भोजन का स्वाद लेने के लिए बुधवार से स्कूल ही नहीं गया.