बठिडा. बठिडा के सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से तीन अक्टूबर को थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को बिना जांच एचआइवी संक्रमित रक्त लगाने के मामले में बठिडा पुलिस ने एक ओर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने पहले दर्ज हुए मामले में दूसरे आरोपित रिचा गोयल को नामजद कर लिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस प्रशासन ने डीए लीगल से राय लेने के बाद मामले में आरोपित कांट्रेक्ट पर काम करने वाली लैब टेक्नीशियन (एलटी) युवती पर यह कार्रवाई की है।
फिलहाल जिसे मामले में नामजद किया गया है, उसकी गिरफ्तारी होनी बाकी है। इसी बीच थेलेसीमिया पीड़ित एसोसिएशन ने सेहत विभाग के साथ पुलिस प्रशासन की जांच व कारगुजारी पर सवाल खड़े करते कहा कि जिस आरोपी पर अब बाल अधिकार रक्षा आयोग की सख्ती से बाद कारर्वाई की गई है उसे पिछले डेढ़ माह से किस आधार पर बचाया जा रहा था वही इसी मामले में तीसरे आरोपी बीटीओ करिश्मा गोयल को भी जांच में आरोपी बनाया लेकिन इसके खिलाफ आज तक किसी तरह की कानूनी कारर्वाई नहीं करने के पीछे के कारणों को पुलिस व सेहत विभाग सार्वजनिक करे। उन्होंने इस गंभीर मामले में आयोग की टिप्पणी का समर्थन करते इसे कानूनी चुनौती देने की भी घोषणा की है।
मामले में तीसरी आरोपित उस समय की ब्लड बैंक इंचार्ज महिला डाक्टर पर अभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि सेहत विभाग उसे नौकरी से बर्खास्त कर चुका है। ऐसे में सबसे पहले एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में अब तक दो आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकी है। इसमें सेहत विभाग का मेडिकल लैब तकनीशियन बलदेव सिंह रोमाणा पर पहले ही केस दर्ज कर उसे जेल भेजा जा चुका है, जबकि बाकी दो आरोपित ब्लड बैंक इंचार्ज डा. करिश्मा व लैब तकनीशियन रिचा गोयल नेशनल हेल्थ मिशन अधीन काम करती है, जिनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए एनएचएम के सचिव द्वारा पत्र लिखा जाना था, लेकिन पुलिस प्रशासन को कोई पत्र नहीं मिलने के कारण उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं किया।
मामले की जांच कमेटी ने तीन लोगों को आरोपित ठहराया था और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। अब इस मामले में सवाल उठाए जा रहे हैं कि ब्लड बैंक बठिंडा में ब्लड की जांच करने व उसे संक्रमित होने या फिर बिना संक्रमित होने की मोहर लगाकर पांस करने का काम बीटीओ व एलटी की जिम्मेवारी थी वही लैब तकनीशियन बलदेव रोमाणा का काम इन दोनों की जांच व रिपोर्ट के बाद उसे इश्यू करने का था। इस स्थिति में पहले दो बीटीओ व एलटी संक्रमित रक्त चढ़ाने के सबसे बड़े आरोपी है इसमें दोनों के खिलाफ विभागीय कारर्वाई के बाद कानूनी कारर्वाई एक समान आधार पर की जानी थी लेकिन विभाग ने पूरे मामले में साजिश करने व एक दूसरे को बदनाम करने के आरोप में बलदेव रोमाणा पर तो केस दर्ज कर दिया लेकिन तकनीकि जांच व इसे पास करने वाले दोनों आरोपियों को अब तक बचाती रही है। इसमें गत दिवस बाल सुरक्षा आयोग की सख्ती के बाद दो में से एक पर केस दर्ज करवा दिया लेकिन तीसरे जिम्मेवार पर अभी भी कोई कारर्वाई नहीं की जा रही है।
पुलिस अधिकारियों ने दर्ज करवाए बयान इसी मामले में मंगलवार को पंजाब राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग ने बठिडा पुलिस के अधिकारियों को तलब किया था। इसमें थाना कोतवाली के प्रभारी व इंस्पेक्टर दविदर सिंह व सिविल अस्पताल पुलिस चौकी इंचार्ज एसआइ रमनदीप कौर ने आयोग के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाए। इसमें आयोग ने जिला पुलिस से पूछा कि उन्होंने अक्टूबर में 8 साल के बच्चे व महिला का संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में विभाग की तरफ से आरोपित बनाए गए तीन लोगों में से दो के खिलाफ आज तक किसी तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की। वहीं सिविल अस्पताल में पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा की तरफ से जांच के दौरान 600 किटों को बाहर से मंगवाकर स्टाक में रखने के मामले में आज तक जांच का दायरा क्यों नहीं बढ़ाया गया।
तमाम सवालों के जवाब में पुलिस ने तर्क दिया कि सिविल अस्पताल में अब तक चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला सामने आया है। इसमें सिविल सर्जन व एसएमओ की तरफ से जिन मामलों में कार्रवाई रिपोर्ट पुलिस के पास पेश की गई व जिन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा गया, उसमें पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। ब्लड बैंक में तैनात बलदेव सिंह रोमाणा के अलावा अन्य दो अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने की रिपोर्ट सिविल अस्पताल प्रबंध नहीं दी थी। वहीं पुलिस सिविल अस्पताल प्रबंधन ने दोनों मामलों की जांच रिपोर्ट मांगेगी व इसमें जांच कर बनती कार्रवाई की जाएगी।
20 दिनों में देनी थी मामले की विस्तृत रिपोर्ट
बताते दें कि 26 नवंबर 2020 को पंजाब राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग के चेयरमैन रजिदर सिंह ने अपनी पड़तालिया रिपोर्ट में सिविल अस्पताल के अधिकारियों व ब्लड बैंक में तैनात कर्मियों की लापरवाही को उजागर किया था। मामले की विस्तृत रिपोर्ट 20 दिनों में देने के लिए कहा था। इसमें आयोग के समक्ष सिविल अस्पताल प्रबंधन ने 17 दिसंबर तक दोनों पक्षों में रिपोर्ट तैयार करने के साथ इसमें आरोपित लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी है।
- एसएसपी भूपिदरजीत सिंह विर्क ने बताया कि डीए लीगल से राय लेने के बाद एक और आरोपित को नामजद किया है। दूसरे आरोपित का रिकार्ड डीए लीगल को उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिसके आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी।