पूरे देश को वैक्सीन नहीं लगेगी:ICMR ने कहा- कुछ लोगों को टीका लगाकर कोरोना रोक लिया तो पूरी आबादी के लिए वैक्सीनेशन जरूरी नहीं
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भी इस पर टिप्पणी की। कहा, ''मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है। यह जरूरी है कि ऐसी वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए।
ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीनेशन की सफलता वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर निर्भर करती है। हमारा मकसद कोरोना की ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। अगर हम कुछ लोगों को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में सफल रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े।
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भी इस पर टिप्पणी की। कहा, ”मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं कही है। यह जरूरी है कि ऐसी वैज्ञानिक चीजों के बारे में तथ्यों के आधार पर बात की जाए।
Vaccination would depend on the efficacy of the vaccine & our purpose is to break the chain of #COVID19 transmission. If we're able to vaccinate critical mass of people & break virus transmission, then we may not have to vaccinate the entire population: ICMR DG Dr Balram Bhargava https://t.co/JF2vzdG7ml pic.twitter.com/OJk5QMuDFE
— ANI (@ANI) December 1, 2020
भारत में कोरोना संक्रमण के मामले कम
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव (Secretary Health Ministry) राजेश भूषण (Rajesh Bhushan) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज भी विश्व के बड़े देशों के मुकाबले भारत में प्रति दस लाख लोगों पर मामले सबसे कम हैं. अनेक ऐसे देश हैं जहां पर भारत से प्रति दस लाख लोगों पर आठ गुना तक ज़्यादा मामले हैं. हमारी मृत्यु प्रति मिलियन दुनिया में सबसे कम है.’ राजेश भूषण ने कहा, ‘नवंबर महीने में प्रतिदिन औसतन 43,152 कोविड -19 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं, प्रतिदिन कोरोना से ठीक होने वाले कोरोना मरीजों की संख्या 47,159 थी.’
पंजाब और हरियाणा में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना केस
इनमें सबसे बड़ी बात यह कही गई कि पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में एक बार दोबारा कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क जरूर लगाएं. साथ ही दूरी का खयाल रखें और बार-बार हाथ धोएं. राजेश भूषण ने कहा, ‘क्लीनिकल ट्रायल मल्टी-सेंट्रिक और बहु-केंद्रित हैं. प्रत्येक साइट पर एक संस्थागत आचार समिति है, जो निर्माता या सरकार से स्वतंत्र है. किसी भी प्रतिकूल घटना के मामले में यह समिति भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल को अपनी रिपोर्ट देती है.
वैक्सीन के विपरीत प्रभाव की जांच DCGI करती है
सीरम इंस्टीट्यूट की कोरोना वैक्सीन ”कोवीशील्ड” पर उठे विवाद पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपना रुख साफ कर दिया है। मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को कहा कि इस तरह के मामलों की जांच ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DCGI) करती है। भूषण ने कहा, ”किसी भी वैक्सीन के ट्रायल से पहले वॉलंटियर की मंजूरी ली जाती है। उनसे फॉर्म भरवाया जाता है। जिसमें यह साफ लिखा होता है कि ट्रायल के दौरान कुछ विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। कैसे-कैसे प्रभाव पड़ेंगे, यह भी लिखा होता है। इसे देखने के बाद ही लोग ट्रायल की मंजूरी देते हैं।”
उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान अस्पताल में एक एथिक्स कमेटी होती है, जो वैक्सीन के विपरीत प्रभाव पर नजर रखती है। अगर ऐसे किसी प्रभाव की जानकारी उसे होती है तो वह 30 दिनों के अंदर इसकी सूचना ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DCGI) को देती है। आगे DCGI ऐसे मामले की जांच करती है।
वहीं, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि दवाई या वैक्सीन से बुरा प्रभाव पड़ता है. यह रेग्युलेटर की जिम्मेदारी है कि डाटा जुटा कर पता लगाए कि क्या इवेंट और इंटरवेंशन के बीच कोई लिंक है.
वैक्सीन विवाद पर आगे क्या कहा मंत्रालय ने?
- क्लीनिकल ट्रायल बहु केंद्रित होता है। मतलब इसके ट्रायल केवल एक जगह पर नहीं होते, बल्कि कई जगहों पर होते हैं।
- ट्रायल के दौरान वैक्सीन के एडवर्स प्रभाव पर नजर रखने वाली एथिक्स टीम सरकार या किसी कंपनी की नहीं होती। ये उस अस्पताल की टीम होती है जहां ये ट्रायल चल रहा होता है।
- ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन के बुरे प्रभाव की जिम्मेदारी रेगुलेटर की होती है। वह इसका डाटा जुटा कर पता लगाए कि क्या इवेंट और इंटरवेंशन के बीच कोई लिंक है। मतलब वैक्सीन और वॉलंटियर पर पड़ने वाले प्रभाव का कोई लिंक है?