मिशन कोरोना वैक्सीन:7 अरब की आबादी तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए 8 हजार जम्बो जेट्स लगेंगे, 2 साल चलेगा मिशन

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े कार्गो कैरियर्स में से एक लुफ्थांसा ने अप्रैल में ही वैक्सीन डिलीवरी की योजना पर काम शुरू कर दिया था। 20 लोगों का टास्क फोर्स बनाया ताकि मॉडर्ना, फाइजर या एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सके। टास्क फोर्स के सामने सवाल थे कि एयरलाइन के 15 बोइंग 777 और MD-11 मालवाहक जहाजों में जगह कैसे बनाई जाए? 25% क्षमता के साथ उड़ान भर रहे पैसेंजर विमानों के बेड़े में क्या बदलाव किया जाए?

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कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन अप्रूव हो जाए और बन भी जाए तो भी दुनिया की 7 अरब आबादी तक उन्हें पहुंचाना आसान नहीं होगा। यह एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, जिसे पूरा करने के लिए 110 टन क्षमता वाले जम्बो जेट्स के 8000 फेरों की जरूरत होगी। 14 अरब डोज लोगों तक पहुंचाने का यह मिशन दो साल चलेगा। वैक्सीन की डिलीवरी के लिए सिर्फ विमानों की जरूरत नहीं होगी, बल्कि कार, बस, ट्रक और यहां तक कि मोटरसाइकिल, साइकिल की भी मदद लेनी पडे़गी। कुछ इलाकों में तो पैदल ही यह वैक्सीन लेकर जाना होगा।

इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि 110 टन क्षमता वाले बोइंग-747 विमानों को 8,000 चक्कर लगाने होंगे, तब वैक्सीन सब तक पहुंच सकेगी। इसके अलावा टेम्परेचर कंट्रोल और अन्य जरूरतों का भी विशेष ध्यान रखना होगा। खासकर फाइजर के वैक्सीन के लिए, जिसे UK और US के साथ-साथ यूरोपीय संघ के अन्य देशों में सबसे पहले अप्रूवल मिलने की उम्मीद है। इसे 6 महीने तक सेफ और इफेक्टिव रखने के लिए -70 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखने की जरूरत होगी। IATA के चीफ एलेक्जांद्रे डी जुनियाक का कहना है कि ‘यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे जटिल लॉजिस्टिक एक्सरसाइज रहने वाली है। पूरी दुनिया की नजरें अब हम पर हैं।’

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