Farmers Protest LIVE Updates: सिंघु बॉर्डर पर किसान बोले- हमारे मन की बात सुनें PM, मागें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन

Farmers Protest LIVE Updates: किसानों ने आज दिल्ली के सभी एंट्री पॉइंट्स बंद करने की चेतावनी दी है. ऐसे में सोनीपत, बहादुरगढ़, मथुरा और गाजियाबाद से दिल्ली को जोड़ने वाले पांचों एंट्री प्वाइंट्स पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

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नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी के किसान आंदोलनरत हैं. भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के लिए रवाना की गई राशन से लदीं 40 ट्रालियों को हरियाणा सरकार ने बार्डर पर रोक लिया है. किसानों ने आज दिल्ली के सभी एंट्री पॉइंट्स बंद करने की चेतावनी दी है. ऐसे में सोनीपत, बहादुरगढ़, मथुरा और गाजियाबाद से दिल्ली को जोड़ने वाले पांचों एंट्री प्वाइंट्स पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि ट्रैफिक की आवाजाही के लिए सिंघु और टिकरी बॉर्डर बंद है. यहां किसानों ने अपना डेरा डाल रखा है.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके ‘मन की बात’ सुनें. उन्होंने कहा, ‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते.’ किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी. उन्होंने कहा, ‘हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं.’ वहीं, एक अन्य किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को ‘दबाने’ के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं.

केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सोमवार को कहा कि वे ‘निर्णायक’ लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके ‘मन की बात’ सुनें. उन्होंने कहा, ‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते.’ किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी.

वाम दलों ने सोमवार को अपनी राज्य इकाइयों से कहा कि वे तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में प्रदर्शन का आयोजन करें. माकपा, भाकपा, आरएसपी, फॉरवर्ड ब्लॉक और भाकपा (माले) ने एक संयुक्त बयान जारी कर प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति पूर्ण समर्थन एवं एकजुटता प्रकट की. उन्होंने कहा, ‘कृषि विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे लाखों किसान दिल्ली के आसपास जमा हुए हैं. उन्हें दिल्ली में संसद तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी जा रही है.’ इन दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘वाम दल अपनी सभी राज्य इकाइयों से आह्वान करते हैं कि किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए संयुक्त रूप से प्रदर्शन का आयोजन करें.’ वाम दलों ने केंद्र से अनुरोध किया कि वह किसानों की मांग मान ले.

कांग्रेस ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए सोमवार को सोशल मीडिया पर अभियान चलाया, जिसके तहत पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा और लोगों से किसानों का साथ देने की अपील की. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फिर आग्रह किया कि इन तीनों ‘काले कानूनों’ को निरस्त किया जाए क्योंकि देश के करोड़ों किसान यही चाहते हैं. राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के पक्ष में खड़े होने की अपील करते हुए कहा कि यह ‘सत्य एवं असत्य की लड़ाई’, है जिसमें सभी को अन्नदाताओं के साथ होना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि पंजाब के किसानों ने इस वर्ष बाजार में अधिक धान बेचा और पिछले वर्ष की तुलना में ऊंचे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर यह बिक्री की. साथ ही किसानों से अपील की कि वे नए कृषि कानूनों को लेकर ‘भ्रमित’ नहीं हों. पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, ‘कृषि कानूनों को लेकर भ्रमित नहीं हों. पिछले साल की तुलना में पंजाब के किसानों ने इस साल बाजार में धान ऊंचे एमएसपी पर बेचा. एमएसपी जारी है और मंडी भी जारी है तथा सरकारी खरीद भी हो रही है.’

केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बांदा और फतेहपुर जिले में किसानों ने सोमवार को भी सड़क जामकर प्रदर्शन किया. बांदा जिले के अतर्रा कस्बे में बुंदेलखंड़ किसान यूनियन की अगुवाई में किसानों ने कृषि मंडी के पास सड़क जामकर प्रदर्शन किया. बुंदेलखंड़ किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बुंदेलखंड़ के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग तिथियों में किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं और कानून वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखेंगे.’

प्रदर्शनकारियों ने उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केन्द्र के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा है कि वे कोई सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे. इसके बाद उन्होंने आगे की कार्रवाई के लिए एक बैठक बुलाई. वहीं, शनिवार को बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान पहुंचे किसानों का प्रदर्शन वहां जारी है. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि यूपी गेट के पास गाजीपुर बॉर्डर पर स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है. उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सीमेंट के अवरोधक लगाए गए हैं.’

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने के बीच उत्तर प्रदेश से लगते दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा मजबूत कर दी है और कंक्रीट के अवरोधक लगा दिए हैं. वहीं, हजारों किसान सोमवार को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर पांचवें दिन भी डटे रहे. राष्ट्रीय राजधानी को दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाले कई अन्य राजमार्गों को भी अवरुद्ध करने की किसानों की चेतावनी के बीच सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सिंघू और टीकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है तथा पिछले दो दिन से किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं मिली है, लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है.

विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है, यहां अनेक किसानों ने मास्क नहीं पहन रखे हैं. वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उनके लिए नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक बड़ा खतरा हैं. किसान सोमवार को पांचवें दिन भी राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं और दिल्ली के बुराड़ी मैदान में डटे रहे. इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी किसान उनका साथ देने पहुंचे हैं. दिल्ली में हर रोज महामारी के मामले बढ़ने के बीच विशेषज्ञों की चिंता किसानों के जमघट के चलते और भी गहरा गई है.

 

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